मानहानि का मामला| केजरीवाल की पुनर्विचार याचिका स्थानांतरित, गुजरात हाईकोर्ट ने 10 दिन में फैसला करने का निर्देश दिया

Avanish Pathak

29 Aug 2023 3:19 PM GMT

  • मानहानि का मामला| केजरीवाल की पुनर्विचार याचिका स्थानांतरित, गुजरात हाईकोर्ट ने 10 दिन में फैसला करने का निर्देश दिया

    गुजरात हाईकोर्ट ने प्रिंसिपल सेशंस सिटी सिविल कोर्ट, अहमदाबाद को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आप राज्यसभा सांसद संजय सिंह की ओर से दायर पुनरीक्षण याचिका को एक अलग अदालत में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया और अदालत को 10 दिनों के भीतर मामले का फैसला करने का आदेश दिया।

    स्थानांतरण का कारण यह है कि पुनरीक्षण याचिका पर विचार करने वाला पीठासीन अधिकारी वर्तमान में छुट्टी पर है।

    दरअसल, केजरीवाल और सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैक्षणिक डिग्री केजरीवाल पर कथित रूप से कई टिप्पणियां की थी, जिसके बाद गुजरात यूनियवर्सिटी ने उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि मामला दायर किया, जिसकी सुनवाई के संबंध में अहमदाबाद की एक मेट्रोपोलिटन अदालत ने उन्हें समन जारी किया, जिसे मौजूदा मामले में उन्होंने चुनौती दी है।

    ज‌टिस समीर दवे की पीठ ने सीनियर एडवोकेट मिहिर जोशी (केजरीवाल और सिंह के लिए), सीनियर एडवोकेट निरुपम नानावती (गुजरात यूनिवर्सिटी) और लोक अभियोजक मितेश अमीन को सुनने के बाद यह आदेश पारित किया।

    पृष्ठभूमि

    अहमदाबाद की एक मेट्रोपॉलिटन अदालत ने पहले केजरीवाल और सिंह के कथित अपमानजनक बयानों पर गुजरात यूनियवर्सिटी द्वारा दायर मानहानि मामले में दोनों को 11 अगस्त के लिए तलब किया था।

    इससे पहले, 5 अगस्त को, सिटी सिविल एंड सेशंस कोर्ट अहमदाबाद ने उनकी पुनरीक्षण याचिका का निपटारा होने तक मुकदमे की कार्यवाही पर रोक लगाने की उनकी याचिका खारिज कर दी थी।

    इस आदेश को चुनौती देते हुए, दोनों ने हाईकोर्ट का रुख किया, जहां उन्हें किसी भी अंतरिम राहत से इनकार कर दिया गया और मामले को आज (29 अगस्त) सुनवाई के लिए पोस्ट किया गया था।

    इसके बाद, वे सुप्रीम कोर्ट से भी कोई राहत पाने में असफल रहे और इसके बजाय, उन्हें शीर्ष अदालत ने अपनी लंबित याचिका में हाईकोर्ट के समक्ष अपनी शिकायतें उठाने के लिए कहा।

    मामला

    भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के तहत गुजरात यूनिवर्सिटी द्वारा अपने रजिस्ट्रार डॉ. पीयूष एम. पटेल के माध्यम से दायर आपराधिक शिकायत में, केजरीवाल और सिंह के कथित बयानों का हवाला दिया गया है, जिसमें उन पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में व्यंग्यात्मक और अपमानजनक बयान देने का आरोप लगाया गया है। ट्विटर हैंडल पर मोदी की डिग्री को लेकर यूनिवर्सिटी पर निशाना साधा जा रहा है।

    कथित बयान इस प्रकार है:

    "अगर डिग्री है और वो सही है तो डिग्री दी क्यों नहीं जा रही है...गुजरात और दिल्ली यूनिवर्सिटी डिग्री क्यों नहीं दे रही हैं? डिग्री इसलिए नहीं दे रहे हैं कि डिग्री हो सकता है फर्जी हो, डिग्री नकली हो...अगर प्रधानमंत्री जी दिल्ली विश्वविद्यालय से पढे, गुजरात यूनिवर्सिटी से पढे, तो गुजरात यूनिवर्सिटी को सेलीब्रेट करना चाहिए कि हमारा लड़का जो है देश का प्रधानमंत्री बन गया...वो उनकी डिग्री को छुपने की कोशिश कर रहे हैं...(यूनिवर्सिटी) प्रधानमंत्री की फर्जी डिग्री को सही साबित करने में जुट गई है...."

    शिकायत में आगे कहा गया है कि गुजरात हाईकोर्ट के आदेश के तुरंत बाद, केजरीवाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में गुजरात विश्वविद्यालय के खिलाफ अपमानजनक बयान दिए, जबकि उन्हें इस बात की जानकारी थी कि प्रधानमंत्री की डिग्री विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर बहुत पहले ही प्रकाशित हो चुकी है।

    इस साल अप्रैल में, अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट जयेशभाई चोवतिया ने पाया कि प्रथम दृष्टया, केजरीवाल और सिंह दोनों ने गुजरात विश्वविद्यालय को निशाना बनाया था क्योंकि उनके द्वारा कहे गए शब्द व्यंग्यात्मक थे और लोगों के मन में गुजरात विश्वविद्यालय की छवि को निशाना बनाने के लिए थे।

    कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि राजनीतिक पदाधिकारी अपने लोगों के प्रति अपना कर्तव्य पूरा करने के बजाय, अपनी व्यक्तिगत दुश्मनी या स्वार्थ के लिए विरोधियों या उसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोई कार्य करते हैं और यदि वे ऐसे कोई शब्द बोलते हैं। उन शब्दों को लोगों के भरोसे का उल्लंघन माना जाएगा और बोले गए शब्द व्यक्तिगत माने जाएंगे।

    इसी क्रम में न्यायालय ने उन्हें समन जारी कर न्यायालय के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया था।

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