'बीयर की बोतलें और डिब्बे मिनटों की जांच में नहीं खरीदे जाते': ब्रेवरीज के बीच ट्रेडमार्क विवाद पर दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा

Shahadat

19 Sept 2022 12:20 PM IST

  • बीयर की बोतलें और डिब्बे मिनटों की जांच में नहीं खरीदे जाते: ब्रेवरीज के बीच ट्रेडमार्क विवाद पर दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा

    दिल्ली हाईकोर्ट ने बहुराष्ट्रीय शराब बनाने वाले कार्ल्सबर्ग के ट्रेडमार्क के समान ट्रेडमार्क का उपयोग करने के लिए टेन्सबर्ग ब्रेवरीज इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड और अन्य कंपनियों के खिलाफ अंतरिम निषेधाज्ञा पारित की।

    अदालत ने यह भी कहा कि प्रतिवादी द्वारा अपनाए जाने बोतल का आकार भ्रामक रूप से कार्ल्सबर्ग के समान प्रतीत होता है।

    जस्टिस नवीन चावला ने आदेश में कहा,

    "बीयर की बोतलें और डिब्बे सूक्ष्म जांच के साथ नहीं बल्कि अधिक आकस्मिक तरीके से खरीदे जाते हैं। अनजान उपभोक्ता के परीक्षण को अधूरी याद के साथ लागू करना, दो अंक और उनकी व्यापार पोशाक, प्रथम दृष्टया भ्रामक रूप से समान और धोखा देने और उपभोक्ता के भ्रमित होने की संभावना प्रतीत होती है।"

    जस्टिस नवीन चावला ने अंतरिम राहत की मांग वाली अर्जी पर कार्ल्सबर्ग ब्रेवरीज के पक्ष में फैसला सुनाते हुए यह भी कहा कि 'टेन्सबर्ग' और 'कार्ल्सबर्ग' के दो ट्रेडमार्क के बीच फोनेटिक समानता है।

    उन्होंने कहा,

    "ट्रेडमार्क की नियुक्ति भ्रामक रूप से समान है। प्रथम दृष्टया यह वादी के ट्रेडमार्क के करीब प्रतिवादी के आने के इरादे को दर्शाती है। बीयर की बोतलें और डिब्बे सूक्ष्म जांच के साथ नहीं खरीदे जाते हैं, लेकिन अधिक आकस्मिक रूप से खरीदे जाते हैं। अनजान उपभोक्ता के परीक्षण को लागू करने से दो अंक और उनकी व्यापार ट्रेडमार्क, प्रथम दृष्टया भ्रामक रूप से समान प्रतीत होती है और ऐसे उपभोक्ता को धोखा देने और भ्रमित करने की संभावना है।"

    कार्ल्सबर्ग ने 1949 में अपना ट्रेडमार्क रजिस्ट्रड किया था। उसने टेन्सबर्ग और अन्य कंपनियों के खिलाफ अदालत का रुख किया। अपनी शिकायत में कार्ल्सबर्ग ने आरोप लगाया कि निर्माता अपनी बीयर को भ्रामक रूप से समान बोतल में बेच रहा ताकि आम उपभोक्ताओं के मन में भ्रम पैदा हो।

    दूसरी ओर, टेन्सबर्ग ब्रेवरीज ने कार्ल्सबर्ग पर गलत बयानी का आरोप लगाया। उन्होंने तर्क दिया कि वे 2018 से उसके उत्पादों की मार्केटिंग कर रहे हैं। दोनों अंक अलग-अलग हैं, उन शब्दों के प्रयोग से भ्रम पैदा करने का कोई सवाल नहीं हो उठता।

    टेन्सबर्ग के खिलाफ प्रथम दृष्टया टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि कार्ल्सबर्ग अपने ट्रडमार्क के मालिक हैं और उसे उन्होंने सबसे पहले अपनाया है। इससे टेन्सबर्ग पर उनका अधिकार ज्यादा है, उनके विपरीत जिन्होंने केवल 2018 में भारत में अपना ट्रेडमार्क रजिस्टर्ड कराया।

    अदालत ने कहा,

    "वादी और प्रतिवादी की बीयर की बोतल और कैन का चित्रमय चित्रण यहां ऊपर पुन: प्रस्तुत किया गया। प्रथम दृष्टया, बोतल का आकार और प्रतिवादियों द्वारा अपनाया गया कैन भ्रामक रूप से वादी के समान प्रतीत होता है; इसके साथ बोतल के लिए एक ही रंग हरा और कैन के लिए हरा/सफेद रंग का इस्तेमाल किया गया है।"

    अदालत ने यह भी कहा कि उल्लंघन के दावे के अभियोजन में देरी इस तरह के उल्लंघन को जारी रखने की अनुमति देने का आधार नहीं हो सकती। इसने यह भी कहा कि अधिकांश प्रतिवादी ऐसी कंपनियां हैं, जिन्हें हाल ही में निगमित किया गया है।

    इस तर्क पर कि प्रत्यय 'बर्ग' के साथ विभिन्न ट्रेडमार्क हैं, अदालत ने कहा कि प्रतिवादियों को यह दिखाना होगा कि इन ट्रेडमार्क का उपयोग उत्पादों के विपणन के लिए किया जा रहा है।

    इसमें कहा गया,

    "... वर्तमान मामले में यह न केवल ट्रेडमार्क का उपयोग है, बल्कि उत्पाद का गेट-अप भी है, यानी बोतल और कैन जो प्रथम दृष्टया प्रतिवादियों की प्रतिष्ठा पर सवारी करने के इरादे को इंगित करता है और वादी की सद्भावना, जिससे अनजाने उपभोक्ताओं के मन में भ्रम और धोखा पैदा होता है।"

    मामले की अगली सुनवाई 19 अक्टूबर को होगी।

    टाइटल: कार्ल्सबर्ग ब्रेवरीज ए/एस बनाम टेन्सबर्ग ब्रेवरीज इंडस्ट्रीज प्रा. लिमिटेड और अन्य।

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