दिल्ली हाईकोर्ट ने NEET में न्यूनतम आयु शर्त के खिलाफ दायर याचिका खारिज की; 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया

LiveLaw News Network

17 Aug 2021 11:49 AM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने NEET में न्यूनतम आयु शर्त के खिलाफ दायर याचिका खारिज की; 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने NEET परीक्षा में बैठने के लिए न्यूनतम आयु से 13 महीने कम उम्र के होने के बावजूद परीक्षा में बैठने की अनुमति मांगने वाले छात्र की याचिका खारिज कर दी।

    हाईकोर्ट ने इसके साथ ही याचिकाकर्ता छात्र पर 10,000, रुपये का जुर्माना लगाया। जुर्माना की राशि को चार सप्ताह के भीतर डीएसएलएसए के यहां जमा करने का निर्देश दिया।

    2006 में जन्मे याचिकाकर्ता ने ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन 1997, नियम 4(1) पर नियमन को चुनौती दी थी। इस नियम के तहत NEET में शामिल होने के लिए न्यूनतम पात्रता आयु 17 वर्ष निर्धारित की गई है।

    उसने कहा कि वह परीक्षा में बैठने की निर्धारित आयु से केवल 12 महीने और 26 दिन कम उम्र का है, इसलिए उसे परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाए।

    उसने यह भी प्रस्तुत किया कि आक्षेपित नियम लगभग 20 वर्ष पुराना है। यह इस बात पर विचार नहीं करता है कि वर्तमान पीढ़ी "बेहद प्रतिभाशाली" है।

    याचिकाकर्ता के वकील, अधिवक्ता सुरेंद्र कुमार यादव ने तर्क दिया कि वर्तमान पीढ़ी की बुद्धि को ध्यान में रखते हुए न्यूनतम पात्रता आयु 15 वर्ष होनी चाहिए।

    मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल ने शुरुआत में टिप्पणी की,

    "अगर हम इसकी अनुमति देते हैं, तो कल कोई आकर कह सकता है कि अब पीढ़ी अधिक प्रतिभाशाली है, इसलिए इसे 12 साल या सात साल करें। हम इसे कैसे कर सकते हैं? यह एक नीतिगत मामला है।"

    न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने वकील यादव द्वारा याचिका पर जोर देते देख याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाया।

    उन्होंने कहा कि पात्रता मानदंड निर्धारित करना एक नीतिगत मामला है, जिसमें न्यायालय द्वारा हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है।

    इसके अलावा, अगर आज एक कम उम्र के छात्र को अनुमति दी जाती है, तो अदालत भविष्य में इसी तरह की याचिकाओं से भर जाएगी।

    बेंच ने अपने आदेश में कहा,

    "यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि अदालत की प्राथमिक भूमिका कानून की व्याख्या करना है, जहां कानून स्पष्ट रूप से स्पष्ट है। अदालत का कानून के बनने या उसकी प्रकृति से कोई संबंध नहीं है। एमबीबीएस में प्रवेश के वर्ष के 31 दिसंबर को या उससे पहले कट ऑफ आयु सीमा प्रतिवादी का एक नीतिगत निर्णय है। याचिकाकर्ता के वकील द्वारा उठाया गया तर्क यह है कि याचिकाकर्ता 12 महीने और 26 दिनों से कम उम्र का है जिसकी अनुमति दी जा सकती है। यह अनुमति नहीं है। अगर एक याचिकाकर्ता को अनुमति दी जाती है जो 12 महीने और 26 दिनों से कम उम्र का है, तो कल दूसरा याचिकाकर्ता अदालत में आ सकता है और वह कह सकता है कि वह 12 महीने और 30 दिनों से कम उम्र का है और फिर तीसरा याचिकाकर्ता आकर कह सकता है कि वह 12 महीने और 35 दिन कम उम्र का है। कोर्ट 1997 के नियमों का उल्लंघन करते हुए इस तरह के कम उम्र के छात्रों को NEET परीक्षा में शामिल होने की अनुमति नहीं दे सकता है।"

    प्रतिवादी की ओर से पेश वकील ने बताया कि 1997 के विनियम पुराने नहीं हैं, जैसा कि याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है, क्योंकि वर्ष 2018 में उनकी समीक्षा की गई थी।

    उन्होंने कहा कि निर्णयों की एक श्रृंखला है, जो उम्र में छूट के लिए ऐसी याचिकाओं को अस्वीकार करती है।

    केस शीर्षक: मास्टर आकाश यादव (नाबालिग) बनाम भारत संघ और अन्य।

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