दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका में फैमिली कोर्ट के न्यायाधीश के खिलाफ 'निंदनीय टिप्पणी' करने वाले व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्रवाई का आदेश दिया
Shahadat
17 Aug 2023 12:17 PM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपनी रजिस्ट्री को राष्ट्रीय राजधानी में फैमिली कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ निंदनीय आरोप लगाने वाले व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक अवमानना का मामला दर्ज करने का निर्देश दिया।
जस्टिस नवीन चावला ने कहा,
"रजिस्ट्री को याचिकाकर्ता के खिलाफ आपराधिक अवमानना का मामला दर्ज करने और माननीय चीफ जस्टिस के आदेशों के अधीन, इसे इस न्यायालय की उचित डिवीजन बेंच के समक्ष रखने का निर्देश दिया जाता है।"
व्यक्ति को 1 सितंबर को खंडपीठ के समक्ष व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश देते हुए अदालत ने प्रथम दृष्टया पाया कि पति को न्यायाधीशों को डराने-धमकाने के लिए उनके खिलाफ निंदनीय टिप्पणी करने की आदत है।
अदालत ने कहा,
"उपरोक्त अनुक्रम और रिकॉर्ड से यह मेरा प्रथम दृष्टया विचार है कि याचिकाकर्ता को अदालतों के पीठासीन अधिकारियों को डराने-धमकाने के लिए उनके खिलाफ निंदनीय टिप्पणी करने की आदत है। आम तौर पर अदालतें ऐसी रणनीति के आगे झुक जाती हैं और मजबूर होती हैं, याचिकाकर्ता के मामलों को इस दुर्भावनापूर्ण अभियान में घसीटे जाने के बजाय किसी अन्य अदालत में स्थानांतरित किया जाए।”
जस्टिस चावला प्रधान न्यायाधीश, फैमिली कोर्ट, रोहिणी अदालतों से प्राप्त संदर्भ पर रजिस्टर्ड याचिका पर विचार कर रहे थे, जिसके तहत न्यायाधीश ने अपने समक्ष लंबित वैवाहिक विवाद को सक्षम क्षेत्राधिकार के किसी अन्य न्यायालय में ट्रांसफर करने की मांग की।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि पति द्वारा दायर आवेदन "आक्रामक और असंयमित तरीके" से तैयार किया गया। इसलिए याचिका से हटने और स्थानांतरण की मांग की गई।
जस्टिस चावला ने कहा कि पति ने 15 जुलाई को दायर अपनी लिखित दलील में न्यायाधीश के खिलाफ विभिन्न निंदनीय और आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं।
अदालत ने कहा,
“याचिकाकर्ता आगे न्यायालय के कुछ कर्मचारियों के खिलाफ शिकायतों का संदर्भ देता है, जो माना जाता है कि प्रधान न्यायाधीश के साथ तैनात नहीं हैं। उनका कहना है कि इन कर्मचारियों के खिलाफ उक्त न्यायालय में जांच चल रही है। हालांकि, संदर्भ में ही यह दर्ज है कि फैमिली कोर्ट की सतर्कता समिति द्वारा जांच के बाद उक्त शिकायतों का निपटारा पहले ही किया जा चुका है।”
इसमें यह भी कहा गया कि पति कई अन्य अदालतों के खिलाफ बार-बार निंदनीय टिप्पणियां कर रहा है, जिससे न्यायाधीशों को मामलों को कुछ अन्य अदालतों में ट्रांसफर करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
जस्टिस चावला ने मामले को किसी अन्य अदालत में ट्रांसफर करने के न्यायाधीश के अनुरोध को खारिज करते हुए कहा,
“केवल इसलिए कि याचिकाकर्ता, जो व्यक्तिगत रूप से पेश होता है, न्यायाधीश के खिलाफ निंदनीय टिप्पणी करता है, प्रधान न्यायाधीश को उसे मामलों से अलग करने की मांग नहीं करनी चाहिए। साथ ही इसे किसी अन्य न्यायाधीश के पास ट्रांसफर करने की मांग नहीं करनी चाहिए। इसके बजाय, अदालत को याचिकाकर्ता के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, जिससे अदालत और कानून की महिमा बरकरार रखी जा सके।''
केस टाइटल: नरेंद्र भूटानी बनाम अंजलि भूटानी
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