हाईकोर्ट ने COVID-19 के दौरान तब्लीगी जमात के लोगों को पनाह देने के आरोप वाले 16 मामले किए रद्द

Shahadat

17 July 2025 9:57 AM

  • हाईकोर्ट ने COVID-19 के दौरान तब्लीगी जमात के लोगों को पनाह देने के आरोप वाले 16  मामले किए रद्द

    जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने भारतीय नागरिकों के खिलाफ दर्ज आरोपपत्रों को रद्द कर दिया और उनके खिलाफ दर्ज 16 FIR रद्द करने की उनकी याचिकाओं का निपटारा कर दिया।

    जज ने आदेश सुनाते हुए कहा,

    "आरोपपत्र रद्द किए जाते हैं।"

    इस मामले में 22 अप्रैल को फैसला सुरक्षित रख लिया गया था।

    याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व एडवोकेट आशिमा मंडला ने किया।

    जनवरी, 2022 में दिल्ली पुलिस ने याचिकाओं को रद्द करने का विरोध करते हुए कहा कि भारतीय नागरिकों ने न केवल दिल्ली सरकार द्वारा जारी निषेधाज्ञा का उल्लंघन किया है, बल्कि कोविड-19 के प्रसार में भी योगदान दिया।

    स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया,

    "याचिकाकर्ताओं पर तब्लीगी जमात के लोगों को ठहराने का आरोप लगाया गया, जो 31.03.2020 को हज़रत निज़ामुद्दीन के मरकज़ में पाए गए और मस्जिद सैय्यद रफ़ी, चांदनी महल के परिसर में रहने के लिए आए, जहाँ वे 31.03.2020 को पाए गए। तदनुसार, बिना किसी सामाजिक दूरी या स्वच्छता उपायों के मस्जिद परिसर में जमावड़े को प्रवेश देकर याचिकाकर्ताओं ने न केवल 31.03.2020 के धारा 144 आदेश और 22.03.2020 की जीएनसीटीडी अधिसूचना का उल्लंघन किया, बल्कि जानलेवा बीमारी COVID-19 के प्रसार में भी योगदान दिया।"

    याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश होते हुए मंडला ने तर्क दिया कि दिल्ली सरकार द्वारा जारी निषेधाज्ञा में धार्मिक सभाओं और धार्मिक समारोहों पर विशेष रूप से प्रतिबंध लगाया गया, लेकिन मस्जिदों या घरों में पाए गए लोगों को केवल आश्रय प्रदान किया गया।

    इससे पहले, अदालत ने पुलिस से पूछा था कि जब शहर में अचानक लॉकडाउन लगा दिया गया तो लोग कहां गए होंगे।

    Case Title: MOHD ANWAR & ORS. v. STATE NCT OF DELHI and other connected matters

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