दिल्ली हाईकोर्ट ने बाल विवाह को प्रारम्भ से ही निष्प्रभावी ('वॉयड एब इनिशियो') घोषित करने संबंधी याचिका पर नोटिस जारी किया

LiveLaw News Network

12 Jan 2021 5:00 AM

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने बाल विवाह को प्रारम्भ से ही निष्प्रभावी (वॉयड एब इनिशियो) घोषित करने संबंधी याचिका पर नोटिस जारी किया

    दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की खंडपीठ न बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 की धारा 3(1) को संविधान के अल्ट्रा वायरस घोषित करने के निर्देश संबंधी एक याचिका पर सोमवार को नोटिस जारी किया, क्योंकि यह धारा बाल विवाह को 'निष्प्रभावी करने योग्य' (वॉयडेबल) बताती है। याचिका में दिल्ली में बाल विवाह को 'प्रारम्भ से ही निष्प्रभावी' (वॉयड एब इनिशियो) घोषित करने की मांग स्पष्ट रूप से की गयी है।

    कानून के अनुसार, वॉयडेबल का अर्थ होता है किसी लेन देन या कार्य को दोनों पक्षों में से किसी एक के पीछे हटने से निरस्त किया जाना, जबकि वॉयड एब इनिशियो का अर्थ है वह लेन देन या कार्य शुरू से ही निष्प्रभावी माना जायेगा/ उसका कोई कानूनी प्रभाव नहीं होगा/ यह पूरी तरह से निरस्त माना जायेगा।

    खुद को उज्ज्वल भविष्य की छात्रा बताने वाली याचिकाकर्ता आयशा कुमारी ने 2018 में गुरू गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय से बी. एड. की डिग्री हासिल की थी और पिछले वर्ष अक्टूबर में उसने दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में एम. एड. कोर्स में प्रवेश के लिए परीक्षा दी थी। उसने दलील दी है कि उसे उस वक्त उसकी इच्छा के बगैर उसकी चाची के बेटे से जबरन निकाह कर दिया गया था जब वह 10वीं कक्षा में थी।

    उसने आगे कहा कि,

    "उसके पास अपने माता पिता और समुदाय की इच्छा के खिलाफ जाने का कोई विकल्प नहीं था और उसके आग्रह के बावजूद उसे बाल विवाह समारोह के लिए अपनी रजामंदी देनी पड़ी थी।"

    याचिकाकर्ता ने कोर्ट के पैरेन्स पार्टिआई (अर्थात स्वाभाविक अभिभावक) के अधिकार क्षेत्र के तहत उससे सुरक्षा मांगी है और इस तरह की शादी को निरस्त एवं निष्प्रभावी घोषित करके उसे कथित बाल विवाह की जटिलताओं से सुरक्षा प्रदान करने के लिए कोर्ट से हस्तक्षेप का अनुरोध किया है।

    पिछले वर्ष नवम्बर में आयशा के पति ने अपने माता पिता के साथ उससे सम्पर्क किया था और उसे गुजरात ले जाने की बात कर रहे थे। वह किसी तरह अपने माता पिता के घर से भागने में सफल रही थी और ठहरने के लिए एक अस्थायी ठिकाना ढूंढा था। उसी वक्त उसने हाईकोर्ट से अपनी सुरक्षा की गुहार लगाते हुए रिट याचिका दायर की थी।

    कर्नाटक सरकार द्वारा 2017 में बाल विवाह निषेध (कर्नाटक संशोधन) अधिनियम 2016 के तहत बाल विवाह को शुरू से ही निष्प्रभावी (वॉयड एब इनिशियो) किये जाने के निर्णय का हवाला देते हुए आयशा ने 'इंडिपेंडेंट थॉट बनाम भारत सरकार 2017 10 एससीसी 800' मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा जताया है और इनके आलोक में दिल्ली में भी बाल विवाह को शुरू से निष्प्रभावी करार दिये जाने की मांग की है।

    उसने कहा है कि दिल्ली सरकार द्वारा बाल विवाह को 'वॉयड एब इनिशियो' न घोषित करना सम्मान के साथ जीने के मौलिक और मानव अधिकार का उल्लंघन है।

    उसने कहा है,

    "पैरेन्स पैट्रियाई सिद्धांत के तहत सरकार बच्चों, खासकर नाबालिग लड़कियों के हितों की रक्षा के लिए बाध्य है, क्योंकि नाबालिग लड़कियां सर्वाधिक असुरक्षित हैं।"

    याचिका डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें




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