मोटर दुर्घटना में मृत्यु के लिए मुआवजे में साथ की हानि सहित पारंपरिक मदों के तहत मुआवजा शामिल होना चाहिए: तेलंगाना हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

22 Feb 2022 4:00 PM GMT

  • मोटर दुर्घटना में मृत्यु के लिए मुआवजे में साथ की हानि सहित पारंपरिक मदों के तहत मुआवजा शामिल होना चाहिए: तेलंगाना हाईकोर्ट

    नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम प्रणय सेठी और अन्य में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा करते हुए तेलंगाना हाईकोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि मोटर वाहन दुर्घटना मृत्यु दावों में मुआवजे में पारंपरिक मदों जैसे संपत्ति की हानि, साथ की हानि, और अंतिम संस्कार खर्च आदि के तहत राशि शामिल होनी चाहिए।

    संक्षिप्त तथ्य

    दावेदारों, जो मृतक के पति और बच्चे हैं, उन्होंने मोटर वाहन अधिनियम की धारा 166 के तहत एक याचिका दायर कर मोटर दुर्घटना में मरने वाले व्यक्ति की मृत्यु के लिए 4,50,000/- रुपये मुआवजे का दावा किया। बताया गया कि वाहन चालक के तेज गति व लापरवाही से वाहन चलाने से मृतक सहित वाहन सवार लोग गंभीर रूप से घायल हो गये। मृतक की उम्र करीब 41 साल थी और 4,500/- प्रति माह नौकरानी के रूप में कमा रही थी। इसलिए, दावेदारों ने कार के मालिक और बीमाकर्ता के खिलाफ दावा याचिका दायर की।

    ट्रिब्यूनल ने आनुपातिक लागत के साथ 2,80,000 रुपये का मुआवजा दिया और याचिका की तारीख से वसूली तक 7.5% प्रति वर्ष की दर से ब्याज रखा, जो वाहन के मालिक द्वारा देय थी। (बीमा पॉलिसी की शर्तों का उल्लंघन किया गया था)।

    मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण द्वारा दिए गए मुआवजे की मात्रा को चुनौती देते हुए दावेदारों ने अपील दायर की। यह भी कहा गया कि भले ही मृतक एक 'ऐच्छिक यात्री' थी , बीमा कंपनी दावेदारों को दी गई राशि का भुगतान करने और फिर बीमाधारक से उक्त राशि की वसूली करने के लिए उत्तरदायी है।

    मुद्दा

    क्या दावेदार मुआवजे में वृद्धि के हकदार हैं?

    क्या बीमाकर्ता के विरुद्ध अदायगी और वसूली का आदेश दिया जा सकता है ?

    फैसला

    अदालत ने पाया कि ट्रिब्यूनल ने मृतक की उम्र ओर व्यवसाय पर विचार करने के बाद आय की हानि के मद में 2,80,000 रुपये की राशि ‌उचित ही प्रदान की थी, जिसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।

    हालांकि, अदालत ने नोट किया कि नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम प्रणय सेठी और अन्य, 2017 में, सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि "पारंपरिक मदों पर यानी संपत्ति की हानि, साथ की हानि, और अंतिम संस्कार खर्च आदि पर उचित राशि क्रमशः 15,000, 40,000, 15,000 रुपये होनी चाहिए।"

    अदालत ने कहा कि ट्रिब्यूनल ने पारंपरिक मदों के तहत कोई राशि नहीं दी और इसलिए, दावेदारों को पारंपरिक मदों के तहत 70,000/- का भुगतान करना होगा। इस प्रकार, सभी दावेदारों के हम में 350,000 रूपये का भुगतान करना होगा।

    जहां तक ​​दूसरे मुद्दे का संबंध है, कोर्ट ने मनुआरा खातून बनाम राजेश कुमार का उल्‍लेख किया, जहां यह माना गया था कि बीमा कंपनी को, अपराध में शामिल वाहन का बीमाकर्ता होने के नाते, जो अपने चालक की लापरवाही के कारण दुर्घटनाग्रस्त पाया गया था, उन्हें निर्देश जारी करने की आवश्यकता है कि वे पहले दावेदारों को प्रदान की गई राशि का भुगतान करें और फिर निष्पादन कार्यवाही में अपराध में शामिल वाहन के मालिक से भुगतान की गई राशि की वसूली करें।

    तदनुसार, ट्रिब्यूनल द्वारा प्रदान की गई मुआवजे की राशि को बढ़ाया गया और बीमा कंपनी को दो महीने के भीतर अर्जित ब्याज के साथ उक्त राशि को दावेदार के खाते में जमा करने और फिर वाहन मालिक से उक्त राशि की वसूली करने का निर्देश दिया गया।

    कारण शीर्षक: वी शिवाजी और अन्य बनाम वीके मुरली और अन्य

    सिटेशन: 2022 लाइव लॉ (Tel) 14

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