Delhi Riots Case: मस्जिद में आग लगाने के मामले में कोर्ट ने तीन लोगों को बरी किया, 'अमान्य सबूतों' के आधार पर गिरफ्तारी के लिए पुलिस की आलोचना की
Shahadat
30 Dec 2025 10:13 AM IST

दिल्ली कोर्ट ने हाल ही में 2020 के उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों के दौरान शहर के गोकलपुरी इलाके में जन्नती मस्जिद में तोड़फोड़, आगजनी और लूट के आरोपी तीन लोगों को बरी कर दिया।
कड़कड़डूमा कोर्ट के एडिशनल सेशन जज परवीन सिंह ने दीपक, प्रिंस और शिव को बरी करते हुए दिल्ली पुलिस की जांच की आलोचना की, जिसमें अमान्य इलेक्ट्रॉनिक सबूतों और देरी से मिले, अविश्वसनीय चश्मदीद गवाहों की गवाही पर भरोसा किया गया।
जज ने कहा कि जांच जिस तरह से की गई, उसे देखकर उन्हें "दुख" हुआ, क्योंकि "आरोपियों को अमान्य सबूतों के आधार पर गिरफ्तार किया गया था" और इसी आधार पर उनके खिलाफ चार्जशीट भी दायर की गई थी।
कोर्ट ने कहा कि आरोपियों की गिरफ्तारी की तारीख से लेकर पहली चार्जशीट दाखिल होने तक कोई ठोस सबूत नहीं था।
कोर्ट ने कहा,
"डेढ़ साल बाद दो ऐसे गवाह मिले, जो असल में इत्तेफाक से मिले थे, उनसे सितंबर, 2021 में पूछताछ की गई और जैसा कि ऊपर बताया गया, हो सकता है कि उनसे कभी पूछताछ की ही न गई हो, क्योंकि IO ने अपनी केस डायरी में जिस जगह का जिक्र किया था, वह उस दिन मौजूद ही नहीं थी जब उनसे पूछताछ की गई।"
इसमें आगे कहा गया,
"मैंने ये टिप्पणियां इस उम्मीद के साथ की हैं कि जांच एजेंसी इस बात पर ध्यान देगी कि इस मामले की जांच किस तरह से की गई और सुधारात्मक कदम उठाएगी ताकि भविष्य में नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन न हो, जब तक कि उन्हें किसी अपराध में फंसाने के लिए पर्याप्त सबूत न हों।"
FIR 50/2020 गोकलपुरी पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई। आरोप था कि लाठी और ज्वलनशील पदार्थ से लैस भीड़ ने दंगों के दौरान जन्नती मस्जिद में तोड़फोड़ की और आग लगा दी, नकदी और सामान लूटा, और आस-पास की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया।
यह मानते हुए कि अभियोजन पक्ष उचित संदेह से परे अपराध साबित करने में विफल रहा, कोर्ट ने आरोपियों को IPC की धारा 147, 148, 149, 380, 427, 436 और 188 के तहत सभी आरोपों से बरी कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि गिरफ्तारियां मुख्य रूप से उन CD पर आधारित थीं, जिनमें कथित तौर पर घटना के वीडियो फुटेज थे, जो एक "गुप्त शिकायतकर्ता" द्वारा दिए गए। हालांकि, यह देखा गया कि अभियोजन पक्ष कोर्ट में रिकॉर्डिंग को कानूनी रूप से साबित करने में विफल रहा।

