[COVID-19] वैक्सीन और स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे की तथ्यात्मक स्थिति क्या है? पटना हाईकोर्ट ने राज्य से पूछा

LiveLaw News Network

27 July 2021 11:57 AM IST

  • [COVID-19] वैक्सीन और स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे की तथ्यात्मक स्थिति क्या है? पटना हाईकोर्ट ने राज्य से पूछा

    पटना हाईकोर्ट ने हाल ही में राज्य सरकार को वैक्सीनेशन की वास्तविक स्थिति, किए गए COVID-19 टेस्ट की संख्या और राज्य में उपलब्ध स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे के बारे में न्यायालय को सूचित करने का निर्देश दिया।

    मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति एस कुमार ने यह भी नोट किया कि राज्य "बिहार राज्य संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ" द्वारा बुलाए गई हड़ताल की घोषणा से संबंधित दिनांक 13 मई 2021 को दिए गए अपने पिछले आदेश के संबंध में महामारी की अवधि के दौरान कोई निर्णय लेने में विफल रहा है।

    इसलिए, अतिरिक्त महाधिवक्ता अंजनी कुमार को यह पता लगाने का निर्देश दिया गया है कि क्या आवेदक द्वारा की गई शिकायतों पर कोई निर्णय लिया गया है।

    डिवीजन बेंच ने निर्देश जारी करते हुए एएजी से बिहार राज्य में (ए) वैक्सीनेशन के संबंध में तथ्यात्मक स्थिति का पता लगाने; (बी) बिहार राज्य में दैनिक आधार पर किए जाने वाले COVID-19 टेस्ट की संख्या और पॉजीटिव रेट; (सी) जिला/उप-मंडल में उपलब्ध स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे के संबंध में जानकारी इक्ट्ठा करने को कहा।"

    इसके बाद मामले को इसी सप्ताह अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया गया।

    वहीं, डिवीजन बेंच ने राज्य में अनुबंध के आधार पर काम करने वाले आयुष डॉक्टरों की दुर्दशा को उजागर करने वाले एक संबंधित मामले में दायर एक इंटरलोक्यूटरी अर्जी को भी खारिज कर दिया। हालांकि, इस मामले में कोर्ट ने आवेदकों को अपनी शिकायतों के साथ राज्य के प्रमुख स्वास्थ्य सचिव से संपर्क करने की स्वतंत्रता सुरक्षित रखी।

    प्राधिकरण को कानून के अनुसार इस मुद्दे को शीघ्रता से तय करने का निर्देश दिया गया। साथ ही सुझाव दिया कि इस तरह के निर्णय को तीन महीने के भीतर सकारात्मक रूप से लिया जाए।

    याचिकाकर्ताओं की ओर से एडवोकेट शिवानी कौशिक पेश हुईं। वहीं एडवोकेट मृगांक मौली इस मामले में एमिक्स क्यूरी थे।

    आवेदकों को यदि आवश्यक हो तो स्वतंत्र रूप से कार्रवाई के एक ही कारण पर याचिका दायर करने की स्वतंत्रता दी गई है। इसके साथ ही प्राथमिकता के आधार पर ऐसी याचिका को सूचीबद्ध करने का उल्लेख करने को कहा गया है।

    तदनुसार, यदि और जब इस तरह का उल्लेख किया जाता है, तो रजिस्ट्री को याचिका को जल्द से जल्द सूचीबद्ध करने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया गया।

    केस शीर्षक: शिवानी कौशिक बनाम भारत संघ और अन्य।

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