कोर्ट ने सत्येंद्र जैन के घर से बरामदगी का दावा करने वाले भ्रामक पोस्ट के लिए ED की आलोचना की, कहा- निष्पक्ष होना ज़रूरी
Shahadat
1 Aug 2025 10:47 AM IST

दिल्ली कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा अपने सोशल मीडिया हैंडल पर आम आदमी पार्टी (AAP) नेता सत्येंद्र जैन के परिसरों की तलाशी के बारे में भ्रामक जानकारी पोस्ट करने के तरीके की आलोचना की।
7 जून, 2022 को ED ने एक्स पर पोस्ट किया कि उसने "सत्येंद्र कुमार जैन और अन्य" के परिसरों की तलाशी ली और 2.85 करोड़ रुपये की नकदी और 1.80 किलोग्राम सोने के सिक्कों सहित कई आपत्तिजनक दस्तावेज़ ज़ब्त किए। हालांकि, ये बरामदगी वास्तव में जैन के घर से नहीं हुई थी।
अदालत ने कहा कि ED के ट्वीट में जिस तरह से "सत्येंद्र कुमार जैन और अन्य के परिसरों में" वाक्यांश का इस्तेमाल किया गया, उससे "यह धारणा बनती है" कि नकदी और सोने सहित बरामदगी उनके परिसरों से हुई है।
न्यायालय ने आगे कहा कि जैन का स्पष्ट नाम लेने के बाद सूक्ष्म और अस्पष्ट तरीके से "और अन्य" वाक्यांश को शामिल करने से बरामदगी का श्रेय उन 'अन्य' लोगों को नहीं दिया जा सका, जिनके आवास छापेमारी अभियान में शामिल थे।
न्यायालय ने कहा,
"यह स्वीकार किया गया कि तलाशी के दौरान शिकायतकर्ता के घर से कोई भी बरामदगी नहीं हुई, ट्वीट के माध्यम से व्यक्त किया गया निहितार्थ तथ्यात्मक ढाँचे के बिल्कुल विपरीत है और प्रस्तुत जानकारी की सटीकता और सत्यता को महत्वपूर्ण रूप से कमज़ोर करता है।"
इस संदर्भ में, न्यायालय ने ज़ोर देकर कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) को निष्पक्ष रूप से कार्य करना चाहिए। उसके द्वारा सोशल मीडिया पर प्रसारित की जाने वाली कोई भी जानकारी सटीक और सनसनीखेज से मुक्त होनी चाहिए।
राउज़ एवेन्यू कोर्ट के स्पेशल जज जितेंद्र सिंह ने कहा कि तथ्यों को भ्रामक या निंदनीय बताना या किसी व्यक्ति को बदनाम करने या राजनीतिक रूप से पूर्वाग्रहित करने का इरादा न केवल एजेंसी की ईमानदारी को कमज़ोर करेगा, बल्कि सत्ता का दुरुपयोग भी हो सकता है, जो संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रतिष्ठा के अधिकार सहित व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
न्यायालय ने कहा,
"ED जैसी जांच एजेंसी का यह दायित्व है कि वह निष्पक्षता से कार्य करे और निष्पक्षता व उचित प्रक्रिया के सिद्धांतों का पालन करे। आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म सहित, लेकिन इन्हीं तक सीमित नहीं, किसी भी प्रकार की सूचना का प्रसार सटीक, भ्रामक न हो और सनसनीखेजता से मुक्त हो।"
न्यायालय ने ये टिप्पणियां जैन द्वारा वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी (BJP) सांसद बांसुरी स्वराज के खिलाफ दायर मानहानि की शिकायत खारिज करते हुए कीं, जो ED की पोस्ट के आधार पर की गई उनकी टिप्पणियों पर आधारित थी।
जैन ने अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा स्वराज के खिलाफ उनके मानहानि के मामले पर संज्ञान लेने से इनकार करने के आदेश को चुनौती दी थी।
AAP नेता ने आरोप लगाया कि स्वराज ने 5 अक्टूबर, 2023 को मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में उनकी छवि खराब करने के इरादे से उनके खिलाफ अपमानजनक बयान दिए।
जैन ने आरोप लगाया कि स्वराज द्वारा दिए गए कथित अपमानजनक बयान उनके घर पर ED द्वारा की गई छापेमारी के संदर्भ में दिए गए, जिसमें दावा किया गया कि उनके घर से 3 करोड़ रुपये नकद बरामद किए गए और 1.8 किलोग्राम सोना और 133 सोने के सिक्के भी जब्त किए गए।
जैन की पुनर्विचार याचिका खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि स्वराज के नाम से दिया गया बयान ED द्वारा अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से प्रकाशित एक ट्वीट का शब्दशः दोहराव था।
इसमें आगे कहा गया कि स्वराज ने न तो तथ्यों को गढ़ा था और न ही कोई भ्रामक जानकारी प्रसारित की थी; बल्कि, संबंधित बयान में केवल वही दोहराया गया, जो ED द्वारा आधिकारिक तौर पर बताया गया।
अदालत ने आगे कहा कि ऐसी कोई बाध्यता नहीं बताई गई या रिकॉर्ड में नहीं लाई गई कि स्वराज के पास सामग्री की सत्यता सत्यापित करने के लिए कोई स्वतंत्र साधन या दायित्व था, खासकर जब ट्वीट ईडी द्वारा की गई तलाशी से प्राप्त खोजी निष्कर्षों से संबंधित था।
अदालत ने कहा,
"दुर्भावनापूर्ण इरादे का संकेत देने वाली किसी भी सामग्री के अभाव में प्रथम दृष्टया यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि प्रस्तावित अभियुक्त ने शिकायतकर्ता को बदनाम करने या उसकी छवि खराब करने के इरादे से काम किया।"

