दिल्ली हाईकोर्ट ने लंबित परीक्षाओं को रद्द करने संबंधी याचिका पर बार काउंसिल ऑफ इंडिया और डीयू की लॉ फैकल्टी को नाटिस जारी किये

LiveLaw News Network

3 Jun 2021 8:12 AM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने लंबित परीक्षाओं को रद्द करने संबंधी याचिका पर बार काउंसिल ऑफ इंडिया और डीयू की लॉ फैकल्टी को नाटिस जारी किये

    दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी की लॉ फैकल्टी के अंतिम वर्ष के छात्रों की चौथे सेमेस्टर की लंबित परीक्षाओं को रद्द करने और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के 29 अप्रैल 2020 के दिशानिर्देशों के अनुरूप वैकल्पिक तरीके से मूल्यांकन की मांग को लेकर विद्यार्थियों की याचिका पर नोटिस जारी किये हैं।

    पिछले वर्ष जारी यूजीसी के दिशानिर्देशों के तहत देश भर के विश्वविद्यालयों को कम्पोजिट स्कीम के अंतर्गत विद्यार्थियों का मूल्यांकन करने की अनुमति दी गयी थी। हालांकि बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) की ओर से 01 नवम्बर, 2020 को यूजीसी की गाइडलाइन से हटकर जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया था कि विधि छात्रों को अपने सभी लंबित परीक्षाओं में शामिल होना होगा।

    डीयू की लॉ फैकल्टी ने गत 31 मई 2021 को जारी अधिसूचना के जरिये घोषित किया है कि वह लंबित चौथे सेमेस्टर की परीक्षा 15 जुलाई, 2021 से आयोजित करेगी। हालांकि, याचिकाकर्ता-छात्रों ने कोर्ट को सूचित किया है कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने रिट संख्या (सिविल) 14839 / 2020 [ऋत्विक भारद्वाज बी. बनाम बार काउंसिल ऑफ इंडिया एवं अन्य] मामले में आठ फरवरी 2021 को बीसीआई की ओर से एक नवम्बर 2020 को जारी प्रेस विज्ञप्ति को निरस्त कर दिया है। इसलिए लॉ फैकल्टी द्वारा पिछले शैक्षणिक सत्र से लंबित परीक्षाएं आयोजित करने का कोई आधार नहीं है।

    यूनिवर्सिटी से तीन सप्ताह के भीतर जवाब की अपेक्षा की जाती है और कहा है कि "वह उपरोक्त परीक्षाओं के आयोजन की जरूरतों पर विचार करेगी।"

    याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज (एनएलयू) सहित ज्यादातर विधि कॉलेजों ने असाइनमेंट आधारित मूल्यांकन पर भरोसा जताया है, साथ ही अन्य कॉलेजों के विधि छात्रों तथा दिल्ली विश्वविद्यालय के अन्य पाठ्यक्रमों के विद्यार्थियों को यूजीसी की गाइडलाइन्स के अनुरूप किये गये मूल्यांकन के आधार पर प्रोमोट किया गया है, इसलिए उनके साथ भी समानता का व्यवहार किया जाये। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि COVID की खतरनाक दूसरी लहर तथा इसके भीषण परिणाम के बीच विद्यार्थियों को एक माह के भीतर कम से कम 10 और अधिकतमम 15 परीक्षाओं में हिस्सा लेना पड़ेगा।

    इसके जवाब में बीसीआई ने भारत के सभी लॉ स्कूलों में मूल्यांकन की प्रकृति पर विचार करने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गोविंद माथुर की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति बनायी है। बीसीआई की प्रेस रिलीज में परीक्षाएं आयोजित करने को लेकर बीसीआई की गाइडलाइन्स के संदर्भ में दिल्ली विश्वविद्यालय की लॉ फैकल्टी की डीन वंदना कुमारी द्वारा मांगी गयी जानकारी का उल्लेख किया गया है। कमेटी अपनी रिपोर्ट अगले सप्ताह तक सौंपेगी।

    इस मामले की अगली सुनवाई पांच जुलाई 2021 को होगी।

    सौम्या गुप्ता एवं अन्य बनाम फैकल्टी ऑफ लॉ, यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली एवं अन्य, रिट याचिका (सिविल) 5664/2021

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