'COVID-19 महामारी के बीच बोर्ड परीक्षा आयोजित करना छात्रों के जीवन को जोखिम में डालना है': आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में बोर्ड परीक्षा टालने की मांग वाली याचिका दायर की गई

LiveLaw News Network

28 April 2021 11:35 AM GMT

  • COVID-19 महामारी के बीच बोर्ड परीक्षा आयोजित करना छात्रों के जीवन को जोखिम में डालना है: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में बोर्ड परीक्षा टालने की मांग वाली याचिका दायर की गई

    आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में COVID-19 महामारी के बीच बिगड़ती हालात को देखते हुए आंध्र प्रदेश शैक्षिक बोर्ड द्वारा आयोजित कक्षा 10 और कक्षा 12 बोर्ड परीक्षा को चुनौती देते हुए याचिका दायर की गई है।

    याचिका में कहा गया है कि,

    "इतने संकटपूर्ण समय में आंध्र प्रदेश राज्य में परीक्षा आयोजित करना कुछ नहीं बल्कि लाखों युवा छात्रों के जीवन को बीमारी और मृत्यु के अत्यधिक जोखिम और खतरे में (जिसमें याचिकाकर्ता सहित) डालना है।"

    ग्लोबल पीस इनिशिएटिव की ओर से दायर याचिका में एडवोकेट श्रीराम पराकाट और एडवोकेट दीपक सिंह के माध्यम से बोर्ड एक्जाम की तारीख को जब तक COVID-19 का खतरा कम नहीं हो जाता तब तक के लिए कम से कम दो हफ्ते के लिए परीक्षा को टालने की मांग की गई है। परीक्षा मई के पहले सप्ताह में शुरू होने की उम्मीद है।

    याचिका में कहा गया है कि,

    " लगभग 12 लाख युवा छात्रों के बोर्ड परीक्षाओं में बैठने की संभावना है। इस बीच भारत में COVID-19 मामले चिंताजनक रूप से बढ़ रहे हैं। घातक महामारी COVID-19 भारत में लगभग 70 लाख लोगों को पहले ही जान चुकी है। हर रोज स्थिति बिगड़ती जा रही है। हमारे राज्य में इतने संकटपूर्ण समय में आंध्र प्रदेश राज्य में परीक्षा आयोजित करना कुछ नहीं बल्कि लाखों युवा छात्रों के जीवन को बीमारी और मृत्यु के अत्यधिक जोखिम और खतरे में (जिसमें याचिकाकर्ता सहित) डालना है। इसका सबसे सही उपाय है कि कुछ समय के लिए परीक्षा को स्थगित कर दिया जाए और छात्रों और उनके माता-पिता के जीवन के महत्व को समझते हुए COVID-19 संकट को कम होने का इंतजार किया जाए और उसके बाद ही इन परीक्षाओं का आयोजन करें।"

    यह मानते हुए कि इस समय परीक्षाओं के आयोजन से 12 लाख से अधिक छात्रों को वायरस का खतरा हो सकता है, यह तर्क दिया गया कि इस तरह का जोखिम मानव के स्वास्थ्य के अधिकार का उल्लंघन है। जो लोग परीक्षा शुरू होने के बाद COVID -19 से संक्रमित हुए है, उन्हें परीक्षा में बैठने से रोका गया है। इस तरह का रोक समानता के अधिकार का उल्लंघन है।

    याचिका में कहा गया कि,

    "याचिकाकर्ता संघ के छात्रों को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन जीने का अधिकार है जो परीक्षा को स्थगित नहीं करने के फैसले से पूरी तरह से खतरे में है। याचिकाकर्ता संघ के छात्रों को बिना किसी खतरे के सही से परीक्षा लिखने का अधिकार है। संविधान के तहत गारंटी दी गई है।"

    याचिका इस तथ्य की ओर भी इशारा करती है कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन बोर्ड्स द्वारा आयोजित कक्षा 10 और कक्षा 12 की परीक्षाओं को रोज बढ़ते COVID-19 मामलों के मद्देनजर टाल दिया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता उन बोर्डों से संबद्ध स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के साथ समानता की मांग करते हुए आंध्र प्रदेश शिक्षा बोर्ड की परीक्षाओं में भी टालने की मांग कर रहा है।

    याचिकाकर्ता का कहना है कि इस समय सबसे सही होगा कि कम से कम दो सप्ताह के लिए परीक्षा को टाल दिया जाए और साथ ही अभी तत्काल परीक्षा पर अंतरिम रूप से रोक लगा दी जानी चाहिए।

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