मध्य प्रदेश बार काउंसिल की चेयरमैनशिप को लेकर विवाद: हाईकोर्ट ने बीसीआई के आदेश में दखल देने से परहेज किया

LiveLaw News Network

15 Jan 2022 10:50 AM GMT

  • मध्य प्रदेश बार काउंसिल की चेयरमैनशिप को लेकर विवाद: हाईकोर्ट ने बीसीआई के आदेश में दखल देने से परहेज किया

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से मध्य प्रदेश बार काउंसिल की चेयरमैनशिप के विवाद के मामले में शुरू की गई कार्यवाही में हस्तक्षेप करने से परहेज किया है।

    चीफ जस्टिस रवि मलीमठ और जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव की पीठ एक रिट याचिका से निपट रही थी, जिसमें याचिकाकर्ता ने प्रतिवादी नंबर एक के अधिकार और उनके द्वारा 12.12.2021 से चेयरमैन की क्षमता से की गई कार्यवाही के संबंध में को वारंटो (quo warranto) और परमादेश की रिट (writ of mandamus) की मांग की थी।

    याचिकाकर्ताओं का मामला यह है कि याचिकाकर्ता नंबर 1, डॉ वीके चौधरी स्टेट बार काउंसिल के चेयरमैन हैं और याचिकाकर्ता नंबर 3, श्री आरकेएस सैनी के वाइस चेयरमैन हैं। हालांकि, प्रतिवादी नंबर एक, श्री शैलेंद्र वर्मा ने एक प्रस्ताव पेश किया था कि उन्हें स्टेट बार काउंसिल का चेयरमैन चुना गया है।

    याचिका में स्टेट बार काउंसिल का चेयरमैन पद धारण करने पर श्री वर्मा के अधिकार के संबंध में क्वो वारंटो रिट (writ of quo warranto) की मांग की गई थी।और 12.12.2021 के अवैध मिनट को रद्द करने के लिए परमादेश की एक रिट की मांग की गई थी और यह सुनिश्चित करने के लिए कि 12.12.2021 से उनके द्वारा जारी किए गए सभी आदेश, मध्य प्रदेश राज्य बार काउंसिल के अध्यक्ष के रूप में उनकी कथित हैसियत से लिए गए निर्देशों को शुरू से ही शून्य (void ab initio) घोषित किया जाए।

    बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 48-ए के तहत उक्त विवाद का संज्ञान लिया। शीर्ष परिषद ने अपने 15.12.2021 के अंतरिम आदेश के जर‌िए निर्देश दिया कि संशोधन याचिका के लंबित रहने के दौरान, 12.12.2021 से पहले काम कर रही मध्य प्रदेश बार काउंसिल की सभी कमेटियां काम करना जारी रखेगी। मामले को 26.02.2022 को सूचीबद्द किया गया। इसने "राज्य बार काउंसिल की चेरमैनशिप से संबंधित विवाद संबंधी समस्या का समाधान खोजने के लिए स्टेट बार काउंसिल का दौरा करने के लिए एक कमेटी के गठन का भी निर्देश दिया। "

    श्री वर्मा की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट अनिल खरे ने कहा कि चूंकि मामला बीसीआई के समक्ष लंबित है, इसलिए अदालत को मामले में आगे बढ़ने से बचना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि केवल बार काउंसिल ऑफ इंडिया ही विवाद को हल कर सकती है।

    अदालत ने कहा कि मौजूदा विवाद के लिए एक अंतरिम आदेश की आवश्यकता है और वह बीसीआई के आदेश में मौजूद था।

    याचिका पर विचार करने के अपने अधिकार क्षेत्र के संबंध में, अदालत ने नोट किया- "प्रतिवादियों की आपत्ति यह है कि जब बार काउंसिल ऑफ इंडिया के समक्ष मामला है तो इस न्यायालय को हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। जैसा कि हो सकता है, इस न्यायालय के पास इस याचिका पर विचार करने का अधिकार क्षेत्र है या नहीं, यह बाद में तय किया जाएगा। यह मानना पर्याप्त होगा कि एक अंतरिम आदेश है, जिसे बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा प्रदान किया गया है।"

    अंत में, अदालत ने उम्मीद जताई कि बीसीआई विवाद को जल्द से जल्द सुलझाएगा। मामले को मार्च, 2022 के पहले सप्ताह के लिए सूचीबद्ध किया गया था, जिससे प्रतिवादियों को उस समय तक, यदि कोई हो, काउंटर दाखिल करने की स्वतंत्रता दी गई।

    केस शीर्षक: डॉ विजय कुमार चौधरी और अन्य बनाम शैलेंद्र वर्मा और अन्य

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