दिल्ली हाईकोर्ट ने टाटा ईवी को इलेक्ट्रिक व्हीकल सब्सिडी देने की सूची से बाहर करने के GNCTD के आदेश पर रोक लगाई

LiveLaw News Network

15 March 2021 10:46 AM IST

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने टाटा ईवी को इलेक्ट्रिक व्हीकल सब्सिडी देने की सूची से बाहर करने के GNCTD के आदेश पर रोक लगाई

    दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को जीएनसीटीडी (GNCTD) के उपायुक्त द्वारा पारित 1 मार्च, 2021 के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें टाटा नेक्सॉन ईवी मॉडल को इलेक्ट्रिक वाहन सब्सिडी की सूची से बाहर कर दिया गया था।

    न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा ने टाटा मोटर्स लिमिटेड द्वारा दायर एक रिट याचिका पर अंतरिम राहत देते हुए उपर्युक्त आदेश दिया।

    दिल्ली इलेक्ट्रिक व्हिकल नीति 2020 को दिल्ली सरकार के एनसीटी द्वारा अधिसूचित किया गया है। नीति के क्लॉज 4.6 के अनुसार, यह प्रावधान किया गया है कि पात्रता और परीक्षण की शर्तों को पूरा करने के बाद प्रचेज इंसेंटिव (सब्सिडी) केवल भारत में दूसरे चरण में इलेक्ट्रिक वाहनों के विनिर्माण के लिए सूचीबद्ध उन्नत बैटरी के साथ इलेक्ट्रिक फोर व्हीलर पात्र होंगे।

    पृष्ठभूमि

    एक व्यक्ति द्वारा यह कहते हुए शिकायत की गई कि टाटा नेक्सोन ईवी मॉडल ने कभी भी एक बार चार्ज करने के बाद 200 किलोमीटर से अधिक की रेंज हासिल नहीं की, जबकि इसके स्पेफिकेशन में दावा किया गया है यह एक बार चार्ज करने पर यह 312 किलोमीटर चलेगी। यह याचिकाकर्ता का मामला है कि केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के तहत उल्लिखित मानदंड 140 किलोमीटर प्रति चार्ज है और इसलिए वाहन उक्त नियमों की आवश्यकता को पूरा करता है। इसके आगे, 14.01.2020 को एआरएआई द्वारा अनुपालन का एक प्रमाण पत्र जारी किया गया था।

    हालांकि, यह कहा गया है कि 140 किलोमीटर की निर्धारित अवधि केवल तभी संतुष्ट होगी, जबकि एक बार चार्ज करने पर वाहन 140 किलोमीटर चलता है, जो मामूली बदलाव के अधीन है। इसके अलावा, यह कहा गया कि इस तरह के दृष्टिकोण से बेतुका परिणाम निकलेगा और यह पूरी सब्सिडी नीति का मखौल भी बनाएगा।

    यह देखते हुए कि सरकार एक कंपनी के वाहनों की बिक्री का समर्थन नहीं कर सकती है, जो अपने अभ्यावेदन के साथ ईमानदार नहीं है, GNCTD ने टाटा मोटर्स लिमिटेड द्वारा किए गए शिकायतकर्ता के दावे को सत्यापित करने और मामले में अंतिम निर्णय लेने के लिए एक समिति का गठन किया। उक्त समिति में परिवहन विभाग, डीआईएमटीएस, टाटा मोटर्स लिमिटेड और किसी प्रतिष्ठित संगठन के प्रतिनिधि शामिल थे।

    इसके साथ ही उक्त आदेश ने यह भी देखा कि दिल्ली ईवी नीति के तहत सब्सिडी प्राप्त करने के लिए पात्र मॉडल की सूची से पात्र ईवी के रूप में ईवी यानी टाटा नेक्सॉन ईवी की सूची को रद्द करना आवश्यक/अनिवार्य है।

    न्यायालय का अवलोकन

    यह देखते हुए कि रिकॉर्ड पर यह दिखाने के लिए कोई सामग्री नहीं है कि याचिकाकर्ता कंपनी ने दिल्ली ईवी नीति की किसी भी स्थिति का उल्लंघन किया, न्यायालय ने देखा:

    "लगाए गए आदेश के बजाय याचिकाकर्ता सहित दावेदारों के दावे को सत्यापित करने के लिए याचिकाकर्ता सहित चार संगठनों के प्रतिनिधियों की एक समिति का गठन किया है। यह इस बात को दर्शाता है कि अधिकारी के समक्ष कोई ठोस सामग्री नहीं थी, इसके बावजूद आदेश पारित कर दिया गया। लाए गए आदेश को बिना किसी सत्यापन के पारित कर दिया गया है। "

    यह देखते हुए कि अधिकारी को वाहन का निरीक्षण करने के लिए सशक्त किया जा सकता है, न्यायालय ने हालांकि यह कहा कि इस तरह के निरीक्षण को सीएमवीआर के मापदंडों के बाद वैधानिक परीक्षण एजेंसी द्वारा किए गए परीक्षण को प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता है। इसलिए, न्यायालय ने देखा कि ऐसी निरीक्षण समिति का निर्णय वैधानिक परीक्षण एजेंसी के निर्णय को अधिरोहित नहीं कर सकता है।

    न्यायालय यह देखने के लिए भी आगे गया कि आरोपों को पुष्ट करने के लिए कोई भी सामग्री न होने के कारण लागू किया गया आदेश पारित किया गया था और इसलिए वह सरकार की नीति के विपरीत है और न ही फास्टर अडॉप्शन और हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहन पॉलिसी के निर्माण की योजना के उद्देश्य को कम करता है।

    यह माना गया है कि याचिकाकर्ता का वाहन नीति द्वारा निर्धारित मानदंडों को पूरा करता है और वैधानिक परीक्षण एजेंसी दएआरएआई द्वारा भी प्रमाणित किया गया है, अदालत ने इस प्रकार टाटा नेक्सन ईवी के दिल्ली ईवी नीति के तहत सब्सिडी का लाभ उठाने के पात्र मॉडल की सूची से रद्द करने के आदेश पर रोक लगा दी।न्यायालय ने मामले में जवाब दाखिल करने के लिए 2 सप्ताह का समय दिया। अब इस मामले की अगली सुनवाई 13 अप्रैल, 2021 को होगी।

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