(जेलों में भीड़) पुलिस ने दिया कैदियों के क्वारंटाइन का आश्वासन, मद्रास हाईकोर्ट ने पैरोल के आदेशों को लिया वापस
LiveLaw News Network
9 Jun 2020 9:39 AM GMT

Madras High Court
मद्रास हाईकोर्ट ने सोमवार को COVID -19 के बीच जेलों के मद्देनजर जेलों में भीड़ कम करने के लिए 26 मार्च, 2020 की समन्वित पीठ की ओर से पारित आदेश के बाद रिहा किए गए 11 दोषियों के पैरोल आदेशों को वापस ले लिया।
जस्टिस डॉ विनीत कोठारी और जस्टिस आर सुरेश कुमार की खंडपीठ ने आदेश दिया है कि पैरोल को वापस लिया जाए/ रद्द किया जाए और दोषी व्यक्तियों को 15 जून, 2020 को या उससे पहले संबंधित जेल अधीक्षकों के समक्ष आत्मसमर्पण करना चाहिए।
उक्त आदेश पुलिस महानिदेशक के आश्वासनों के मद्देनजर दिया गया गया, जिसमें उन्होंने कहा था कि पैरोल पर गए कैदी यदि जेलों में वापस आते हैं, तो उन्हें उचित जांच के बाद संबंधित जेलों के अलग-अलग ब्लॉक में क्वारंटाइन में रखा जाएगा।
एक जून को हाईकोर्ट ने पैरोल की अवधि 8 जून, 2020 तक बढ़ा दी थी और कहा था कि दोषियों से जुड़ा कलंक उन पर "प्रतिशोधी हमलों" को आकर्षित कर सकता है।
"यह कानून की तय स्थिति है कि एक बार, सजा से जुड़ा कलंक तब तक बना रहता है, जब तक कि इसे अपीलीय मंच द्वारा खत्म नहीं किया जाता है। एक बार एक व्यक्ति को दोषी ठहराए जाने के बाद, निर्दोषता की धारणा उसके लिए उपलब्ध नहीं है।
... अगर दोषी, विशेष रूप से, उम्रकैद की सजा पाया दोषी, इस अदालत की पैरोल / छुट्टी के अंतरिम आदेशों के कारण, बाहर रहता है कि तो बड़े पैमाने पर प्रतिशोधात्मक हमले की भी आशंका बनी रहती है।"
न्यायालय ने 8 जून, 2020 को पैरोल के विस्तार के आदेश पर पुनर्विचार करने का फैसला किया।
उक्त आदेश के माध्यम से, उच्च न्यायालय ने अन्य सभी अंतरिम आदेशों की अवधि 30 जून तक के लिए बढ़ा दी। मामले को आगे विचार के लिए 29 जून की तारीख तय की गई है।
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