गणना की तिथि पर फैसले के लिए जांच की आवश्यकता, मद्रास हाईकोर्ट ने नॉर्टेल सिद्धांत लागू किया, रिटायर्ड जज को मध्यस्थ नियुक्त किया
Avanish Pathak
5 Jan 2023 2:25 PM IST
मद्रास हाईकोर्ट ने मध्यस्थता और सुलह अधिनियम के तहत मध्यस्थ की नियुक्ति के लिए दायर धारा 11 आवेदन का निस्तारण करने के लिए भारत संचार निगम लिमिटेड और अन्य बनाम नॉर्टेल नेटवर्क्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में सुप्रीम कोर्ट की ओर से अपनाई गई प्रक्रिया का पालन किया।
उपरोक्त मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जब जरा भी संदेह नहीं है कि दावा पूर्व दृष्टया समय वर्जित है तो इसे मध्यस्थता के लिए भेजा जाना चाहिए। हालांकि, जब थोड़ा सा भी संदेह था तो मध्यस्थता के लिए संदर्भित करना नियम है।
प्रतिवादी कुक इंडिया मेडिकल डिवाइसेज प्राइवेट लिमिटेड ने अपने उपकरणों के वितरण के लिए याचिकाकर्ता कंपनी राधा मेडिटेक के साथ समझौता किया। इसके बाद दोनों के बीच मध्यस्थता विवाद सामने आया, जिसकी वजह से 7 जून 2016 को कुक ने अनुबंध समाप्त कर दिया। इसके बाद, राधा ने 27 अक्टूबर 2017 को नहीं बिके उत्पादों को कुक को वापस कर दिया।
मध्यस्थता विवादों के कारण, राधा ने मध्यस्थता खंड का उपयोग किया और 6 अक्टूबर 2021 को कुक को नोटिस भेजा। कुक ने 21 अक्टूबर 2021 के नोटिस का जवाब दिया और योग्यता के आधार पर मध्यस्थता विवादों से इनकार किया और नोटिस को वापस लेने के लिए कहा।
जस्टिस एम सुंदर ने कहा कि वर्तमान मामले में, प्राथमिक विचार यह था कि क्या मामला "पूर्व-दृष्टया समय सीमा बाधित" था। इसके लिए गणना की तारीख देखनी थी। हालांकि, गणना की तारीख बहस योग्य थी क्योंकि अनुबंध की समाप्ति के बाद बेची गई वस्तुओं को तुरंत वापस नहीं किया गया था। लौटाने के बाद ये सामान खराब हालत में पाए गए और राधा को उन्हें वापस कर दिया गया। हालांकि राधा ने दावा किया कि यह समाप्ति के बाद की बाध्यता थी, अदालत ने कहा कि यह कानून और तथ्य का मिश्रित प्रश्न था।
अदालत ने कहा कि चूंकि परिसीमा अधिनियम के अनुच्छेद 137 और अनुच्छेद 55 में "पहले संचय" या "पहले उल्लंघन" की तारीख के बारे में बात नहीं की गई है, इसलिए गणना की तारीख तय करने के लिए कुछ जांच की जानी चाहिए ताकि यह तय किया जा सके कि क्या दावा परिसीमा प्रतिबंधित था।
अदालत ने तब नॉर्टेल सिद्धांत लागू किया और नोट किया कि चूंकि गणना की तारीख के संबंध में संदेह थे, जिस पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता थी, उचित बात यह थी कि मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा जाए।
कोर्ट ने विद्या ड्रोलिया और अन्य बनाम दुर्गा ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी अनुपालत किया, जिसमें तीन-जजों की पीठ ने कहा था कि जब भी कोई संदेह हो, धारा 11 के संदर्भ का पालन किया जाना चाहिए।
चूंकि पक्षों ने मध्यस्थ नियुक्त के लिए सहमत प्रक्रिया का पालन नहीं किया था, इसलिए कोर्ट ने अपने फैसले में मद्रास हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस के चंद्रू को एकमात्र मध्यस्थ नियुक्त किया और उनसे अनुरोध किया कि वे पक्षों के बीच विवादों पर निर्णय लें।
केस टाइटल: एम/एस राधा मेडिटेक बनाम मैसर्स कुक इंडिया मेडिकल डिवाइसेस प्राइवेट लिमिटेड
साइटेशन: 2023 लाइवलॉ (Mad) 6
केस नंबर: Arb O.P.(Com. Div.) No.299 of 2021