दिल्ली कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग नियमों के अनुपालन में वीसी मोड के माध्यम से साक्ष्य की रिकॉर्डिंग की अनुमति दी
LiveLaw News Network
11 July 2021 9:45 AM IST
दिल्ली की एक अदालत ने हाल ही में पक्षकारों की ओर से पेश किए गए एक पारस्परिक आवेदन पर वीडियो कांफ्रेंसिंग मोड के माध्यम से साक्ष्य की रिकॉर्डिंग की अनुमति दी है।
मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट देवांशु सजलान ने यह कहते हुए कि उपरोक्त प्रैक्टिस दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा बनाए गए वीडियो कांफ्रेंसिंग नियमों के अनुसार किया जाएगा, आदेश दिया:
"मौजूदा मामला '5 साल पुराना' मामला है। दोनों पक्षों ने वीसी के माध्यम से साक्ष्य दर्ज करने में आपसी इच्छा दिखाई है। तदनुसार, पार्टियों की ओर से पेश किए गए आपसी मौखिक आवेदन की अनुमति है।"
कोर्ट ने निर्देश दिया कि शिकायतकर्ता के एक्ज़ामिन की ऑडियो-विजुअल रिकॉर्डिंग को सुरक्षित रखा जाएगा। इसके अतिरिक्त, हैश मान वाली एक एन्क्रिप्टेड मास्टर कॉपी को भी रिकॉर्ड के एक हिस्से के रूप में बनाए रखने के लिए निर्देशित किया जाता है।
अदालत ने निर्देश दिया है,
"सिस्को वीबेक्स पर 'स्क्रीन शेयरिंग विकल्प' के माध्यम से साक्ष्य को ट्रांसक्रिप्ट किया जाएगा, ताकि दोनों पक्ष और उनके वकील वास्तविक समय में ट्रांसक्रिप्शन पढ़ सकें।"
यह देखते हुए कि वीसी के माध्यम से साक्ष्य रिकॉर्ड करने के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि साक्ष्य की रिकॉर्डिंग के दौरान व्यवधान की स्थिति में यदि ऐसा प्रतीत होता है कि गवाह या शिकायतकर्ता जानबूझकर अपना इंटरनेट कनेक्शन काट रहा है, तो अभ्यास स्थगित किया जा सकता है।
अदालत ने तर्क दिया,
".. अदालत इस तथ्य से अवगत है कि इंटरनेट कनेक्टिविटी के मुद्दों को गवाह के वकील द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब नहीं देने और गवाहों को प्रेरित करने के लिए एक बहाने के रूप में लिया जा सकता है।"
अन्य निर्देश इस प्रकार हैं:
-शिकायतकर्ता की जिरह के ट्रांसक्रिप्शन के निष्कर्ष पर शिकायतकर्ता को अदालत की आधिकारिक ईमेल-आईडी और शिकायतकर्ता के माध्यम से ट्रांसक्रिप्ट की एक सॉफ्ट कॉपी (अधीनस्थ अदालत के डिजिटल हस्ताक्षर वाले) प्रदान की जाएगी। उसका प्रिंट-आउट लेने के बाद ट्रांसक्रिप्ट पर अपने हस्ताक्षर करने होंगे।
-ट्रांसक्रिप्ट के प्रिंट-आउट पर अपने हस्ताक्षर करने के बाद शिकायतकर्ता को इसकी स्कैन की हुई प्रति न्यायालय की आधिकारिक ईमेल-आईडी पर भेजनी होगी।
-COVID-19 महामारी की वर्तमान स्थिति के कारण दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि शिकायतकर्ता को अपने साक्ष्य की रिकॉर्डिंग के लिए जिस स्थान से पेश किया जाएगा, उस स्थान पर एक 'समन्वयक' की प्रतिनियुक्ति करना उचित नहीं है।
-हालांकि, अनावश्यक व्यवधान रोकने के लिए शिकायतकर्ता के विद्वान वकील ने प्रस्तुत किया है कि वह यह सुनिश्चित करेंगे कि शिकायतकर्ता अपने घर से वीसी के माध्यम से अपने साक्ष्य की रिकॉर्डिंग के लिए उपस्थित हो, न कि शिकायतकर्ता के अधिवक्ता के कार्यालय परिसर/चैम्बर से।
-शिकायतकर्ता अपना साक्ष्य दर्ज करते समय मोबाइल फोन/किसी भी संचार उपकरण का उपयोग नहीं करेगा।
- इसके अलावा, शिकायतकर्ता को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसके पास एक उचित इंटरनेट कनेक्शन है ताकि उसके साक्ष्य की रिकॉर्डिंग के दौरान कोई व्यवधान न हो।
दिल्ली हाईकोर्ट के साथ-साथ जिला कोर्ट भी COVID-19 महामारी के मद्देनजर वीडियो कांफ्रेंसिंग मोड के माध्यम से तत्काल मामलों की सुनवाई कर रहे हैं।
केस शीर्षक: कंवल नैन सिंह मोखा बनाम रेखा खुराना
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