अफगा‌निस्तान में दोबारा नियुक्ति के लिए आईटीबीपी के जवानों ने दायर की याचिका, दिल्ली हाईकोर्ट ने जताई 'हैरानी'

LiveLaw News Network

9 Aug 2021 9:55 AM GMT

  • अफगा‌निस्तान में दोबारा नियुक्ति के लिए आईटीबीपी के जवानों ने दायर की याचिका, दिल्ली हाईकोर्ट ने जताई हैरानी

    Delhi High Court

    दिल्ली हाईकोर्ट ने अफगानिस्तान में फिर से तैनाती की मांग कर रहे इंडो ‌तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) के 30 जवानों की याचिकाओं को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि जवानों का वहां तैनाती का कोई निहित अधिकार नहीं है। जस्टिस राजीव सहाय एंडलॉ और जस्टिस अमित बंसल की खंडपीठ ने कहा कि तैनाती और पुनर्स्थापन प्रशासनिक कार्य है, जिनमें स्थिति के अनुसार फैसला किया जाता है।

    अदालत ने अफगानिस्तान की "खतरनाक स्थिति" को देखते हुए वहां फिर से तैनाती की मांग पर आश्चर्य भी व्यक्त किया। कोर्ट ने कहा, "उन्हें अफगानिस्तान में तैनात होने का कोई निहित अधिकार नहीं है, बल्कि हमें यह आश्चर्यचकित करता है कि अफगानिस्तान में मौजूदा स्थिति को देखते हुए याचिकाकर्ता वहां तैनात होने के इच्छुक हैं।"

    याचिकाकर्ताओं को अगस्त-सितंबर, 2020 और फरवरी, 2021 के बीच भारतीय महावाणिज्य दूतावास (सीजीआई), अफगानिस्तान में तैनात किया गया था। उनकी पोस्टिंग का कार्यकाल दो साल का था, हालांकि अफगानिस्तान में अशांति के कारण भारत सरकार ने अपने कार्यों को अस्थायी रूप से रोकने का निर्णय लिया और वहां नियुक्त याचिकाकर्ताओं को एहतियात के तौर पर भारत वापस भेजने का निर्णय लिया।

    याचिकाकर्ताओं ने उन्हें नए स्थान पर स्थानांतरित नहीं करने और उनके राजनयिक पासपोर्ट और वीजा को निलंबित नहीं करने का निर्देश देने की भी मांग की है।

    यह देखते हुए कि कर्मचारी ऑपरेशन बंद करने और उन्हें वापस लाने के सरकार के फैसले की शिकायत नहीं कर सकते हैं, कोर्ट ने कहा, "याचिकाकर्ता कोई शिकायत नहीं कर सकते हैं कि भारतीय दूतावास, काबुल में तैनात जिन आईटीबीपी कर्मियों ने याचिकाकर्ताओं की तुलना में अफगानिस्तान में अधिक समय बिताया है, या‌चिकाकर्ताओं के बजाया उन्हें वापस बुलाया जाना चाहिए। काबुल स्थित भारतीय दूतावास अब भी काम कर रहा है।"

    यह देखते हुए कि ऐसे मुद्दे प्रशासनिक हैं, कोर्ट का विचार था कि अदालतें यह तय नहीं कर सकतीं कि आईटीबीपी के कर्मियों को कहां और कैसे तैनात किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा, "यह प्रतिवादी, आईटीबीपी के साथ-साथ भारत सरकार के ऑपरेशन को संभालने जैसा होगा, जिसे करने के लिए अदालतें पूरी तरह से सुसज्जित नहीं हैं।"

    कोर्ट ने याचिका में कोई योग्यता नहीं पाई, हालांकि आईटीबीपी के वकील की ओर से पेश इस आशय के प्रस्तुतीकरण पर ध्यान दिया कि जिन याचिकाकर्ताओं की अफगानिस्तान में पोस्टिंग तीन महीने से कम समय तक रही है, उन्हें प्रतिवादी की पॉलिसी डॉक्यूमेंट्स, दिनांक 11 फरवरी, 2021, के संदर्भ में नई तैनाती के लिए माना जाएगा।

    केस टाइटिल: सुनील कुमार और अन्य बनाम महानिदेशक के माध्यम से भारत-तिब्बत सीमा पुलिस।

    आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


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