डकैती-हत्या के दोषी को उसकी सजा के समय लागू पुराने नियमों के तहत पैरोल देने पर विचार करें: राजस्थान हाईकोर्ट

Shahadat

6 April 2023 6:42 AM GMT

  • डकैती-हत्या के दोषी को उसकी सजा के समय लागू पुराने नियमों के तहत पैरोल देने पर विचार करें: राजस्थान हाईकोर्ट

    राजस्थान हाईकोर्ट ने मंगलवार को राज्य को निर्देश दिया कि वह पैरोल नियम, 1958 (पुराने नियम) पर राजस्थान कैदी रिहाई के तहत कैदी के पैरोल आवेदन पर इस आधार पर विचार करे कि कैदी को राजस्थान पैरोल नियम, 2021 के कार्यान्वयन से पहले कैदी को दोषी ठहराया गया था।

    जस्टिस विजय बिश्नोई और जस्टिस राजेंद्र प्रकाश सोनी की खंडपीठ ने कहा,

    "यह देखा गया है कि हितेश @ बावको शिवशंकर दवे बनाम गुजरात राज्य (रिट याचिका (आपराधिक) नंबर 467/2022) के मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि राज्य की नीति दृढ़ विश्वास निर्धारक कारक होगा और यदि नीति को बाद में उदारीकृत किया जाता है तो अधिकारियों द्वारा समय से पहले रिहाई के लिए आवेदन पर विचार करते समय इसे ध्यान में रखा जाएगा।"

    याचिकाकर्ता ने 40 दिनों के नियमित पैरोल पर उसे रिहा करने के उसके आवेदन पर विचार नहीं करने के लिए प्रतिवादियों की कार्रवाई से व्यथित होकर वर्तमान रिट याचिका दायर की।

    राज्य ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120 बी, 396, 302, 323, 324, 395 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया और सत्र न्यायालय, बीकानेर द्वारा 30 अगस्त, 2017 के फैसले के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।

    राज्य द्वारा आगे यह तर्क दिया गया कि आईपीसी की धारा 396/120बी राजस्थान कैदियों की पैरोल पर रिहाई नियम, 2021 (2021 के नियम) के नियम 16 (2) (बी) के अनुसार निषिद्ध धारा है और इसलिए याचिकाकर्ता पैरोल के अनुदान के लिए पात्र नहीं है, क्योंकि वह उपरोक्त प्रावधान के तहत दोषी ठहराया गया है।

    याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि 2021 के नियम 30 जून, 2021 को लागू हुए, जबकि याचिकाकर्ता को 30 अगस्त, 2017 को दोषी ठहराया गया। इसलिए याचिकाकर्ता को राजस्थान कैदी पैरोल पर रिहाई नियम, 1958 (नियम 1958) न कि नियम 2021 के अधीन 40 दिनों की पैरोल पर रिहा करने के आवेदन पर विचार किया जाना आवश्यक है।

    न्यायालय ने हितेश @ बावको शिवशंकर दवे बनाम गुजरात राज्य में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित अनुपात पर भरोसा करते हुए राज्य को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ता द्वारा उसे 40 दिनों की पैरोल पर रिहा करने के लिए दायर आवेदन पर विचार करे और एक महीने की अवधि के भीतर उस पर निर्णय करे।

    केस टाइटल: विजय कुमार @ खुशी लाल बनाम राज्य राजस्थान व अन्य।

    कोरम : जस्टिस विजय बिश्नोई और जस्टिस राजेंद्र प्रकाश सोनी

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