कस्टोडियल डेथ: त्रिपुरा हाईकोर्ट ने 27 वर्षीय पीड़ित के परिवार के सदस्यों को 10 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया

Brij Nandan

24 Jun 2022 6:27 AM GMT

  • कस्टोडियल डेथ: त्रिपुरा हाईकोर्ट ने 27 वर्षीय पीड़ित के परिवार के सदस्यों को 10 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया

    त्रिपुरा हाईकोर्ट (Tripura High Court) ने बुधवार को राज्य सरकार को जमाल हुसैन के परिवार के सदस्यों को 10 लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया, जिसकी कथित तौर पर पुलिस लॉकअप में हिरासत में यातना (Custodial Death) के कारण मौत हो गई थी।

    चीफ जस्टिस इंद्रजीत महंती और जस्टिस सत्य गोपाल चट्टोपाध्याय की खंडपीठ ने आदेश दिया कि मृतक की विधवा, बच्चे और मां मुआवजे की राशि के बराबर हिस्से की हकदार होंगी।

    क्या है पूरा मामला?

    27 वर्षीय जमाल हुसैन (पीड़ित) दुबई में एक क्लीनर के रूप में सेवा कर रहा था और सितंबर 2021 के महीने में अपनी मां, पत्नी और बच्चों सहित अपने परिवार के साथ छुट्टियों का आनंद लेने के लिए घर आया था।

    उनका 22 सितंबर, 2021 को दुबई लौटने का कार्यक्रम था। हालांकि, 14 सितंबर, 2021 को रात करीब 11.30 बजे 6/7 पुलिस कर्मियों वाली एक पुलिस टीम उसके घर आई, उसे पकड़ा और उसकी पिटाई शुरू कर दी और इसके बाद वे उसे थाने ले गए।

    अगले दिन परिजनों को सूचना दी गई कि हुसैन की लॉकअप में मौत हो गई है।

    यह आरोप लगाया गया कि उस पर की गई यातना के परिणामस्वरूप, जमाल हुसैन, जो अपनी गिरफ्तारी से पहले पूरी तरह से फिट था, की गिरफ्तारी के कुछ घंटों के भीतर पुलिस लॉकअप में मृत्यु हो गई। मृतक की पत्नी ने भी आईपीसी की धारा 304 के साथ पठित 34 के तहत लिखित प्राथमिकी दर्ज कराई है।

    वर्तमान रिट याचिका के साथ अदालत में जाते हुए याचिकाकर्ताओं ने जमाल हुसैन की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने और पचास लाख रुपये के मुआवजे की मांग की थी।

    कोर्ट की टिप्पणियां

    अदालत ने पीड़िता की पत्नी द्वारा पुलिस लॉकअप में पति की मौत के तुरंत बाद दर्ज प्राथमिकी में किए गए बयानों को ध्यान में रखा। कोर्ट ने यह भी कहा कि मामले की मजिस्ट्रेट जांच से यह निष्कर्ष निकला है कि पीड़ित लॉकअप के अंदर मृत पाया गया था।

    अदालत ने मजिस्ट्रेट जांच के दौरान एक रंजीत देबनाथ द्वारा दिए गए बयान को भी ध्यान में रखा, जो एक अन्य मामले में एक आरोपी के रूप में मृतक जमाल हुसैन के साथ एक ही लॉकअप में था।

    उसने बताया कि जब उसे थाने लाया गया तो उसने पीड़ित की तेज दर्द भरी आवाजें सुनी थीं। उसके द्वारा आगे बताया गया कि जमाल काफी देर तक रोता रहा। उन्हें सीने में तेज दर्द की शिकायत थी।

    जब वह सुबह उठा, तो उसने देखा कि संतरी गार्ड जमाल को जगाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन वह नहीं उठा। इसके बाद पुलिस कर्मी लॉकअप में दाखिल हुए। थोड़ी देर बाद उसे पता चला कि जमाल हुसैन की मौत हो गई है।

    तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि मृतक को हिरासत में प्रताड़ित करने के आरोप से इनकार नहीं किया जा सकता है।

    अदालत ने आगे कहा कि मृतक जमाल हुसैन को गिरफ्तार किए जाने के समय मां और साथ ही मृतक की पत्नी भी मौजूद थीं और उन्होंने पुलिस कर्मियों को फंसाने के लिए स्पष्ट बयान दिए थे।

    अदालत ने आगे टिप्पणी की,

    "मामले के इन बेहद संदिग्ध तथ्यों और परिस्थितियों में, मृतक पर हिरासत में हिंसा, जैसा कि आरोप लगाया गया है, को खारिज नहीं किया जा सकता है। ऐसा कहने के बाद, हमारा विचार है कि पुलिस लॉकअप में जमाल हुसैन की मौत के लिए याचिकाकर्ता उचित राशि का मौद्रिक मुआवजा देना उचित होगा।"

    तदनुसार, अदालत ने राज्य के प्रतिवादियों को निर्देश दिया कि जमाल हुसैन की हिरासत में मौत के लिए याचिकाकर्ताओं को मुआवजे के रूप में दस लाख रुपये की राशि चार सप्ताह की अवधि के भीतर इस अदालत की रजिस्ट्री के पास जमा कर दी जाए।

    केस टाइटल - राशेदा खातून एंड अन्य बनाम त्रिपुरा राज्य एंड अन्य

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