राज्यव्यापी प्रतिबंध के बावजूद बढ़ रही हैं गोहत्या की घटनाएं, यूपी पुलिस ऐसे मामलों की जांच में गंभीर नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

Shahadat

22 Nov 2023 7:48 AM GMT

  • राज्यव्यापी प्रतिबंध के बावजूद बढ़ रही हैं गोहत्या की घटनाएं, यूपी पुलिस ऐसे मामलों की जांच में गंभीर नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह यूपी गोहत्या निवारण अधिनियम, 1955 (U.P. Prevention of Cow Slaughter Act, 1955) के तहत दर्ज एफआईआर की जांच में राज्य पुलिस की ढिलाई पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की।

    कोर्ट ने यह भी कहा कि गोहत्या पर राज्यव्यापी प्रतिबंध के बावजूद ऐसे मामले बढ़ रहे हैं और जब भी ऐसे मामलों में एफआईआर दर्ज की जाती है तो यूपी पुलिस इसे लेकर लचीला रवैया अपनाती है।

    जस्टिस शेखर कुमार यादव की पीठ ने ये टिप्पणियां सैफ अली खान नामक व्यक्ति द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कीं, जिनके पास कथित तौर पर वर्ष 2019 में 1.5 क्विंटल गाय का मांस पाया गया था। उस पर एक्ट की धारा 3, 5 और 8 के तहत मामला दर्ज किया गया।

    हालांकि, यह देखते हुए कि एफआईआर की जांच अब तक पूरी नहीं हुई है, हाईकोर्ट ने पुलिस आयुक्त, प्रयागराज को 30 नवंबर को हलफनामे के साथ अदालत में उपस्थित होने का निर्देश दिया, जिसमें बताया गया कि गाय के कितने मामले हैं। 2019 के बाद से प्रयागराज जिले में कितने वध दर्ज किए गए हैं और ऐसे कितने मामलों की जांच अभी भी चल रही है।

    आदेश दिया गया कि अगली तारीख पर पुलिस आयुक्त, प्रयागराज को हलफनामे के साथ इस अदालत के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना होगा, अन्यथा, राज्य सरकार के गृह सचिव को एक हलफनामे के साथ इस अदालत के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना होगा। 2019 के बाद से राज्य भर में इन मामलों में दर्ज की गई एफआईआर की स्टेटस रिपोर्ट अन्यथा अदालत उनके खिलाफ आदेश पारित करने के लिए मजबूर होगी।”

    कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे मामले आए दिन कोर्ट के सामने आते हैं। हालांकि उत्तर प्रदेश में गोहत्या पर प्रतिबंध है, इसके बावजूद राज्य में गायों का वध किया जा रहा है।

    कोर्ट ने कहा कि ऐसी घटनाओं को समय पर नहीं रोका जा रहा है, इससे ऐसा लगता है कि पुलिस विभाग ऐसे मामलों में गंभीर नहीं है, जिसका सीधा फायदा ऐसे अपराधियों को मिलता है और उनका मनोबल बढ़ता है।

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