दिल्ली की अदालत ने सोशल मीडिया पर सीएम केजरीवाल का मनगढ़ंत वीडियो पोस्ट करने पर संबित पात्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया

LiveLaw News Network

24 Nov 2021 12:42 PM GMT

  • दिल्ली की अदालत ने सोशल मीडिया पर सीएम केजरीवाल का मनगढ़ंत वीडियो पोस्ट करने पर संबित पात्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया

    दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा के खिलाफ सोशल मीडिया पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का मनगढ़ंत वीडियो पोस्ट करने के आरोप में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया।

    मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ऋषभ कपूर ने आम आदमी पार्टी (आप) से संबंधित आतिशी द्वारा दायर एक शिकायत मामले में आदेश पारित किया। उक्त शिकायत में आरोप लगाया गया कि वीडियो को पात्रा के ट्विटर हैंडल पर मुख्यमंत्री केजरीवाल के खिलाफ विरोध भड़काने के इरादे से पोस्ट किया गया था। मुख्यमंत्री केजरीवाल किसानों के संघर्ष में दृढ़ विश्वास रखते हैं।

    शिकायतकर्ता का मामला यह है कि 30.01.2021 को पात्रा ने ट्विटर पर कथित रूप से जाली और मनगढ़ंत वीडियो पोस्ट किया। इसमें दिखाया गया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कृषि कानूनों के समर्थन में बोल रहे हैं।

    यह भी कहा गया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट कथित छेड़छाड़ वाले वीडियो में भी केजरीवाल की प्रतिष्ठा को खराब किया गया है।

    आदेश में कहा गया,

    "ऊपर उल्लेख किए गए तथ्य स्पष्ट रूप से प्रकट करते हैं कि विवादित वीडियो को इस तरह से रंग देने के लिए हेरफेर/छेड़छाड़ की गई थी जैसे कि केजरीवाल कृषि कानूनों के पक्ष में अपने समर्थन दे रहे हैं। तथ्य यह है कि विवादित वीडियो को आरोपी के ट्विटर हैंडल से "तीनों कृषि बिलों के लाभ गिनाते हुए... सर जी" हेडिंग के साथ पोस्ट किया गया था। प्रथम दृष्टया यह साबित करता है कि इसे ट्विटर पर बिना किसी इरादे के प्रसारित किया गया, लेकिन इसका असल मकसद तीन कृषि बिलों का विरोध करने वाले किसानों को यह विश्वास दिलाने के लिए किया गया कि केजरीवाल कृषि कानूनों का समर्थन कर रहे हैं। इससे विरोध करने वाले किसानों के साथ आक्रोश की स्थिति को पैदा किया सकता है, जिसके परिणामस्वरूप पूरे देश में दंगे जैसी स्थिति हो सकती है।"

    अदालत का यह भी विचार था कि पुलिस द्वारा दायर एटीआर से स्पष्ट रूप से पता चला है कि विवादित वीडियो क्लिप ट्विटर द्वारा मैनिपुलेट मीडिया की केटैगिरी में है।

    "यदि आक्षेपित वीडियो क्लिप एक मैनिपुलेट मीडिया कैटेगरी का है तो जिन परिस्थितियों में प्रस्तावित आरोपी ने उसे अपने ट्विटर हैंडल पर पोस्ट किया है, उसकी पुलिस द्वारा जांच नहीं की गई है। इसके अलावा, पुलिस ने यह पता लगाने के लिए कोई जांच भी नहीं की कि क्या जांच के दौरान ट्विटर को जोड़कर विवादित वीडियो क्लिप पहले से ही पब्लिक डोमेन में उपलब्ध थी, ताकि प्रस्तावित आरोपी के इशारे पर उसके निर्माण/परिवर्तन को खारिज किया जा सके।"

    आक्षेपित और साथ ही रिकॉर्ड पर मूल वीडियो दोनों को देखते हुए न्यायाधीश ने निम्नलिखित टिप्पणियां कीं:

    -मूल वीडियो में जो 40 मिनट 52 सेकंड लंबी क्लिप है, 6:24 मिनट पर देखा जा सकता है कि केजरीवाल पत्रकार के सवाल का जवाब देते हुए कह रहे हैं कि भाजपा के नेताओं द्वारा कृषि कानूनों के समर्थन में दिए गए भाषणों में यह कहा गया था कि उक्त कानूनों के संचालन के कारण किसान अपनी जमीन नहीं खोएंगे, उन्हें दिया गया न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं खोएंगे, मंडी प्रणाली नहीं बदलेगी और किसान अपनी फसल को कहीं भी बेच सकते हैं। देश और मंडियों के बाहर इसे बेचने के विकल्प के साथ भी अच्छी कीमत मिलेगी। इस वीडियो में ही प्रत्येक वाक्य के अंत में केजरीवाल को यह कहते हुए देखा जा सकता है कि कृषि कानूनों के उपरोक्त उद्धृत लाभ उक्त कानूनों के संचालन से पहले से ही अस्तित्व में हैं।

    - फिर से वीडियो के 09:47 मिनट पर केजरीवाल को किसानों द्वारा प्रस्तावित समाधानों के संबंध में पत्रकार द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए देखा जा सकता है। इस संदर्भ में वह समर्थन में बोलते हुए देखे जा सकते हैं। एमएसपी उपायों पर केजरीवाल को स्पष्ट रूप से यह कहते हुए देखा जा सकता है कि यदि एमएसपी लागू होता है तो यह पिछले 70 वर्षों में बनाया गया सबसे क्रांतिकारी कानून होगा।

    - 18 सेकेंड की आपत्तिजनक वीडियो क्लिप में यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि मूल वीडियो में केजरीवाल द्वारा उद्धृत उपरोक्त रुख को रंग देने के लिए इस तरह से रखा गया जैसे कि वह कृषि कानूनों के समर्थन में बोल रहे हों।

    इस साल मार्च में कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निम्नलिखित पहलुओं पर की गई कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था:

    1. क्या शिकायतकर्ता द्वारा पुलिस के समक्ष कोई शिकायत दर्ज कराई गई?

    2. यदि कोई शिकायत दर्ज की गई है तो उस पर पुलिस द्वारा क्या कार्रवाई की गई?

    3. क्या शिकायतकर्ता द्वारा दी गई शिकायत पर कोई जांच की गई?

    4. क्या जांच के दौरान कोई संज्ञेय अपराध पाया गया?

    5. यदि कोई संज्ञेय अपराध पाया जाता है तो क्या पुलिस द्वारा कोई एफआईआर दर्ज की गई?

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