ट्रेडमार्क विवाद में 'गुलशन-ए-करीम' को राहत, 'करीम' नाम इस्तेमाल करने की मिली इजाज़त
Shahadat
7 Nov 2025 10:24 AM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुनाया कि "करीम" और "गुलशन-ए-करीम" दोनों ट्रेडमार्क समान हैं। हालांकि, गुलशन-ए-करीम के इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना अतिशयोक्ति होगी। कोर्ट ने मुरादाबाद स्थित एक रेस्टोरेंट को अपने नाम का इस्तेमाल जारी रखने की अनुमति दी, बशर्ते वह स्पष्ट रूप से बताए कि उसका दिल्ली स्थित प्रतिष्ठित करीम सीरीज से कोई संबंध नहीं है।
जस्टिस सी. हरिशंकर और जस्टिस अजय दिगपॉल की खंडपीठ ने तीस हज़ारी स्थित कॉमर्शियल कोर्ट द्वारा पहले दिए गए उस निषेधाज्ञा को संशोधित किया, जिसमें मुरादाबाद के रेस्टोरेंट को किसी भी रूप में "करीम" शब्द का इस्तेमाल करने से रोक दिया गया था। हाईकोर्ट ने कहा कि यह उपाय "आनुपातिक" होना चाहिए और दोनों पक्षों के हितों को संतुलित करना चाहिए।
करीम होटल्स प्राइवेट लिमिटेड पुरानी दिल्ली में 1913 में स्थापित "करीम'स" के कई रजिस्टर्ड ट्रेडमार्क का मालिक है और दिल्ली तथा अन्य शहरों में प्रसिद्ध मुगलई रेस्टोरेंट संचालित करता है।
दिसंबर, 2020 में कंपनी ने उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में "गुलशन-ए-करीम" चलाने वाले मोहम्मद तल्हा पर ट्रेडमार्क उल्लंघन और पासिंग ऑफ का आरोप लगाते हुए मुकदमा दायर किया। जनवरी, 2025 में कॉमर्शियल ने रेस्टोरेंट को "करीम" शब्द के इस्तेमाल पर रोक लगा दी।
इसको चुनौती देते हुए तल्हा ने तर्क दिया कि "करीम" सामान्य अरबी नाम है और उनका रेस्टोरेंट वर्षों से ग्राहकों को गुमराह किए बिना स्थानीय स्तर पर संचालित हो रहा है। उन्होंने कहा कि उनके ग्राहक दिल्ली सीरीज के ग्राहकों से अलग हैं।
हालांकि, करीम होटल्स ने तर्क दिया कि उसका ब्रांड प्रसिद्ध और विशिष्ट है। मुरादाबाद रेस्टोरेंट का नाम उपभोक्ताओं को दिल्ली ब्रांड के साथ जुड़ाव का विश्वास दिलाकर गुमराह कर सकता है।
हाईकोर्ट ने माना कि "करीम" और "गुलशन-ए-करीम" के बीच समानता भ्रम पैदा कर सकती है, क्योंकि दोनों ही समान व्यंजन परोसते हैं और समान ग्राहकों को लक्षित करते हैं।
अदालत ने कहा कि इन नामों के बीच दृश्य और ध्वन्यात्मक समानता अपूर्ण स्मरणशक्ति वाले औसत उपभोक्ता को भ्रमित कर सकती है। हालांकि, निर्दोष और जानबूझकर किए गए उल्लंघन के बीच अंतर करते हुए अदालत ने माना कि मुरादाबाद के रेस्टोरेंट द्वारा इस ट्रेडमार्क के स्थानीय उपयोग को देखते हुए एक आनुपातिक उपाय उचित था।
अदालत ने कहा,
"निर्दोष उल्लंघन के मामले में कोर्ट का दृष्टिकोण, अवज्ञाकारी उल्लंघन के मामले में दृष्टिकोण के समान नहीं हो सकता। साथ ही जहां प्रतिवादी द्वारा उल्लंघनकारी ट्रेडमार्क का उपयोग कुछ समय से किया जा रहा है, वहां कोर्ट के दृष्टिकोण में इस बात को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।"
अदालत ने कहा कि अगर मुरादाबाद का रेस्टोरेंट सभी साइनबोर्ड, मेनू, विज्ञापनों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर यह स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करे कि उसका दिल्ली के करीम से कोई संबंध नहीं है तो भ्रम की स्थिति से बचा जा सकता है।
तदनुसार, निषेधाज्ञा को संशोधित कर अनिवार्य अस्वीकरण के साथ “गुलशन-ए-करीम” के निरंतर उपयोग की अनुमति दी गई।
Case Title: Mohammad Talha v. M/s Karim Hotels Pvt. Ltd

