दिल्ली हाईकोर्ट ने ओसीआई कार्ड रद्द करने के खिलाफ लेखक अमृत विल्सन की याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा
Shahadat
12 May 2023 2:53 PM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने ब्रिटेन में रहने वाले लेखक और पत्रकार अमृत विल्सन ने अपने ओसीआई कार्ड रद्द करने के खिलाफ याचिका दायर कर उसकी बहाली की मांग की।
विल्सन ने 17 मार्च को लंदन में भारतीय उच्चायोग द्वारा पारित आदेश रद्द करने की मांग की। उनका मामला यह है कि उनके ओसीआई कार्ड रद्द करना पूर्व-दृष्ट्या अवैध और मनमाना है।
भारतीय उच्चायोग ने पिछले साल नवंबर में विल्सन को "भारत सरकार के खिलाफ हानिकारक प्रचार में लिप्त" होने और "कई भारत विरोधी गतिविधियों" में शामिल होने का आरोप लगाते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जो भारत की और आम जनता के हित, देश संप्रभुता और अखंडता के लिए खतरा पैदा करता है।
उनका मामला यह है कि कारण बताओ नोटिस मनमाना है, क्योंकि यह उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों को साबित करने के लिए कोई भौतिक विवरण या विशिष्ट कारणों का सारांश प्रदान नहीं करता।
वह बार-बार अनुरोध के बावजूद, केंद्रीय गृह मंत्रालय के समक्ष लंबित 17 अप्रैल को उनके द्वारा दायर पुनर्विचार आवेदन के गैर-न्यायिकरण से भी व्यथित हैं।
जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने इस मामले की सुनवाई की और विल्सन के ओसीआई कार्ड रद्द करने के कारणों के बारे में केंद्र सरकार से जवाब मांगा।
मामले की अगली सुनवाई अब 07 अगस्त को होगी।
एडवोकेट वृंदा भंडारी, प्रज्ञा बरसैयां और माधव अग्रवाल के माध्यम से दायर अपनी याचिका में विल्सन ने प्रस्तुत किया कि उन्हें अधिकारियों द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों को साबित करने के लिए आज तक कोई भौतिक विवरण प्रदान नहीं किया गया है।
सीनियर एडवोकेट रेबेका एम. जॉन विल्सन के लिए पेश हुए।
याचिका में कहा गया,
"इससे उन्हें कारण बताओ नोटिस में विशिष्ट आरोपों के रूप में अपना बचाव करने और अपना मामला पेश करने से रोका गया, जिसके परिणामस्वरूप अंततः उनके ओसीआई कार्ड को रद्द कर दिया गया।"
यह आगे तर्क दिया गया कि लेखक और पत्रकार के रूप में मानवाधिकारों से संबंधित मुद्दों पर भारत सरकार सहित विभिन्न सरकारों के कार्यों पर टिप्पणी करना विल्सन का कर्तव्य है।
याचिका में कहा गया कि इस तरह की टिप्पणी या आलोचना उसके मौलिक अधिकारों और सूचना प्राप्त करने के भारतीय जनता के अधिकार के दायरे में है।
याचिका में कहा गया,
"याचिकाकर्ता के ओसीआई कार्ड को रद्द करने के कारण उसे गंभीर कठिनाइयों और मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि रद्दीकरण ने उसे अपने मूल देश के साथ स्थायी रूप से संबंध तोड़ने के लिए मजबूर किया। इसके अलावा, याचिकाकर्ता के ओसीआई कार्ड रद्द करने से भी उन्हें लंबे समय तक भारत आने से रोक दिया गया, जहां उन्हें भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं के बारे में एक पत्रकार के रूप में अपनी मां के लेखन के व्याख्यात्मक संग्रह को संकलित करने के लिए रिसर्च प्रोजेक्ट शुरू करनी है, जिसके लिए वह पहले से ही प्रकाशकों के साथ बातचीत कर रही है।“
केस टाइटल: अमृत विल्सन बनाम भारत संघ व अन्य।