Delhi LG वीके सक्सेना मानहानि मामले में मेधा पाटकर के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी
Shahadat
23 April 2025 1:28 PM

दिल्ली कोर्ट ने बुधवार को नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता और सोशल एक्टिविस्ट मेधा पाटकर के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किए। वर्ष 2001 में विनय कुमार सक्सेना द्वारा उनके खिलाफ दर्ज कराए गए आपराधिक मानहानि मामले में उन्हें दोषी ठहराया गया। वीके सक्सेना वर्तमान में दिल्ली के उपराज्यपाल (Delhi LG) हैं।
साकेत कोर्ट के एडिशनल सेशन जज विशाल सिंह ने पाया कि पाटकर अदालत के समक्ष पेश होने के बजाय अनुपस्थित रहीं और जानबूझकर सजा के आदेश का पालन करने में विफल रहीं। जज ने कहा कि पाटकर की मंशा स्पष्ट है कि वह जानबूझकर अदालत के आदेश का उल्लंघन कर रही हैं, अदालत के समक्ष पेश होने से बच रही हैं और अपने खिलाफ पारित सजा की शर्तों को स्वीकार करने से भी बच रही हैं।
सजा के निलंबन का कोई आदेश नहीं होने का उल्लेख करते हुए अदालत ने कहा कि पाटकर को बलपूर्वक पेश करने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा है।
अदालत ने कहा,
"अगली तारीख तक दिल्ली पुलिस आयुक्त के कार्यालय के माध्यम से दोषी मेधा पाटकर के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी करें।"
कोर्ट ने कहा कि अगर पाटकर अगली तारीख पर सजा के आदेश की शर्तों का पालन करने में विफल रहती हैं तो अदालत को उदार सजा पर पुनर्विचार करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा और सजा के आदेश में बदलाव करना होगा।
पाटकर ने पिछले साल एमएम अदालत द्वारा दी गई अपनी सजा और दोषसिद्धि को चुनौती दी थी। अपील में उन्हें जमानत दे दी गई और उन्हें 5 महीने की कैद और 10 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाए जाने के आदेश को अगले आदेश तक निलंबित कर दिया गया।
पाटकर को भारतीय दंड संहिता, 1860 (IPC) की धारा 500 के तहत आपराधिक मानहानि के अपराध के लिए दोषी ठहराया गया। सक्सेना ने 2001 में पाटकर के खिलाफ मामला दर्ज किया था। उस समय वे अहमदाबाद स्थित एनजीओ नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के प्रमुख थे। सक्सेना ने 25 नवंबर, 2000 को "देशभक्त का असली चेहरा" शीर्षक से एक प्रेस नोट जारी कर पाटकर के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था।
प्रेस नोट में पाटकर ने कहा था,
"हवाला लेन-देन से दुखी वीके सक्सेना खुद मालेगांव आए, एनबीए की तारीफ की और 40,000 रुपये का चेक दिया। लोक समिति ने भोलेपन से तुरंत रसीद और पत्र भेजा, जो ईमानदारी और अच्छे रिकॉर्ड रखने को दर्शाता है। लेकिन चेक भुनाया नहीं जा सका और बाउंस हो गया। जांच करने पर बैंक ने बताया कि खाता मौजूद ही नहीं है।"
पाटकर ने कथित तौर पर कहा था कि 'सक्सेना कायर हैं, देशभक्त नहीं।'
उन्हें दोषी ठहराते हुए अदालत ने कहा था कि पाटकर की हरकतें जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण थीं, जिसका उद्देश्य सक्सेना की अच्छी छवि को खराब करना था और उनकी प्रतिष्ठा और साख को काफी नुकसान पहुंचा।
न्यायालय ने कहा था कि पाटकर के बयान, जिनमें उन्होंने सक्सेना को देशभक्त नहीं बल्कि कायर कहा था, तथा हवाला लेन-देन में उनकी संलिप्तता का आरोप लगाया, न केवल मानहानिकारक है, बल्कि नकारात्मक धारणा को भड़काने के लिए गढ़े गए थे।