'अदालतें सॉफ्ट टारगेट, कोर्ट परिसर में भीड़भाड से सुरक्षा का मुद्दा बदतर हो सकता है': दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट को बताया

LiveLaw News Network

12 Oct 2021 3:32 PM IST

  • अदालतें सॉफ्ट टारगेट, कोर्ट परिसर में भीड़भाड से सुरक्षा का मुद्दा बदतर हो सकता है: दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट को बताया

    राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के विभिन्न न्यायालय परिसरों की सुरक्षा संबंधित स्वत: संज्ञान मामले में दिल्ली पुलिस ने सुझाव दिया है कि न्यायालयों में आगंतुकों के प्रवेश को सामान्य रूप से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।

    दिल्ली पुलिस की ओर से पेश एएसजी चेतन शर्मा ने कहा,"मैं इसे बहुत सावधानी से कहूंगा। भीड़भाड़ से सुरक्षा का मुद्दा और भी खराब हो सकता है। अदालतें आसान निशाना हैं।"

    उन्होंने आग्रह किया कि सुरक्षा बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग को अधिकतम किया जाना चाहिए।

    चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की खंडपीठ के समक्ष दिल्ली पुलिस ने यह प्रस्तुतियां दी, जिन्होंने रोहिणी कोर्ट में हॉल में हुई गोलीबारी की घटना का स्वत: संज्ञान लिया था। बेंच ने सभी हितधारकों को सुझाव देने के लिए कहा था ताकि अदालतों, विशेष रूप से जिला न्यायालयों में सुरक्षा में कमी के मुद्दे का समाधान किया जा सके।

    तदनुसार, दिल्ली पुलिस, दिल्ली बार काउंसिल और दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने मामले में अपना जवाब दाखिल किया है।

    कुछ सुझाव नीचे दिए गए हैं:

    -न्यायालय परिसरों में आगंतुकों का प्रवेश सामान्य रूप से प्रतिबंधित होना चाहिए;

    -सुप्रीम कोर्ट के प्रॉक्सिमिटी कॉर्ड की तरह हाईकोर्ट और जिला न्यायालयों में उपयोग के लिए वकीलों को जारी डिजीटल आईडी कार्डों की मैकेनिकल स्कैनिंग।

    -अधिवक्ता लिपिकों को अलग से डिजिटाइज्ड पहचान पत्र जारी किए जाएं।

    -अधिवक्ता सहित सभी आगंतुकों की मेटल डिटेक्टरों से तलाशी ली जानी चाहिए;

    -इस तरह की तलाशी का विरोध करने वाले अधिवक्ताओं के खिलाफ बार काउंसिल द्वारा कदाचार के लिए कार्रवाई की जानी चाहिए;

    -लॉ इंटर्न के लिए अलग ड्रेस कोड;

    -सुरक्षा बलों के बीच संबंधित बार एसोसिएशनों के साथ पाक्षिक बैठकें;

    -तय समय के भीतर गैंगस्टरों का ट्रायल पूरा हो;

    -विचाराधीन कैदियों को केवल वीडियो कांफ्रेंसिंग द्वारा अदालत के समक्ष पेश करना;

    -न्यायालयों में 3 स्तरीय सुरक्षा जैसे बाहरी घेरे में सुरक्षा यानी बाहरी न्यायालय परिसर; मिडिल सर्कल यानी कोर्ट के गेट पर सुरक्षा; और इनर सर्कल यानी कोर्ट परिसर के अंदर सिविल ड्रेस में तैनात सुरक्षाकर्मी;

    -न्यायालय परिसर के बाहर और अंदर और अधिक सीसीटीवी कैमरों की स्थापना;

    -निगरानी के लिए 24 घंटे नियंत्रण कक्ष।

    इसके अलावा, दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से पेश एडवोकेट मोहित माथुर ने कहा कि हॉकरों और सेल्समैन को अदालत परिसर में आने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इससे सुरक्षा में गंभीर चूक होती है।

    चीफ जस्टिस डीएन पटेल ने पूछा, "हॉकर्स कोर्ट में आ रहे हैं?" तब पीठ को बताया गया कि यह जिला अदालतों में एक बहुत ही आम मुद्दा है, और कई विक्रेता किताबें, मोबाइल सामान आदि बेचने के लिए अदालत परिसर में प्रवेश करते हैं।

    मामले की अगली सुनवाई 25 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी गई है।

    उल्‍लेखनीय है कि दिल्ली स्‍थ‌ि‌त रोहिणी कोर्ट में फायरिंग की दिल दहला देने वाली वारदात हुई थी, जिसमें गैंगस्टर जितेंद्र गोगी की हत्या कर दी गई थी। हमलावरों ने वकीलों के वेश में कोर्ट रूम में प्रवेश किया था। गोगी को कोर्ट रूम में लाते ही उन्होंने उस पर हमला कर दिया था। जिस वक्त गोलीबारी हो रही थी, कोर्ट रूम में जज और अन्‍य स्टाफ भी मौजूद थे।

    केस शीर्षक: कोर्ट अपने स्वयं के प्रस्ताव पर बनाम पुलिस आयुक्त और अन्य।

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