दिल्ली हाईकोर्ट ने एनएलयू, दिल्ली में स्‍थानीय निवासियों को 50 फीसदी आरक्षण देने के फैसले पर रोक लगाई

LiveLaw News Network

29 Jun 2020 6:53 AM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने एनएलयू, दिल्ली में स्‍थानीय निवासियों को 50 फीसदी आरक्षण देने के फैसले पर रोक लगाई

    दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, दिल्ली में 50% क्षैतिज आरक्षण लागू करने के फैसले पर रोक लगा दी। कोर्ट ने आदेश में कहा है कि इस वर्ष के एलएलबी, एलएलएम पाठ्यक्रमों में प्रवेश के संबंध में पिछले वर्षों जैसी यथास्थिति बनाई रखी जानी चाहिए।

    जस्टिस हिमा कोहली और सुब्रमनियम प्रसाद की खंडपीठ ने निर्देश दिया कि:

    'विश्वविद्यालय को 2 जुलाई से पहले एक नई प्रवेश अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया गया है, इसे अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करने के लिए भी निर्देशित किया गया है। प्रवेश प्रक्रिया के लिए आवेदन करने के इच्छुक छात्रों को नए सिरे से आवेदन करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है।'

    मामले से जुड़े अन्य सभी मुद्दों पर 18 अगस्त 2020 को सुनवाई की जाएगी।

    पिया सिंह की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि विश्वविद्यालय की आरक्षण नीति, उन छात्रों को 50% आरक्षण देती है, जिन्होंने दिल्ली स्थित संस्थान से डिग्री ली है, यह न केवल अनुच्छेद 15 (3) के तहत संवैधानिक जनादेश के खिलाफहै, बल्कि सभी उचित और तार्किक मानदंडों के खिलाफ है।

    यह दलील दी गई है कि दिल्ली स्थित संस्थान से अपनी योग्यता डिग्री पास करने वाले छात्रों को 50% आरक्षण देना बोधगम्य भिन्नता से बहुत दूर है। इसके अलावा, इस वर्गीकरण के पीछे कोई ऐसा उद्देश्य नहीं है, जिसे प्रतिवादी विश्वविद्यालय प्राप्त करना चाहता है।

    इसके अलावा, सीटों की संख्या बढ़ाए बिना ओबीसी को 22% आरक्षण और ईडब्ल्यूएस श्रेणी को 10% आरक्षण प्रदान किया जाने को भी चुनौती दी गई है, इसे असंवैधानिक और एमएचआरडी के दिशा-निर्देशों के खिलाफ बताया गया है।

    याचिका में कहा गया है, "चूंकि, याचिकाकर्ता सामान्य/अनारक्षित वर्ग से संबंधित है, और दिल्ली की स्थायी निवासी भी है और वह एनएलयू, दिल्ली से एलएलएम करने का इरादा रखती है; दिल्ली के छात्रों को 50% आरक्षण का प्रावधान, और बिना सीटों को बढ़ाए एलएलएम में 22% ओबीसी और 10% ईडब्ल्यूएस आरक्षण, उसकी भविष्य की संभावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। "

    याचिकाकर्ता ने कहा है कि पिछले शैक्षणिक वर्ष में यानी 2019-20 में एलएलएम के लिए कुल 70 सीटें थीं। इनमें से 15% सीटें एससी और 7.5% एसटी वर्ग के लिए आरक्षित थीं और पीडब्ल्यूडी के लिए 5% क्षैतिज रूप से आरक्षित थीं।

    2 मार्च 2020 को एनएलयू, दिल्ली ने शैक्षणिक वर्ष 2020- 21 के लिए स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के लिए अपना ई-प्रोस्पेक्टस जारी किया।

    जिसमें दिल्ली के छात्रों के लिए 50% आरक्षण का प्रावधान किया गया। साथ ही, शैक्षिक वर्ष 2020-21 से BALLB और LLM के कोर्सों के लिए 15% एससी और 7.5% एसटी आरक्षण के अलावा 22%ओबीसी & 10% इडब्‍ल्यूएस आरक्षण का प्रावधान किया गया।

    याचिका में कहा गया है,

    "दोनों शैक्षणिक सत्रों की सीट मैट्रिक्स का विश्लेषण करने के बाद यह स्पष्ट है कि पिछले वर्ष अनारक्षित वर्ग के लिए 64 सीटें थीं, लेकिन इस वर्ष अनारक्षित वर्ग के लिए केवल 30 सीटें अधिसूचित की गईं हैं। इसलिए, एनएलयू, दिल्ली ने एमएचआरडी की ओर से जारी दिशा-निर्देशों का घोर उल्लंघन किया है और सीटों में वृद्धि किए बिना ओबीसी और ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षण लागू किया गया है। "

    याचिकाकर्ता ने कहा है कि वह उस कानूनी स्रोत का पता नहीं लगा सकी है जिसके जर‌िए प्रतिवादी विश्वविद्यालय ने इस तरह की आरक्षण नीति को लागू करने की शक्ति प्राप्‍त की है, "क्योंकि यह कहीं नहीं प्रकाशित हुआ है कि एनसीटी दिल्ली की राज्य विधानसभा ने 50% आरक्षण से संबंधित कोई कानून बनाया है "। "इसलिए, एक कार्यकारी आदेश के जर‌िए आरक्षण का ऐसा प्रावधान करना अनुच्छेद 14 और 15 के खिलाफ है।"

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