दिल्ली हाईकोर्ट ने पीड़िता के शादी करने पर राजी होने पर पॉक्सो मामले में आरोपी को जमानत दी

Shahadat

10 Feb 2023 5:44 AM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने पीड़िता के शादी करने पर राजी होने पर पॉक्सो मामले में आरोपी को जमानत दी

    दिल्ली हाईकोर्ट ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO Act) अधिनियम के तहत दर्ज मामले में 21 वर्षीय लड़के को जमानत दे दी। कोर्ट ने आरोपी यह जानने के बाद जमानत दी कि कथित अपराध के समय 17 वर्ष की रही पीड़िता ने कहा कि वह उससे शादी करना चाहती है। दंपति का पहले से एक बच्चा है, जो अब करीब 18 महीने का है।

    याचिकाकर्ता भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 363, 366, 366ए और 376 और पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत नवंबर 2021 में दर्ज मामले में 16 जनवरी तक एक साल से अधिक समय से हिरासत में है।

    याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने अदालत को बताया कि कथित अपराध किए जाने की तारीख पर पीड़िता की उम्र 17 साल थी और याचिकाकर्ता की उम्र 19 साल थी।

    वकील ने कहा,

    "दोनों के बीच संबंध सहमति से थे और दबाव या ज़बरदस्ती का कोई तत्व नहीं था। किसी भी तरह की हिंसा या हमले की तो बात ही छोड़ दीजिए।"

    धर्मेंद्र सिंह @ साहेब बनाम राज्य (एनसीटी, दिल्ली सरकार), बिजेंद्र महतो बनाम जीएनसीटी ऑफ दिल्ली और अन्य निर्णयों पर भरोसा किया गया, जिससे तर्क दिया जा सके कि अदालत ने लगातार यह माना कि पॉक्सो एक्ट से संबंधित मामलों में भी उदार दृष्टिकोण लिया जा सकता है, जहां यह प्रतीत होता है कि कथित अपराध के संबंध में "सहमति न होते हुए भी वास्तव में स्वीकृति थी; और आरोपी और पीड़िता के बीच उम्र का अंतर न्यूनतम है।"

    यह भी तर्क दिया गया कि चूंकि आरोप अभी तक तय नहीं किया गया, पॉक्सो एक्ट की धारा 29 की बाधा उत्पन्न नहीं होती।

    जस्टिस अनूप जयराम भंभानी ने अपने आदेश में दर्ज किया कि सुनवाई के दौरान अपने माता-पिता के साथ व्यक्तिगत रूप से मौजूद रही पीड़िता ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह याचिकाकर्ता से शादी करने की इच्छुक है, जिसके साथ उसका पहले से ही एक बच्चा है।

    आदेश में कहा गया,

    "पीड़िता आज भी अपने बयान पर कायम है।"

    अदालत ने यह भी दर्ज किया कि याचिकाकर्ता पीड़िता से शादी करने का भी इच्छुक है।

    कोर्ट ने कहा,

    "जो भी इसके लायक है, उसके माता-पिता को भी शादी से कोई आपत्ति नहीं है।"

    अदालत ने आरोपी को जमानत देते हुए कहा,

    "उपर्युक्त के मद्देनजर, और उद्धृत उदाहरणों के आलोक में इस अदालत का विचार है कि याचिकाकर्ता नियमित जमानत पाने का हकदार है।"

    केस टाइटल: आकाश बनाम राज्य राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और अन्य

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