'गवाह लगातार पक्षद्रोही हो रहे हैं', 2008 मालेगांव धमाके के पीड़ित ने एनआईए को लिखा, पत्र कोर्ट के रिकॉर्ड पर रखा

LiveLaw News Network

2 Dec 2021 8:54 AM GMT

  • गवाह लगातार पक्षद्रोही हो रहे हैं, 2008 मालेगांव धमाके के पीड़ित ने एनआईए को लिखा, पत्र कोर्ट के रिकॉर्ड पर रखा

    2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में एक पीड़ित के पिता ने आठ महत्वपूर्ण गवाहों के पक्षद्रोही होने के बाद राष्ट्र जांच एजेंसी (एनआईए) को पत्र लिखा है। उल्लेखनीय है कि यह मामला भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित से जुडा है।

    एनआईए के पुलिस अधीक्षक को लिखे पत्र में निसार अहमद ने एजेंसी को "प्रभावी" ट्रायल के लिए राज्य आतंकवाद विरोधी दस्ते की मदद लेने की मांग की है, क्योंकि गवाहों को बेतरतीब तरीके से अदालत में बुलाया जा रहा है।

    पत्र में कहा गया है कि गवाहों के पैटर्न को देखकर लगता है कि एनआईए की सुनवाई करने की क्षमता कर हो रही है। 208 गवाहों में से आठ को पक्षद्रोही घोषित किया जा चुका है।

    "विशेष लोक अभियोजक के अनुरोध पर माननीय न्यायालय ने अब तक 8 महत्वपूर्ण अभियोजन गवाहों को पक्षद्रोही घोषित किया है। इन गवाहों ने अपने पिछले बयानों को नकार दिया है। गवाहों के पैटर्न को देखकर ऐसा लग रहा है कि मुकदमे के संबंध में एनआईए की क्षमता कम हो रही है..."

    अहमद की ओर से पेश एडवोकेट शाहिद नदीम ने पत्र को रिकॉर्ड पर लेने के लिए विशेष एनआईए कोर्ट के जज पीआर सित्रे के समक्ष एक आवेदन दायर किया है। अदालत ने आवेदन को पत्र के साथ एक्ज़िबिट के रूप में चिह्नित किया है

    पत्र में आगे कहा गया है कि ट्रायल जज ने भी गवाहों को लाने के तरीके को नोटिस किया है। अभियोजन पक्ष ने उनके बयानों की प्रासंगिकता का अध्ययन करने की भी जहमत नहीं उठाई।

    "अभियोजन पक्ष गवाहों को उनके बयानों का अध्ययन किए बिना और किसी विशेष अनुक्रम का पालन किए बिना बुला रहा है। हालांकि असाधारण मामलों में कुछ जगह बनाई जा सकती है, जब गवाह उपस्थित होने में असमर्थ होते हैं। यह देखा जा सकता है कि इस प्रकार की चूक नियमित हो गई है। माननीय न्यायालय ने भी इसे नोट किया है और अभियोजन पक्ष से गवाहों को बुलाने से पहले उनके दस्तावेजों की प्रासंगिकता का अध्ययन करने के लिए कहा है।"

    पीड़ित ने पत्र में कहा है कि एनआईए ने मामले को बहुत बाद में संभाला और राज्य के एटीएस अधिकारियों ने ही प्रज्ञा सिंह ठाकुर और अन्य को गिरफ्तार किया था। पत्र में कहा गया है कि एजेंसी (एटीएस) ने पक्षद्रोही गवाहों के बयान भी दर्ज किए थे और "अदालत को बताने और सहायता करने की बेहतर स्थिति" में होगी, लेकिन उनकी मदद लेने के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है।

    पत्र के अनुसार, न केवल इस मामले में बल्कि देश भर में कई अन्य मामलों में ऐसा लगता है, "माननीय न्यायालय ने अभियोजन मामले को साबित करने में एनआईए की अक्षमता के बारे में टिप्पणियां की हैं, जिसके कारण आरोपियों को बरी कर दिया गया है।"

    पत्र में समझौता एक्सप्रेस विस्फोट मामले में 51 गवाहों को पक्षद्रोही घोषित किए जाने, मक्का मस्जिद बम विस्फोट मामले में 64 गवाहों और अजमेर दरगाह विस्फोट मामले में 18 गवाहों को पक्षद्रोही घोषित किए जाने का उदाहरण दिया गया है।

    "मौजूदा मामले को वैसे ही दुर्भाग्य से बचाने के लिए पीड़ित के वकील के रूप में मैं आपसे संवेदनशीलता की अपील करता हूं और आपसे ईमानदार प्रयासों का आग्रह करता हूं। गवाहों के लगातार पक्षद्रोही होने के कारण पीड़ित आशंकित हैं। पीड़ित के वकील हमेशा उपलब्ध हैं और अभियोजन को प्रभावी ढंग से सहायता करने के लिए तैयार है।"

    पत्र में कहा गया है,

    "एनआईए को बयानों, जांच, और किसी भी अन्य प्रश्नों को स्पष्ट करने में मदद के लिए एटीएस अधिकारियों को बुलाना चाहिए..."

    विशेष अदालत ने इससे पहले पीड़िता की उस अर्जी को खारिज कर दिया था] जिसमें एटीएस को एनआईए की मदद करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। हालांकि, पीड़ितों का कहना है कि उन्हें केवल न्याय में दिलचस्पी है।

    एनआईए को सौंपे जाने से पहले एटीएस मालेगांव विस्फोट मामले की जांच कर रही थी।

    विस्फोट

    29 सितंबर, 2008 को मालेगांव में एलएमएल फ्रीडम मोटर साइकिल में लगे विस्फोटक से धमाका हुआ था। मामले की जांच में इंदौर में रहने वाले कथित हिंदू चरमपंथियों का हाथ आया। बारह लोगों को गिरफ्तार किया गया।

    पुरोहित और भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर पर चार अन्य लोगों के साथ हत्या, खतरनाक हथियारों से स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुंचाने, धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है। साथ ही शस्त्र अधिनियम, भारतीय विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, और गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत विभिन्न धाराओं में आरोप लगाया गया है।


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