''पेनल्टी से बचने के लिए प्रतिदिन इफ्तार भोजन करवाएं'' न्यायालय की अवमानना के मामले में तेलंगाना हाईकोर्ट ने सरकारी अफसर को निर्देश दिया

LiveLaw News Network

21 April 2021 7:15 AM GMT

  • पेनल्टी से बचने के लिए प्रतिदिन इफ्तार भोजन करवाएं न्यायालय की अवमानना के मामले में तेलंगाना हाईकोर्ट ने सरकारी अफसर को निर्देश दिया

    तेलंगाना हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह एक सरकारी अधिकारी को निर्देश दिया है कि वह इफ्तार के समय कम से कम 20 लोगों को एक सप्ताह के लिए प्रतिदिन खाना खिलाए, ताकि अदालत की अवमानना के मामले में उस पर लगाई गई पेनल्टी से वह बच सके।

    मुख्य न्यायाधीश हेमा कोहली और न्यायमूर्ति बी विजयसेन रेड्डी की पीठ इस मामले में आबकारी उपायुक्त सैयद यासीन कुरैशी की तरफ से दायर एक अवमानना की अपील पर सुनवाई कर रही थी।

    यह अपील 20 जनवरी 2021 को एकल पीठ द्वारा पारित आदेश के खिलाफ दायर की गई थी। एकल पीठ ने अपीलकर्ता को अदालत की अवमानना के मामले में दोषी पाया था क्योंकि अपीलकर्ता ने डब्ल्यू.पी नंबर 13580/2020 में 24 अगस्त 2020 को पारित आदेश का पालन नहीं किया था।

    महत्वपूर्ण रूप से, अपीलकर्ता ने एकतरफा रूप से वाहन को रिहा करने के लिए प्रतिवादी पर अतिरिक्त शर्तें लगाई,जिसमें अदालत की मंजूरी नहीं थी।

    उसके द्वारा दायर एक हलफनामे में यह स्वीकार किया गया कि 24 अगस्त 2020 को दिए गए आदेश में अदालत द्वारा जारी किए निर्देशों के अनुपालन के लिए अपीलकर्ता ने 28 अगस्त 2020 से 27 नवंबर 2020 के बीच कोई कदम नहीं उठाए थे।

    अपीलार्थी ने एकल न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश के गैर-अनुपालन के लिए बिना शर्त माफी मांगी और अदालत को आश्वासन दिया कि वह भविष्य में अधिक सतर्क रहेगा।

    अतिरिक्त हलफनामे में पेश किए गए स्पष्टीकरण को स्वीकार करते हुए और अपीलकर्ता द्वारा मांगी गई माफी को देखते हुए न्यायालय ने कहा कि,

    '' सी.सी नंबर 837/2020 में 20 जनवरी 2021 को दिए गए आदेश में अपीलकर्ता पर लगाया गया जुर्माना माफ किया जाता है, लेकिन यह माफी इस शर्त के अधीन है कि यह रमजान का महीना है और वह कम से कम बीस (20) लोग, जिन्हें वह इफ्तार के समय उपवास तोड़ने के लिए अपने पड़ोस में किसी भी मस्जिद के बाहर एकत्रित पाए, एक सप्ताह तक प्रतिदिन खाना खिलाएगा।''

    अपीलकर्ता को आदेश का अनुपालन करने के एक सप्ताह के भीतर हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया गया है। यदि उक्त शपथ पत्र दायर नहीं किया जाता है, तो रजिस्ट्री को निर्देश दिया गया है कि वह उचित आदेश के लिए न्यायालय के समक्ष मामले को फिर से रखे।

    तत्काल अपील, तदनुसार निपटा दी गई थी।

    केस का शीर्षक - सैयद यासीन कुरैशी बनाम जरीपीते रमेश[Contempt Appeal No. 4 of 2021]

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