दिल्ली कोर्ट ने मुस्लिम समुदाय के खिलाफ कथित सांप्रदायिक टिप्पणी के मामले में सूरज पाल अमू और यति नरसिंहानंद के खिलाफ दर्ज शिकायतों पर कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी

LiveLaw News Network

31 Aug 2021 11:26 AM GMT

  • दिल्ली कोर्ट ने मुस्लिम समुदाय के खिलाफ कथित सांप्रदायिक टिप्पणी के मामले में सूरज पाल अमू और यति नरसिंहानंद के खिलाफ दर्ज शिकायतों पर कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी

    दिल्ली की एक अदालत ने हाल ही में करणी सेना प्रमुख सूरज पाल अमू और डासना देवी मंदिर के पुजारी यति नरसिंहानंद सरस्वती के खिलाफ दर्ज दो शिकायतों पर कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है। मुस्लिम समुदाय के खिलाफ कथित "सांप्रदायिक भड़काऊ और विभाजनकारी टिप्पणी" करने के आरोप में दोनों के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई है।

    कानून के एक शिक्षक फैजल अहमद खान ने अधिवक्ता सरीम नावेद, कामरान जावेद और अंशु डावर के माध्यम से आपराध‌िक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से बयान देने के आरोप में दोनों के खिलाफ FIR दर्ज करने के लिए एसएचओ, जामिया नगर पुलिस स्टेशन को निर्देश देने की मांग की गई है।

    मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट रजत गोयल ने एसएचओ से कार्रवाई रिपोर्ट के माध्यम से जवाब मांगा कि क्या शिकायतकर्ता ने संबंधित पुलिस स्टेशन में कोई शिकायत दर्ज कराई थी और क्या ऐसी शिकायत दर्ज होने पर कोई कार्रवाई की गई थी। कोर्ट ने पूछा, "क्या इस संबंध में कोई अन्वेषण या जांच की गई है और यदि हां, तो अन्वेषण/जांच की स्थिति क्या है?"

    कोर्ट ने एसएचओ से यह जवाब भी दाखिल करने को कहा है कि इस मामले में कोई संज्ञेय अपराध होने की स्थिति में क्या कोई FIR दर्ज की गई है। कार्रवाई की रिपोर्ट 27 सितंबर तक मांगी गई है।

    सूरज पाल अमू के ‌खिलाफ शिकायत

    इस साल मई और जुलाई में हरियाणा के पटौदी शहर में आयोजित दो महापंचायतों में सूरज पाल अमू द्वारा की गई कथित सांप्रदायिक टिप्पणियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई है। यह आरोप लगाया गया है कि भाषण मुस्लिम समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और शांति भंग करने के इरादे से दिए गए थे।

    इसके अलावा, यह कहा गया है कि भाषण कैमरों की मौजूदगी में, इस जागरूकता के साथ दिए गए कि उन्हें देश भर में प्रकाशित, प्रसारित और देखा जाएगा। शिकायत में भारतीय दंड संहिता की धारा 153, 153ए, 153बी, 295ए, 298, 504, 505(1), 505(2) और 506 के तहत FIR दर्ज करने की मांग की गई है।

    यह भी आरोप लगाया गया है कि संबंधित एसएचओ ने अमू के खिलाफ FIR दर्ज करने के लिए शिकायतकर्ता द्वारा प्रस्तुत शिकायत पत्र की प्रति प्राप्त करने से इनकार कर दिया था और इस मामले में उसके खिलाफ कोई कार्रवाई शुरू नहीं की गई।

    शिकायत में कहा गया है , "अन्य टिप्पणियों के अलावा, आरोपी ने भीड़ से मुसलमानों की हत्या करने, विभाजन के दौरान जान गंवाने का बदला लेने और अंतरधार्मिक विवाह करने वालों की हत्या करने का आग्रह किया।" "आरोपी ने खुले तौर पर 'पाकिस्तानी कुत्तों', 'पाकिस्तान की औलाद', 'कसाई' और 'लव जिहाद' जैसे शब्दों और इस्तेमाल लक्षित समूह, यानी मुस्लिम समुदाय के खिलाफ किया।"

    नर‌सिंहानंद के खिलाफ शिकायत

    जुलाई में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में नरसिंहानंद के साक्षात्कार/प्रेस से बातचीत के आधार पर दी गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उन्होंने कहा कि कुछ शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ने वाले व्यक्ति "भारत के संविधान के प्रति सच्ची आस्था और निष्ठा नहीं रख सकते हैं या भारत की संप्रभुता और अखंडता को बनाए नहीं रख सकते हैं।"

    "..आरोपी ने जानबूझकर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और जामिया मिलिया इस्लामिया जैसे प्रमुख केंद्रीय विश्वविद्यालयों का अपमान किया, स्पष्ट रूप से मुस्लिम समुदाय को लक्षित किया गया क्योंकि ये संस्थान मुस्लिम समुदाय के साथ उनकी स्थापना के मामले में लोकप्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। साथ ही तथ्य यह है कि उनके वर्तमान प्रशासक बड़े पैमाने पर मुस्लिम हैं..।"

    इसके अलावा, शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि नरसिंहानंद ने मुसलमानों, उनके धार्मिक ग्रंथों के पूर्ण बहिष्कार का आह्वान किया और और "इस्लाम या इससे जुड़ी किसी भी चीज़ से मुक्त/ रहित राष्ट्र" की बात की। शिकायत में आईपीसी की धारा 153, 153ए, 153बी, 295ए, 298, 504, 505(1), 505(2) और 506 के तहत FIR दर्ज करने की मांग की गई है।

    शिकायत में कहा गया है , "आरोपी ने भीड़ से देशद्रोही पैदा करने और मुसलमानों के सभी पूजा स्थलों को नष्ट करने के लिए एएमयू पर बमबारी करने का आग्रह किया।"

    शीर्षकः फैजल अहमद खान बनाम सूरज पाल अमू; फैजल अहमद खान बनाम य‌ति नरसिंहानंद सरस्वती

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