'वह क्या जानता है?' : दिल्ली हाईकोर्ट ने IPO मंज़ूर करने में SEBI की अनियमितताओं का आरोप लगाने वाले 19 वर्षीय याचिकाकर्ता की खिंचाई की
LiveLaw News Network
27 Nov 2021 10:53 AM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक याचिकाकर्ता को यह आरोप लगाने पर फटकार लगाई कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) बिना उचित जांच के जल्दबाजी में आईपीओ (Initial public offering) को मंजूरी दे रहा है।
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति की खंडपीठ सिंह ने देखा कि IPO की मंज़ूरी के लिए एक नए निकाय के गठन की मांग करने वाला याचिकाकर्ता केवल 19 वर्ष की आयु का है और यह संभावना है कि वह सिक्योरिटी मार्केट की जटिलता पूरी तरह से नहीं समझता है।
कोर्ट ने टिप्पणी की,
"हम इस लड़के से जिरह करना चाहते हैं। अगर हम आपसे एक प्रश्न पूछें मिस्टर लॉयर तो आप उत्तर नहीं दे पाएंगे। यह 19 साल का लड़का सिक्योरिटी मार्केट के बारे में क्या कुछ जानता भी है?"
पेटीएम के IPO में गिरावट के कुछ दिनों बाद एडवोकेट सिद्धार्थ आचार्य के माध्यम से केतन कुमार द्वारा उक्त याचिका दायर की गई।
बेंच ने शुरुआत में कहा कि याचिकाकर्ता ने संबंधित प्राधिकरण के समक्ष कोई प्रतिनिधित्व दाखिल किए बिना अदालत का दरवाजा खटखटाया। प्रथम दृष्टया यह राय है कि जनहित की आड़ में शुरू की गई कार्यवाही किसी कंपनी के इशारे पर शुरू की गई है।
यह देखा गया कि याचिका निहित स्वार्थ के साथ दायर की गई है, जबकि वकील स्वयं इसकी जटिलताओं से अवगत नहीं है।
पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा,
"हम आपसे एक सवाल पूछेंगे और आप कहेंगे "मुझे कुछ नहीं पता।"
इसके बाद इसने सिक्योरिटी मार्केट की कुछ बुनियादी अवधारणाओं पर वकील से कुछ सवाल पूछे जैसे कि IPO कैसे निकाला जाता है? शेयर होल्डिंग कैसे निर्धारित की जाती है? आदि।
बेंच ने पूछा,
"कितने टाइप के शेयर होते हैं बताओ? (शेयर के प्रकार क्या हैं?) यह बहुत आसान है। इसलिए हम वकीलों की गरिमा बनाए रखने के लिए सवाल नहीं पूछते हैं।"
इसलिए बेंच ने वकील को सलाह दी कि ऐसे कंपनी मामलों की "ब्लैकमेलिंग प्रकार की याचिकाओं" में शामिल होने से बचना चाहिए, जहां पांच लाख रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है।
इस मौके पर, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने बेंच को सूचित किया कि इसी तरह की एक याचिका पहले भी दायर की गई थी।
दिल्ली हाईकोर्ट ने उन पर सुनवाई के दौरान कहा था कि कंपनी के बारे में केवल एक संक्षिप्त विवरण की आवश्यकता है ताकि एक निवेशक को कंपनी के जोखिम के बारे में पता हो।
केस शीर्षक: केतन कुमार बनाम सेबी और अन्य।