एनआईए के आरोप पत्र दाखिल करने में विफल रहने के बाद दिल्ली की अदालत ने यूएपीए मामले में कश्मीरी युवाओं को डिफ़ॉल्ट जमानत दी
Sharafat
11 Nov 2022 1:00 PM IST
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम, 1967(यूएपीए) के तहत दर्ज एक मामले में आरोपी के खिलाफ वैधानिक अवधि के भीतर आरोपपत्र दायर करने में विफल रहने के बाद दिल्ली की एक अदालत ने 25 वर्षीय कश्मीरी युवक को डिफ़ॉल्ट जमानत दे दी।
पटियाला हाउस कोर्ट के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने फैयाज अहमद खान को जमानत दे दी, जिसे जांच एजेंसी ने 14 मई को जम्मू-कश्मीर में 'द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF)' साजिश मामले में विभिन्न छापेमारी के बाद गिरफ्तार किया था।
खान के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने की 180 दिनों की अवधि समाप्त होने के बाद उनके वकील तमन्ना पंकज ने सीआरपीसी की धारा 167 (2) के तहत जमानत की मांग करते हुए एक आवेदन दिया। एनआईए ने आवेदन का जवाब नहीं दिया।
कोर्ट ने आदेश में कहा,
"मामले की योग्यता में जाए बिना, आवेदक / आरोपी फैयाज अहमद खान @ तायस खान @ तायस सीआरपीसी की धारा 167 (2) के संदर्भ में एनआईए द्वारा आरोप पत्र दाखिल करने में चूक करने पर जमानत पर रिहा होने का हकदार है।"
अदालत ने खान को हर दूसरे रविवार को सुबह 10 बजे कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के स्थानीय पुलिस थाने में रिपोर्ट करने और अपना कॉन्टैक्ट नंबर देने का आदेश दिया है। यदि वह कुपवाड़ा जिले में अपने पैतृक गांव के बाहर किसी स्थान पर जाता है तो उसे स्थानीय एसएचओ को अग्रिम रूप से सूचित करना भी आवश्यक है।
खान और दो अन्य मुजम्मिल मुश्ताक भट और मुदासिर अहमद डार के खिलाफ पिछले साल नवंबर में भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 121 और 122 और यूएपीए की धारा 13, 17, 18, 18बी, 38 और 39 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
जांच एजेंसी ने आरोप लगाया था कि लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के कमांडर सज्जाद गुल जम्मू-कश्मीर और राष्ट्रीय राजधानी सहित देश के अन्य हिस्सों में हिंसक गतिविधियों में शामिल होने के लिए कश्मीरी युवाओं को सक्रिय रूप से कट्टरपंथी और भर्ती कर रहे हैं।
यह आरोप लगाया गया है कि गुल, अन्य सहयोगियों के साथ पूर्व निर्धारित लक्ष्यों की टोह लेने" के लिए जमीनी कार्यकर्ताओं की भर्ती कर रहा है और प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का समर्थन करने के लिए हथियारों का परिवहन कर रहा है।
एनआईए के अनुसार, जांच के दौरान यह पाया गया कि भट, खान और डार ने हथियार और रसायन खरीदकर भारत में आतंकी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए पाकिस्तान में टीआरएफ संचालकों से धन प्राप्त किया था। उन पर रसायनों के साथ आईईडी बनाने का आरोप है।
9 नवंबर को, एनआईए ने भट के खिलाफ एक पूरक आरोप पत्र दायर किया, जिसमें कहा गया कि आगे की जांच चल रही थी।
एपीसीआर इंडिया की मदद से वकील तमन्ना पंकज और प्रिया वत्स खान की ओर से पेश हुए। सरकारी वकील विशाल द्विवेदी एनआईए की ओर से पेश हुए।