दिल्ली हाईकोर्ट ने सिगरेट ब्रांड 'टोटल' के जैसा 'ट्रेड ड्रेस' इस्तेमाल करने कारण टोपाज़ के खिलाफ जारी अंतरिम निषेधाज्ञा को बरकरार रखा

LiveLaw News Network

10 Jan 2022 10:12 AM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने सिगरेट ब्रांड टोटल के जैसा ट्रेड ड्रेस इस्तेमाल करने कारण टोपाज़ के खिलाफ जारी अंतरिम निषेधाज्ञा को बरकरार रखा

    दिल्ली हाईकोर्ट ने सिगरेट ब्रांड 'टोपाज़ के खिलाफ जारी एकपक्षीय अंतरिम निषेधाज्ञा आदेश को बरकरार रखा है। उक्त कंपनी कथित रूप से भ्रामक पैकेजिंग/ट्रेड ड्रेस के जर‌िए अपने सामान को एक अन्य सिगरेट ब्रांड 'टोटल' के रूप में प्रसारित कर रहा था।

    जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने यह कहते हुए आक्षेपित आदेश में हस्तक्षेप नहीं करने का निर्णय लिया, "पैकेजिंग/सिगरेट बॉक्स की मूल पृष्ठभूमि का रंग गहरा मेटलिक ब्‍लैक और डार्क ब्लू का शेड है, जो एक जैसा है। दोनों बक्सों पर रिब्ड लाइनें भी हैं....। पैकेजिंग के अगले और पिछले के व्यू एक जैसे फ़ॉन्ट में है, यहां तक ​​कि अक्षर की जगह भी समान है।"

    वादी की दलीलें

    बेंच टोपाज़ के खिलाफ लगाए गए निषेधाज्ञा आदेश को रद्द करने के लिए आदेश 39 नियम 4 के तहत एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी। इस मामले में, विवाद दो ट्रेड मार्क के उपयोग के बीच था: वादी का टोटल और प्रतिवादी का टोपाज़ (इन्‍हें एक ही फ़ॉन्ट और शैली में लिखा गया था।)।

    वादी ने दावा किया था कि उसने वर्ष 2015 में 'टोटल' ब्रांड अपनाया था, जबकि उसे प्रतिवादी के ब्रांड 'टोपाज़' के बारे में जुलाई 2021 में पता चला था।

    वादी ने प्रस्तुत किया कि उन्हें प्रतिविदियों द्वारा 'टोपाज़' शब्द का उपयोग करने पर कोई समस्या नहीं थी, हालांकि उन्होंने प्रतिवादी के उत्पाद की उल्लंघनकारी पैकेजिंग, और प्रतिवादी कैसे वादी के ग्राहकों को 'जानबूझकर लक्षित' कर रहे थे, इस पर आपत्तियां उठाईं थीं।

    वादी की ओर से पेश एडवोकेट प्रवीण आनंद ने कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया कि यह सच हो सकता है कि प्रतिवादी 2011 से ट्रेड नेम 'टोपाज़' का उपयोग कर रहा है, लेकिन तब ट्रेड ड्रेस/ पैकेजिंग अलग थी, और इसे हाल ही में 'टोटल' के समान फिर से तैयार किया गया है।

    ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज बनाम पर आईटीसी लिमिटेड और अन्य पर यह कहने के लिए भरोसा किया गया कि "औसत बुद्धि व्यक्ति को सामान ट्रेडमार्क के कारण भ्रम हो सकता है।"

    प्रतिवादी की दलीलें

    प्रतिवादियों ने दावा किया कि वे 2011 से 'टोपाज़' ट्रेडमार्क का उपयोग कर रहे हैं, जबकि वादी ने 2015 में अपना ट्रेडमार्क अपनाया था।

    वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत मेहता ने बताया कि सिगरेट उपयोगकर्ता ब्रांड के स्वाद, लंबाई, फिल्टर का विशेष रूप से ध्यान देते हैं, यही कारण है कि वे भ्रमित नहीं होते हैं, भले ही कुछ ब्रांड एक जैसी कलर स्‍कीम, फांट आदि का उपयोग करते हों।

    परिणाम

    कोर्ट के समक्ष मुद्दा यह था कि क्या प्रतिवादी ट्रेड ड्रेस और पैकेजिंग के साथ ट्रेडमार्क टोपाज़ का उपयोग करने के हकदार हैं? कोर्ट ने स्वीकार किया कि एकपक्षीय अंतरिम निषेधाज्ञा देते समय कोर्ट केवल एक प्रथम दृष्टया विचार व्यक्त करता है, गुण-दोष की गहन जांच नहीं की जाती है।

    यह नोट किया गया कि वादी का उत्पाद वर्ष 2014-2015 से बाजार में स्थापित है। टोपाज़ के डिजाइन के कुछ पहलू टोटल के समान हैं, समानता का एक निश्चित प्रतिशत सभी सिगरेट ब्रांडों के लिए एक जैसा होता है- जैसे कि स्वास्थ्य चेतावनी।

    दोनों उत्पादों की तुलना करते हुए जजों ने ध्यान दिया कि पैकेजिंग के कुछ पहलू समान हैं। इस प्रकार यह राय दी गई कि आक्षेपित अंतरिम आदेश में न्यायालय के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। हालांकि न्यायालय आयुक्त को प्रतिवादियों की पहले से जब्त सिगरेटों को रीलीज़ करने का निर्देश दिया गया, और उन्हें भारत के बाहर ताजा पैकेजिंग में निर्यात करने की अनुमति दी गई।

    केस शीर्षक: वीएसटी इंडस्ट्रीज लिमिटेड बनाम रुद्र वेंचर्स प्रा लिमिटेड और अन्य।

    सिटेशन: 2022 लाइव लॉ (दिल्ली) 15

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