दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र की उपलब्धियों को हाइलाइट करने के लिए रक्षा अधिकारियों और सिविल सेवकों के इस्तेमाल के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर केंद्र से उसका पक्ष पूछा
LiveLaw News Network
4 Dec 2023 8:13 PM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले 9 वर्षों की सत्तारूढ़ सरकार की योजनाओं और उपलब्धियों को हाइलाइट करने के लिए रक्षा अधिकारियों और सिविल सेवकों के इस्तेमाल के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका पर सोमवार को केंद्र सरकार से जवाब मांगा। याचिका पर आरोप लगाया कि यह एक "राजनीतिक प्रोपेगंडा" है।
कार्यवाहक चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मिनी पुष्करणा की खंडपीठ ने केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा को मामले में निर्देश प्राप्त करने के लिए समय दिया और अगली सुनवाई के लिए इसे पांच जनवरी, 2024 को सूचीबद्ध किया।
याचिका पूर्व सिविल सेवक ईएएस सरमा और एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के अध्यक्ष जगदीप एस छोकर ने दायर की है। एडवोकेट प्रशांत भूषण याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए। याचिकाकर्ताओं ने रक्षा मंत्रालय की ओर से किए गए अच्छे कार्यों को दिखाने के लिए रक्षा लेखा महानियंत्रक की ओर से "सेल्फी प्वाइंट" पर रक्षा अधिकारियों की तैनाती के संबंध में 09 अक्टूबर को जारी आदेश को चुनौती दी है।
भारत सरकार की पिछले 9 वर्षों की उपलब्धियों को प्रदर्शित करने के लिए संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उप सचिवों को "जिला रथ प्रभारी" के रूप में तैनात करने के लिए केंद्र सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग की ओरसे 17 अक्टूबर को जारी ओएम को भी चुनौती दी गई है।
मामले में याचिकाकर्ताओं ने यह निर्देश देने की मांग की है कि केंद्र या राज्य में कोई भी राजनीतिक दल किसी भी लोक सेवक का उपयोग किसी भी अभियान या योजनाओं के प्रचार के लिए नहीं कर सकता है, जिसका उद्देश्य सत्तारूढ़ दल के लाभ के लिए है।
केस टाइटल: ईएएस सरमा और अन्य बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य।