'घटना के दो साल बाद दायर की गई शिकायत' : बाॅम्बे हाईकोर्ट ने बलात्कार के मामले में आरोपी सेना के मेजर को दी अग्रिम ज़मानत

LiveLaw News Network

16 Aug 2020 5:30 AM GMT

  • घटना के दो साल बाद दायर की गई शिकायत : बाॅम्बे हाईकोर्ट ने बलात्कार के मामले में आरोपी सेना के मेजर को दी अग्रिम ज़मानत

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक दूरसंचार कंपनी में कार्यरत 28 वर्षीय आईटी इंजीनियर से बलात्कार करने के मामले में आरोपी मेजर अंशुमान झा को अग्रिम ज़मानत दे दी है। यह दोनों एक वैवाहिक साइट के जरिए मिले थे, जहां पर आवेदक ने बताया था कि वह सेना में मेजर के पद पर कार्यरत है और मणिपुर में तैनात है।

    न्यायमूर्ति भारती डांगरे ने कहा कि बलात्कार की कथित घटना के दो साल बाद शिकायत दायर की गई थी, जो कई सवालों को जन्म दे रही है। इसके अलावा, जस्टिस डांगरे ने यह भी कहा कि इस स्तर पर आवेदक को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की आवश्यकता नहीं है। वहीं आवेदक ने आश्वासन दिया है कि वह इस मामले में चल रही जांच में पूरा सहयोग करेगा। इस प्रकार उसे दी गई अंतरिम राहत का उद्देश्य पूरा हो जाएगा।

    आवेदक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376, 377, 420 के तहत अपराध के लिए मामला दर्ज किया गया था। शिकायतकर्ता के अनुसार, एक वैवाहिक साइट के जरिए उसके साथ दोस्ती करने के बाद आवेदक ने व्हाट्सएप /वीडियो कॉल और टेलीफोन के माध्यम से शिकायतकर्ता के संपर्क करना शुरू कर दिया था। शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि अप्रैल 2018 में आवेदक शिकायतकर्ता से मिलने के लिए विशेष रूप से मुंबई आया था और वह एक होटल में रुका था। अपनी इस यात्रा के दौरान शिकायतकर्ता ने उससे मुलाकात की और दोनों ने दिसंबर में शादी करने का फैसला किया।

    आरोप यह है कि आवेदक ने उसे अपने विश्वास में लिया और इस यात्रा के दौरान आवेदक ने शिकायतकर्ता के साथ जबरन शारीरिक संबंध स्थापित किए। साथ ही उसे आश्वासन दिया कि वह अब शादी करने जा रहे हैं, इसलिए शारीरिक संबंध बनाने में कुछ भी गलत नहीं है। उसने कुछ अप्राकृतिक सेक्स का भी आरोप लगाया। जिस कारण आईपीसी की धारा 377 के तहत भी अपराध दर्ज किया गया।

    इसके अलावा यह भी बताया गया कि जून 2018 में शिकायतकर्ता का पीरियड नहीं आया तो वह डाक्टर के पास गई। इसके बाद उसने एक टैबलेट का सेवन किया ताकि वह अपनी गर्भावस्था को समाप्त कर सके। शिकायतकर्ता ने यह भी बताया कि इस रिश्ते के लिए दोनों के परिवार के लोगों ने भी आपस में बातचीत शुरू कर दी थी। परंतु बाद में आवेदक और उसके परिजनों ने इस शादी के लिए आनाकानी शुरू कर दी, जिस कारण शिकायतकर्ता को पुलिस थाने से संपर्क करना पड़ा और 20 जुलाई 2020 को उसने शिकायत दर्ज करा दी।

    साथ ही बताया गया कि शिकायतकर्ता को लग रहा था कि आवेदक उससे शादी करने जा रहा है,इसलिए ही इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कराने में देरी हुई थी।

    एपीपी प्राजक्ता शिंदे ने तर्क दिया कि शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में यह भी आरोप लगाए हैं कि आवेदक ने अन्य महिलाओं के साथ भी धोखाधड़ी की थी, जिसके लिए उसने कई पहचान पत्र और अलग-अलग मोबाइल नंबरों का उपयोग किया था।

    एपीपी के अनुसार जांच अधिकारी ने उनको यह भी बताया था कि मामले में दायर शिकायत के आधार पर पता चला है कि आवेदक 14 मोबाइल नंबरों का उपयोग कर रहा था और मामले के बाकी तथ्यों की जांच अभी बाकी है। वहीं जिस मोबाइल नंबर से आवेदक शिकायतकर्ता के संपर्क में था,उसे जांच अधिकारी ने जब्त कर दिया है।

    एपीपी शिंदे ने इस तथ्य पर विवाद नहीं किया कि सत्र न्यायालय के निर्देश के अनुसार आवेदक ने जांच अधिकारी के साथ जांच में सहयोग किया था। आवेदक वर्तमान में कैम्पटी छावनी, नागपुर में तैनात है और जून 2012 से वह भारतीय सेना में सेवा दे रहा है।

    अंत में, जस्टिस डांगरे ने कहा,

    ''सच यह है कि वह सेना में काम कर रहा है, जो एक अनुशासित बल है। यह इस बात की पर्याप्त गांरटी है कि वह कानून का पालन करेगा, इसलिए इस बात को लेकर मेेरे मन में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि वह जांच एजेंसी के साथ सहयोग करेगा। जहां तक ​​शिकायत में लगाए गए आरोपों की बात है तो शिकायत व रिकाॅर्ड पर रखी गई व्हाट्सएप चैट को एक साथ पढ़ने के बाद पता चलता है कि आवेदक और शिकायतकर्ता शादी करने के इच्छुक थे और दोनों ने आपस में रिश्ता बनाया था। हालांकि वह कुछ व्यक्तिगत कारणों से अलग हो गए।

    शिकायतकर्ता और आवेदक, दोनों बालिग होने के कारण अपने जीवन का निर्णय लेने के हकदार हैं। यह भी सच्चाई है कि बलात्कार की कथित घटना के दो साल की अवधि के बाद शिकायत दर्ज की गई है जो कई सवाल पैदा कर रही है। फिर भी इस मामले में दायर शिकायत की सत्यता की पूरी तरह से जांच की जानी चाहिए और जांच के दौरान इस तथ्य की भी जांच की जानी चाहिए कि क्या इस मामले में धोखाधड़ी का भी कोई घटक शामिल था या नहीं?''

    आवेदक के वकील स्वास्तिक सिंह ने दलील दी कि उनके मुवक्किल को इस सप्ताह के अंत तक अपनी नौकरी फिर से ज्वाइन करनी पड़ सकती है। इसलिए, वह (आवेदक) अपने वरिष्ठ अधिकारियों से आवश्यक अनुमति प्राप्त कर लेगा और फिर वापिस मुंबई आकर जांच में सहयोग करेगा।

    जस्टिस डांगरे ने कहा,

    '' मेरे विचार में, इस स्तर पर आवेदक को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की आवश्यकता नहीं है। वहीं आवेदक ने आश्वासन दिया है कि वह इस मामले में चल रही जांच में पूरा सहयोग करेगा। इस प्रकार उसे दी गई अंतरिम राहत का उद्देश्य पूरा हो जाएगा।''

    इसलिए आवेदक को 25000 रुपये के निजी मुचलके के आधार पर अग्रिम ज़मानत दी जा रही है। साथ ही उसे निर्देश दिया जा रहा है कि वह 24 अगस्त से 28 अगस्त के बीच मुंबई में उपस्थित रहे।

    आदेश की काॅपी डाउनलोड करें



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