'संविधान न्यायिक नियुक्तियों में आरक्षण की परिकल्पना नहीं करता, लेकिन सरकार सामाजिक विविधता के लिए प्रतिबद्ध : कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद

LiveLaw News Network

26 Jan 2021 11:54 AM GMT

  • संविधान न्यायिक नियुक्तियों में आरक्षण की परिकल्पना नहीं करता, लेकिन सरकार सामाजिक विविधता के लिए प्रतिबद्ध : कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद

    न्यायपालिका में अल्पसंख्यकों/कमजोर समुदायों के अपर्याप्त प्रतिनिधित्व पर चिंताओं के जवाब में केंद्रीय कानून मंत्रालय ने आश्वासन दिया है कि यह "सामाजिक विविधता के लिए प्रतिबद्ध है"।

    कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने स्पष्ट किया कि सरकार हाईकोर्ट स्तर पर विविधता बढ़ाने पर जोर दे रही है, जहां से शीर्ष न्यायालय में न्यायाधीश आमतौर पर नियुक्त किए जाते हैं।

    आगे कहा कि,

    "सरकार सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति में सामाजिक विविधता के लिए प्रतिबद्ध है। इसके साथ ही उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों से भी अनुरोध करती रही है कि न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए प्रस्ताव भेजते समय, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजातियों, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यकों और महिलाओं को उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति में सामाजिक विविधता सुनिश्चित करने के लिए संबंधित उपयुक्त उम्मीदवारों पर ध्यान दिया जाए।"

    कानून मंत्री प्रसाद, पिछले साल सांसद और अधिवक्ता पी. विल्सन द्वारा संबोधित एक पत्र का जवाब दे रहे थे।

    विल्सन ने अपने पत्र में इस बात पर प्रकाश डाला था कि पिछले कुछ वर्षों से, समाज के सभी वर्गों से विशेष रूप से सर्वोच्च न्यायालय में प्रतिनिधित्व में गिरावट आ रही है।

    2020 में बजट सत्र के दौरान भी इस मुद्दे पर प्रकाश डाला था और विल्सन ने कहा था कि,

    "अधिक विविध न्यायपालिका वांछनीय है क्योंकि एक के बिना, इन पर प्रतिनिधित्व के तहत अधिकारों के उल्लंघन के लिए संभावना बहुत बढ़ जाती है और यह अप्रत्यक्ष रूप से भेदभाव का संकेत दे सकता है। कुछ वर्गों के महत्वपूर्ण अति-प्रतिनिधित्व द्वारा वर्तमान व्यवस्था की निष्पक्षता प्रश्न किया जाता है। यह विभिन्न सामाजिक सामाजिक समूहों से भर्ती करने और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने में असमर्थता दिखाता है।"

    कानून मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति क्रमशः भारत के संविधान के अनुच्छेद 124, अनुच्छेद 217 और अनुच्छेद 224 के तहत की जाती है जो किसी भी जाति या वर्ग के व्यक्तियों के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं करता है। इसलिए कोई भी जाति/ वर्ग/ श्रेणी पर आधारित डेटा केंद्र में नहीं रखा जाता है।

    आगे कहा कि उपरोक्त चाहे जो भी हो, सरकार सामाजिक विविधता के लिए प्रतिबद्ध है। इसके साथ ही यह अनुरोध करती रही है कि अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अन्य पिछड़े वर्गों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं से संबंधित उपयुक्त अभ्यर्थियों को न्यायालयों उच्च पद पर नियुक्ति के लिए उचित विचार दिया जाए।

    पत्र डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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