कोर्ट विवादित मुद्दों पर '' अंतिम या कम से कम प्रथम दृष्ट्या निष्कर्ष के बिना सीलबंद लिफाफे में पेश सीबीआई जांच रिपोर्ट की सील पक्षकारों की उपस्थिति में नहीं तोड़ सकता : मेघालय हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

2 Feb 2021 11:21 AM GMT

  • कोर्ट विवादित मुद्दों पर  अंतिम या कम से कम प्रथम दृष्ट्या निष्कर्ष के बिना सीलबंद लिफाफे में पेश सीबीआई जांच रिपोर्ट की सील पक्षकारों की उपस्थिति में नहीं तोड़ सकता : मेघालय हाईकोर्ट

    मेघालय हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने गुरुवार को कहा कि कोर्ट विवादित मुद्दों पर '' अंतिम या कम से कम प्रथम दृष्ट्या निष्कर्ष निकाले '' बिना पक्षकारों की उपस्थिति में सीलबंद लिफाफे में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट की सील नहीं तोड़ सकता।

    मुख्य न्यायाधीश विश्वनाथ सोमाद्दर और न्यायमूर्ति थांगख्यू कि खंडपीठ ने यह टिप्पणी की।

    हाईकोर्ट की खंडपीठ मेघालय लोक सेवा आयोग (एमपीएससी) एवं तीन अन्य व्यक्तियों की उस अपील पर सुनवाई कर रही थी, जो एकल खंडपीठ द्वारा नौ दिसंबर 2020 को दिए गए आदेश के खिलाफ दायर की गई थी।

    एकल न्यायाधीश ने पक्षकारों की उपस्थिति में सीबीआई की जांच रिपोर्ट की सील तोड़ने का निर्देश दिया था।

    हालांकि, हाईकोर्ट के समक्ष जब अपील सुनवाई के लिए आई तब डिविजन बेंच ने कहा कि एकल पीठ द्वारा सीबीआई रिपोर्ट की सील तोड़ने के निर्देश पर अमल तभी किया जाना चाहिए था जब विवादित मुद्दों पर अंतिम या कम से कम प्रथम दृष्ट्या निष्कर्ष निकाला गया है, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं किया गया।

    प्रारम्भ में बेंच ने हाईकोर्ट की डिविजन बेंच द्वारा डब्ल्यू ए नंबर 67 / 2016 मामले में पूर्व में दिए गए आदेश को दोहराया जिसमे कहा गया था कि '' निश्चित रूप से, विवादित मुद्दों पर अंतिम या कम से कम प्रथम दृष्ट्या निष्कर्ष लौटाने के बाद ही सीबीआई रिपोर्ट से संबंधित पहलुओं की एकल न्यायाधीश द्वारा जांच की जा सकती है और उसके बाद ही कानून के दायरे में ही उचित फैसला लिया जा सकता है।

    इसलिए इसके परिप्रेक्ष्य में हाईकोर्ट ने कहा:

    '' यह स्पष्ट साक्ष्य है कि एकल न्यायाधीश ने विवादित मुद्दों पर न तो कोई अंतिम, न ही कम से कम प्रथम दृष्ट्या निष्कर्ष लौटाया है। ऐसी स्थिति में हमारा मानना है कि मामले के पक्षकारों की उपस्थिति में सीबीआई रिपोर्ट की सील तोड़ने का एकल न्यायाधीश का आदेश डब्ल्यू ए नंबर 67/2016 मामले में डिविजन बेंच के निर्णय के अनुरूप नहीं है।

    तदनुसार, कोर्ट ने नौ दिसंबर 2020 को दिए गए आदेश को दरकिनार कर दिया क्योंकि ऊपर दी गई टिप्पणियों के अनुरूप यह आदेश कहीं नहीं टिकता।

    केस का नाम: मेघालय लोक सेवा आयोग एवं अन्य बनाम मिलन चंद मोमीन एवं अन्य

    आदेश की तारीख : 28 जनवरी 2021

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