टिकट मशीन चुराने और अवैध रूप से रिचार्ज किए गए स्मार्ट कार्ड बेचने के आरोपी DMRC इंजीनियर नहीं मिली राहत
Amir Ahmad
31 July 2025 3:23 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) में कार्यरत एक जूनियर इंजीनियर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। उस पर टिकट मशीन चुराने और अवैध रूप से रिचार्ज किए गए स्मार्ट कार्ड बेचने का आरोप है जिससे संगठन को 28 लाख रुपये का नुकसान हुआ।
जस्टिस सी. हरि शंकर और जस्टिस अजय दिगपॉल की खंडपीठ ने कहा कि जूनियर इंजीनियर का प्रयास शुरू से ही अपने खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही को निष्क्रिय करने का था न कि उसे आगे बढ़ने देने का।
न्यायालय ने जूनियर इंजीनियर द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें अनुशासनात्मक कार्यवाही रद्द करने और उस पर रोक लगाने की मांग की गई थी। साथ ही राष्ट्रीय रक्षा कोष में 25,000 रुपये का जुर्माना भी अदा करने का अनुरोध किया गया था।
अदालत ने कहा,
"तदनुसार, हम इस रिट याचिका को राष्ट्रीय रक्षा कोष में चार सप्ताह के भीतर 25,000 की लागत के भुगतान के साथ खारिज करते हैं। जुर्माने का भुगतान NDF पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन किया जाए। इसका प्रमाण तुरंत इस न्यायालय की रजिस्ट्री में दाखिल किया जाए।"
जूनियर इंजीनियर ने इसी तरह की राहत की मांग करते हुए केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में दायर अपनी याचिका की खारिज होने को चुनौती दी थी।
जनवरी, 2023 में उनके खिलाफ एक FIR दर्ज की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि उन्होंने DMRC परिसर से टिकट कार्यालय मशीन, जिसमें सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट, कार्ड रीडर और क्रिप्टो शामिल हैं। चुरा ली और उन्हें ग्रेटर नोएडा स्थित अपने आवास पर स्थापित कर लिया।
यह आरोप लगाया गया कि वह अवैध रूप से रिचार्ज किए गए स्मार्ट कार्ड जारी कर रहे थे जिन्हें निजी लाभ के लिए बेचा गया, जिसके परिणामस्वरूप DMRC को 28 लाख रुपये का नुकसान हुआ।
इसके बाद सितंबर, 2023 में उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की गई। बाद में DMRC ने दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (आचरण, अनुशासन और अपील) नियम, 2021 के नियम 42(6) का हवाला देते हुए अनुशासनात्मक कार्यवाही में उनके बचाव पक्ष के सहायक के रूप में वकील को नियुक्त करने के उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया।
उनकी याचिका खारिज करते हुए पीठ ने न्यायाधिकरण की इस टिप्पणी से सहमति व्यक्त की कि जूनियर इंजीनियर द्वारा 2021 के नियम 42(6) को दी गई चुनौती पूरी तरह से निराधार थी।
न्यायालय ने कहा कि यह चुनौती केवल अनुशासनात्मक कार्यवाही को लंबा खींचने का एक साधन थी। हम इस प्रयास की निंदा करते हैं।
यह देखते हुए कि आपराधिक मामले के समापन तक अनुशासनात्मक कार्यवाही पर रोक लगाने की उनकी प्रार्थना भी निराधार थी, न्यायालय ने कहा कि उस व्यक्ति के खिलाफ आरोप निस्संदेह गंभीर थे। इसलिए आपराधिक मुकदमे के समापन तक उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही पर रोक लगाने का कोई मामला मौजूद नहीं था।
टाइटल: विजेंद्र कुमार बनाम दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन और अन्य

