दिल्ली दंगा षडयंत्र मामला: कोर्ट ने सह-अभियुक्त के मोबाइल फोन डेटा की कॉपी की मांग करने वाली याचिका खारिज की

LiveLaw News Network

29 Oct 2021 5:54 AM GMT

  • दिल्ली दंगा षडयंत्र मामला: कोर्ट ने सह-अभियुक्त के मोबाइल फोन डेटा की कॉपी की मांग करने वाली याचिका खारिज की

    दिल्ली दंगों के बड़े षड्यंत्र मामले के संबंध में एक अन्य घटनाक्रम में दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को कहा कि विभिन्न आरोपी व्यक्तियों से एकत्र किए गए मोबाइल फोन डेटा मामले में सह-अभियुक्तों को नहीं दिए जा सकते, क्योंकि इसमें नग्न तस्वीरें और अश्लील वीडियो हैं।

    अदालत ने कहा कि इससे उनके निजता के अधिकार पर असर पड़ेगा।

    अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने आदेश में कहा,

    "ऐसा प्रतीत होता है कि यह आरोपी की निजता के अधिकार का सवाल है और मांगे जाने वाले इस तरह के किसी भी डेटा की सप्लाई आरोपी व्यक्तियों के निजी जीवन पर प्रभाव डालेगी। इस प्रकार, मोबाइल फोन में मौजूद किसी भी तस्वीर या वीडियो की सप्लाई किसी भी अन्य आरोपी व्यक्तियों या यहां तक ​​​​कि अभियुक्तों के वकीलों को भी देना संभव नहीं।

    यह घटनाक्रम तब सामने आया जब न्यायालय सीआरपीसी की धारा 207 के तहत मामले में विभिन्न आरोपी व्यक्तियों की ओर से दायर आवेदन पर विचार कर रहा था।

    सुनवाई के दौरान एसपीपी अमित प्रसाद ने कोर्ट के समक्ष कहा कि सीआरपीसी की धारा 207 के तहत आरोपी व्यक्तियों के मोबाइल फोन में मौजूद व्यक्तिगत डेटा गोपनीयता की चिंता को देखते हुए अन्य आरोपी व्यक्तियों को नहीं दिया जा सकता।

    अदालत ने आगे कहा,

    "उसने अदालत के सामने दो सीलबंद लिफाफे पेश किए। इसमें मोबाइल फोन से ली गई तस्वीरें थीं। इन तस्वीरों में नग्न तस्वीरें, निजी अंतरंग क्षण और आरोपी व्यक्तियों द्वारा स्वयं बनाए गए अन्य अश्लील वीडियो हैं।"

    दूसरी ओर, अभियुक्त व्यक्तियों की ओर से पेश वकील ने न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया कि साजिश के मामले में उन्हें अन्य आरोपी व्यक्तियों के मोबाइल फोन की सामग्री की आवश्यकता होगी, जो कथित तौर पर एक दूसरे से संबंधित हैं। वकील ने कहा कि आरोपी व्यक्तियों के बचाव में मोबाइल फोन में उपलब्ध वीडियो या तस्वीरों सहित व्यक्तिगत डेटा की सप्लाई के मुद्दे को बंद नहीं किया जाना चाहिए और खुला रखा जाना चाहिए।

    इसे देखते हुए वकील ने कहा कि वे सुनवाई की अगली तारीख पर उक्त पहलू पर बहस करेंगे।

    अदालत ने निर्देश दिया,

    "सीआरपीसी की धारा 207 के तहत अभी तक आवेदन नहीं करने वाले सभी वकील दो सप्ताह के भीतर अभियोजन पक्ष को अग्रिम प्रति के साथ दाखिल करें, ताकि कमियों की आपूर्ति की जा सके।"

    अब इस मामले की सुनवाई 23 नवंबर को होगी।

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