अनुकंपा नियुक्ति पाने के लिए दिए गए वचन कि सास को चिकित्सा सहायता और भरणपोषण दिया जाएगा, से बहू बंधी हुई हैः कलकत्ता हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

21 Jan 2022 10:30 AM GMT

  • अनुकंपा नियुक्ति पाने के लिए दिए गए वचन कि सास को चिकित्सा सहायता और भरणपोषण दिया जाएगा, से बहू बंधी हुई हैः कलकत्ता हाईकोर्ट

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक मामले में कहा कि अनुकंपा नियुक्ति प्राप्त करने के लिए दिए गए वचन कि सास को चिकित्सा सहायता और भरणपोषण प्रदान किया जाएगा, से बहू बंधी हुई है।

    अदालत ने 80 वर्षीय विधवा (अपीलकर्ता) की याचिका पर फैसला सुनाया, जिसके पति का काफी समय पहले निधन हो गया था। उसका बेटा बजदुलाल मंडल प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक के रूप में कार्यरत था। दुर्भाग्य से 14 अक्टूबर 2014 को उसका भी निधन हो गया। इसके बाद बहू (प्रतिवादी संख्या 9) ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया। साथ में उसने 25 जुलाई, 2016 की तारीख का हलफनामा भी दिया, जिसमें कहा गया कि वह भविष्य में अपीलकर्ता को चिकित्सा सहायता और भरणपोषण प्रदान करने की जिम्मेदारी वहन करेगी।

    चीफ जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और जस्टिस राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ ने कहा,

    "एक बार प्रतिवादी संख्या 9 ने अपीलकर्ता को चिकित्सा सहायता और भरणपोषण प्रदान करने का हलफनामा देकर अनुकंपा नियुक्ति प्राप्त की थी तो वह इससे बंधी हुई है।"

    अपीलकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा, अपीलकर्ता का एकमात्र जीवित पुत्र बेरोजगार है और उसकी देखभाल करने की स्थिति में नहीं है। उन्होंने दलील दी कि कि एक बार जब बहू ने हलफनामा देकर अनुकंपा नियुक्त‌ि प्राप्त की है तो वह पलट नहीं सकती और अपीलकर्ता की उपेक्षा नहीं कर सकती।

    मौजूदा मामले में अपीलकर्ता ने एक रिट याचिका दायर की थी, जिसका 18 सितंबर, 2017 को एक आदेश जर‌िए निस्तारण किया गया था, जिसमें अपीलकर्ता को जिला स्कूल निरीक्षक के समक्ष एक विस्तृत प्रतिनिधित्व दर्ज करने की स्वतंत्रता दी गई थी और जिला स्कूल निरीक्षक को प्रतिनिधित्व तय करने निर्देश दिया गया था।

    हालांकि, अपीलकर्ता की ओर से 14 नवंबर, 2017 को दिए अभ्यावेदन को जिला स्कूल निरीक्षक (पीई) ने 14 दिसंबर, 2017 के आदेश के जर‌िए खारिज कर दिया था, जिसके कारण अपीलकर्ता ने 2018 में एक और रिट याचिका दायर की, जिसमें अदालत ने अपीलकर्ता को एक नया प्रतिनिधित्व दायर करने की अनुमति दी थी और उपयुक्त प्राधिकारी को उस पर विचार करने का निर्देश दिया था।

    दायर किए गए अभ्यावेदन पर कोई प्रतिक्रिया नहीं प्राप्त होने पर अपीलकर्ता ने फिर से अदालत का दरवाजा खटखटाया, हालांकि एकल पीठ ने यह विचार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया था कि अपीलकर्ता का लगभग 37 वर्ष का बेटा उसकी देखभाल करने की स्थिति में है। इसके बाद मौजूदा अपील दायर की गई।

    अदालत ने याचिका का निस्तारण करते हुए कहा,

    "हम अपीलकर्ता को प्रतिवादी संख्या 6 के समक्ष उपयुक्त विस्तृत प्रतिनिधित्व दायर करने की स्वतंत्रता देते हुए मौजूदा अपील का ‌निस्तारण करते हैं, जो अपीलकर्ता की शिकायत पर विधिवत विचार करेगा और अपीलकर्ता को एक अवसर देने के बाद एक उचित आदेश पारित करेगा..."

    केस शीर्षक: दुर्गाबाला मंडल बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और अन्य।

    केस सिटेशन: 2022 लाइव लॉ (Cal) 9.

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