इंस्पेक्टर ने आरोपी को हिरासत में प्रताड़ित किया, डॉक्टर ने बनाई झूठी मेडिकल रिपोर्ट, अब दोनों के खिलाफ दर्ज होगी FIR
Shahadat
9 April 2025 10:15 AM

दिल्ली कोर्ट ने दिल्ली पुलिस इंस्पेक्टर और इंदिरा गांधी अस्पताल के जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर के खिलाफ आरोपी को हिरासत में प्रताड़ित करने और उसे कोई चोट न दिखाने वाली झूठी मेडिकल रिपोर्ट तैयार करने के मामले में FIR दर्ज करने का आदेश दिया।
पटियाला हाउस कोर्ट के एसीजेएम प्रणव जोशी ने एसएचओ को मामले की जांच करने और अपराध में शामिल पाए गए अन्य पुलिस अधिकारियों की भूमिका की भी जांच करने का निर्देश दिया। आरोपी को उसकी गिरफ्तारी के बाद 05 अप्रैल को अदालत में पेश किया गया। इंस्पेक्टर ने उसके लिए 10 दिन की हिरासत मांगी।
आरोप लगाया गया कि आरोपी अपने वोटर आईडी पर काठमांडू, नेपाल की यात्रा कर रहा था, लेकिन उसके दस्तावेजों की जांच के दौरान पता चला कि वह अपने भारतीय पासपोर्ट पर यूके गया, लेकिन उसके बाद उसने दूसरे भारतीय पासपोर्ट धारक की फर्जी पहचान बनाकर पुर्तगाली पासपोर्ट हासिल कर लिया।
पूछताछ करने पर आरोपी ने जज को बताया कि पुलिस हिरासत में उसे शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया। इसके बाद न्यायालय ने निजी तौर पर चैंबर में उसकी जांच की और उसके हाथ और पैर पर चोट के निशान पाए। जज का मानना था कि शारीरिक यातना के प्रथम दृष्टया आरोप पुष्ट होते हैं और उन्होंने उसे पुलिस हिरासत में भेजने से इनकार किया।
इंदिरा गांधी अस्पताल से आरोपी की एमएलसी में उसके शरीर पर कोई चोट नहीं पाई गई। हालांकि, जेल अधिकारियों की मेडिकल जांच रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि आरोपी के दाहिने पैर के तलवे, दाहिने और बाएं हाथ और बाएं कंधे पर चोटें थीं। इंस्पेक्टर और डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश देते हुए न्यायालय ने कहा कि आरोपी के शरीर पर मिली चोटें सीधे तौर पर उसके साथ हिरासत में हिंसा किए जाने का संकेत देती हैं।
जज ने कहा,
"हिरासत में हिंसा ऐसी चीज नहीं है, जिसे भारतीय कानूनी व्यवस्था के ढांचे के भीतर बर्दाश्त किया जाता है। भारतीय संवैधानिक न्यायालयों का यह लगातार मानना रहा है कि शारीरिक दुर्व्यवहार और हिंसा लोकतांत्रिक व्यवस्था की नींव पर प्रहार करती है, जहां व्यक्ति की स्वतंत्रता को पवित्र माना जाता है।"
उन्होंने कहा कि न केवल पुलिस अधिकारियों ने कानून द्वारा उन्हें दिए गए अधिकार का दुरुपयोग किया, बल्कि उन्होंने संज्ञेय अपराध भी किया।
अदालत ने कहा,
"पुलिस अधिकारियों के कृत्य प्रथम दृष्टया धारा 117/19/126 बीएनएस के अंतर्गत आते हैं। इसके अलावा, आरोपी की एमएलसी करने वाले इंदिरा गांधी अस्पताल के जूनियर रेजिडेंट डॉ. अमन गहलोत की भूमिका भी पुलिस अधिकारियों के साथ साजिश की तरह प्रतीत होती है। संबंधित डॉक्टर ने साजिश के अलावा जानबूझकर आरोपी की चोट को नजरअंदाज किया और धारा 256 बीएनएस के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए झूठी रिपोर्ट तैयार की।"
अदालत ने दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त, परिवहन रेंज को इस आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने और मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने का आदेश दिया।
अदालत ने आदेश दिया,
"इंदिरा गांधी अस्पताल के जूनियर रेजिडेंट डॉ. अमन गहलोत के खिलाफ मेडिकल प्रैक्टिशनर के रूप में अपने कर्तव्य के निर्वहन में उनके कदाचार के लिए जांच शुरू करने के लिए दिल्ली मेडिकल काउंसिल को एसएचओ पीएस आईजीआई एयरपोर्ट के माध्यम से आरोपी की एमएलसी की प्रति के साथ आदेश भेजा जाए।"