17 साल के नियमित सेवा रिकॉर्ड वाले कर्मचारी को पेंशन का लाभ देने में एडहॉक पीरियड की भी गणना करेंः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से कहा

Manisha Khatri

23 Nov 2022 1:00 PM GMT

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि 17 साल के नियमित सेवा रिकॉर्ड के साथ वर्ष 2013 में सेवानिवृत्त हुए कर्मचारी को पेंशन का लाभ प्रदान करने के लिए उसके द्वारा प्रदान की गई एडहॉक सेवा की अवधि की भी गणना करें।

    इसके साथ ही जस्टिस राजीव जोशी की पीठ ने जिला विद्यालय निरीक्षक फिरोजाबाद के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें सहायक शिक्षक (एल.टी. ग्रेड) द्वारा प्रदान की गई एडहॉक की अवधि को उसे पेंशन का लाभ देने के उद्देश्य से ध्यान में नहीं रखा गया था।

    याचिकाकर्ता/सहायक शिक्षक (एल.टी. ग्रेड), 17 साल से अधिक की नियमित सेवा पूरी करने के बाद 30 जून 2013 को सेवानिवृत्त हुआ था। उसे वर्ष 1995 में एक एडहॉक कर्मचारी के रूप में नियुक्त किया गया था और बाद में उसकी सेवाओं को वर्ष 2016 में नियमित कर दिया गया था। उसकी शिकायत यह थी कि उसके द्वारा प्रदान की गई एडहॉक सेवाओं को उसकी पेंशन के निर्धारण में नहीं गिना गया है।

    कोर्ट ने शुरुआत में सुनीता शर्मा बनाम यू.पी. राज्य व 5 अन्य,रिट- ए नंबर 25431/2018 के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का हवाला दिया,जिसमें एक सरकारी कर्मचारी को 1996-2016 के बीच कर्मचारी द्वारा प्रदान की गई एडहॉक सेवाओं को ध्यान में रखते हुए पेंशन लाभ का हकदार पाया गया था।

    कोर्ट ने गुजरात राज्य व अन्य बनाम तलसीभाई धनजीभाई पटेल,2022 लाइव लॉ (एससी) 187 के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले पर भी भरोसा किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात राज्य पर 30 साल की निरंतर सेवा प्रदान करने वाले एक एडहॉक कर्मचारी को पेंशन देने से इनकार करने पर अपनी नाराजगी व्यक्त की थी।

    तदनुसार, हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को उत्तर प्रदेश राज्य सहायता प्राप्त शैक्षणिक संस्थान कर्मचारी अंशदायी भविष्य निधि बीमा पेंशन नियम, 1964 के तहत पेंशन लाभ का हकदार पाया और इन उद्देश्यों के लिए, न्यायालय ने कहा, नियमितीकरण के साथ 1995-2013 तक एडहॉक निरंतरता को पेंशन की मंजूरी और निर्धारण के लिए अर्हक सेवा में गिना जाए।

    न्यायालय ने याचिकाकर्ता को पेंशन संबंधी लाभ प्रदान करने के लिए प्रतिवादियों को एक परमादेश जारी किया है। इसके साथ ही न्यायालय ने जिला विद्यालय निरीक्षक, जिला फिरोजाबाद द्वारा पारित आक्षेपित आदेश को निरस्त करते हुए रिट याचिका को स्वीकार कर लिया।

    केस टाइटल - अवध बिहारी वर्मा बनाम यूपी राज्य व 3 अन्य,रिट-ए नंबर- 21333/2014

    साइटेशन- 2022 लाइव लॉ (एबी) 499

    आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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