दिल्ली हाईकोर्ट ने सीवर में मारे गए दो लोगों के परिजनों को 10 लाख रुपये नहीं देने पर डीडीए को लगाई फटकार

Shahadat

15 Nov 2022 10:51 AM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने सीवर में मारे गए दो लोगों के परिजनों को 10 लाख रुपये नहीं देने पर डीडीए को लगाई फटकार

    दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के आदेश का पालन करने में विफल रहने पर नाराजगी व्यक्त की, जिसमें उसे सितंबर में सीवर के अंदर ज़हरीली गैसों के सांस लेने के कारण मारे गए दो लोगों के परिवारों को 10 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया गया।

    चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने इसे "पूरी तरह से उदासीन रवैया" कहते हुए कहा:

    "हम उन लोगों के साथ व्यवहार कर रहे हैं, जो हमारे लिए काम कर रहे हैं, जिससे हमारा जीवन आरामदायक बना रहे। इस तरह और तरीके से अधिकारियों द्वारा उनसे निपटा जा रहा है ... बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।"

    चीफ जस्टिस शर्मा ने आगे टिप्पणी की,

    "...मेरा सिर शर्म से झुक गया है।"

    अदालत ने 6 अक्टूबर को डीडीए को दो मृतक व्यक्तियों के परिवारों को मुआवजा देने और आश्रितों के अनुकंपा नियुक्ति के दावे पर विचार करने का निर्देश दिया।

    डीडीए के वकील ने अदालत से कहा कि राशि का भुगतान करना दिल्ली सरकार का कर्तव्य है। वह इसके भुगतान के लिए जिम्मेदार नहीं है।

    यह देखते हुए कि देयता का प्रश्न बाद के चरण में तय किया जा सकता है, पीठ ने कहा कि डीडीए द्वारा मृतक के परिवारों को "एक रुपया भी नहीं" का भुगतान किया गया। हालांकि यह नोट किया गया कि दिल्ली सरकार ने 21 सितंबर को प्रत्येक परिवार को 1 लाख रुपये का भुगतान किया।

    अदालत ने उचित आदेश पारित करने के लिए डीडीए को 15 दिन का समय दिया।

    कोर्ट ने दिल्ली सरकार को दोनों व्यक्तियों के परिवारों को शेष 9 लाख रुपये जारी करने के लिए भी समय दिया।

    अदालत ने दिल्ली सरकार की दलील दर्ज की कि डीडीए उस मुआवजे को मिलाने की कोशिश कर रहा है, जो 2014 में सफाई कर्मचारी आंदोलन और अन्य बनाम भारत संघ के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर दिया गया। सरकार ने प्रस्तुत किया कि उसके द्वारा 5 मार्च, 2020 के कैबिनेट के एक फैसले के आधार पर अलग से मुआवजा दिया जा रहा है।

    दिल्ली सरकार से नवीनतम स्थिति रिपोर्ट मांगते हुए अदालत ने मामले को 2 दिसंबर को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

    पीटीआई की समाचार रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर में जिन दो लोगों की मौत हुई कि वह रोहित चांडिलिया है, जो दिल्ली विकास प्राधिकरण के फ्लैटों में सफाई कर्मचारी के रूप में काम करते है और अशोक कुमार, जो सुरक्षा गार्ड है।

    समाचार रिपोर्ट में कहा गया कि जब चंदिलिया सीवर के अंदर जाने वाला पहला व्यक्ति है तो अंदर जहरीली गैसों के कारण वह बेहोश हो गया। इसके बाद कुमार चंदिलिया को बचाने के लिए सीवर के अंदर गया, जहां वह भी बेहोश हो गया। दोनों लोगों को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।

    हाल ही में केंद्र ने दिल्ली हाईकोर्ट को सूचित किया कि सरकार द्वारा लाई गई विभिन्न पहलों के कारण सीवरों और सेप्टिक टैंकों की सफाई के दौरान दुखद दुर्घटनाओं की संख्या में काफी कमी आई है।

    वकील अमित साहनी द्वारा 2019 में दायर जनहित याचिका में केंद्र सरकार द्वारा अपने सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के माध्यम से संक्षिप्त हलफनामा दायर किया गया, जिसमें हाथ से मैला ढोने वालों के रूप में रोजगार निषेध और उनके पुनर्वास अधिनियम, 2013 का सख्ती से पालन करने की मांग की गई, जिससे सेप्टिक टैंक और सीवर की मैन्युअल सफाई के लिए जानमाल के नुकसान को रोका जा सके।

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