पुलिस की अवैध 'बुलडोजर कार्रवाई' से प्रभावित लोगों को मुआवजा दें: गुवाहाटी हाईकोर्ट ने असम सरकार को निर्देश दिए

Brij Nandan

5 Jan 2023 2:47 AM GMT

  • Gauhati High Court

    Gauhati High Court

    गुवाहाटी हाईकोर्ट (Gauhati High Court) ने बुलडोजर से कुछ आरोपियों के घरों को गिराने की कार्रवाई पर असम पुलिस को फटकार लगाई और कहा कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली एक समिति घटना की जांच कर रही है और दोषी अधिकारियों के खिलाफ 15 दिनों के भीतर उचित कार्रवाई की जाएगी।

    चीफ जस्टिस आरएम छाया और जस्टिस सौमित्र सायका की खंडपीठ ने पिछले साल जुलाई में अदालत द्वारा शुरू की गई स्वत: संज्ञान कार्यवाही को बंद करते हुए मंगलवार को पारित आदेश में कहा,

    "इस तरह के आश्वासन पर और इस तथ्य के मद्देनजर कि राज्य अब मामले को अपने कब्जे में ले चुका है, यह उम्मीद की जाती है कि राज्य भी अधिकारी की अवैध कार्रवाई से प्रभावित व्यक्तियों को मुआवजा देने के लिए उचित निर्णय लेगा। इस कार्यवाही में इस न्यायालय के समक्ष उसकी रिपोर्ट पेश की जाएगी।"

    अदालत ने स्पष्ट किया कि कार्यवाही को "केवल एक नोट दाखिल करके" फिर से शुरू किया जा सकता है और हाईकोर्ट का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील एडवोकेट एच.के. दास को मामले को देखने को कहा।

    पिछले साल 17 नवंबर को हुई सुनवाई में कोर्ट ने पुलिस अधीक्षक की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा था,

    'मुझे किसी आपराधिक न्यायशास्त्र से दिखाइए कि पुलिस किसी अपराध की जांच के लिए बिना किसी आदेश के किसी व्यक्ति के घरों को तोड़ सकती है और बुलडोजर चला सकती है।"

    आगे कहा था,

    "इसके लिए आपको अनुमति की आवश्यकता होती है। आप किसी भी जिले के एसपी हो सकते हैं। यहां तक कि आईजी, डीआईजी, या जो भी सर्वोच्च अधिकारी हो, उन्हें कानून के दायरे से गुजरना पड़ता है। केवल इसलिए कि वे पुलिस विभाग के प्रमुख हैं, वे किसी का घर नहीं तोड़ सकते। इसकी अनुमति लेना जरूरी है।“

    मुख्य न्यायाधीश छाया ने यह भी कहा था,

    "यहां बार में मेरे सीमित करियर के साथ, मैंने किसी पुलिस अधिकारी को तलाशी वारंट के माध्यम से बुलडोजर का उपयोग करते हुए नहीं देखा है।"

    कोर्ट ने पुलिस की ज्यादती की तुलना हिंदी फिल्मों के एक्शन सीन से की थी।

    कोर्ट ने कहा था,

    "हंसी मजाक में मैंने शेट्टी की हिंदी फिल्म में भी यह नहीं देखा। अपने एसपी की यह कहानी भेजो। रोहित शेट्टी इस पर फिल्म बना सकते हैं। यह क्या है? यह गैंगवार है या पुलिस का ऑपरेशन? कोई भी कर सकता है। समझ लीजिए कि गैंगवार में ऐसा होता है कि एक गिरोह का एक व्यक्ति बुलडोजर से घर को तोड़ देता है।''

    प्रक्रिया और अनुमति की कमी पर निराशा व्यक्त करते हुए, अदालत ने आगे कहा था,

    "कल अगर कोई जबरदस्ती कोर्टरूम में प्रवेश करता है और कोर्टरूम में बैठता है, तो आपके पुलिस अधिकारी भी जांच की आड़ में इन कुर्सियों को हटा देंगे? आप किस प्रकार की जांच कर रहे हैं?"

    चीफ जस्टिस ने कहा था,

    "...मैं फिल्म का नाम भूल गया...अजय देवगन का। उसके लिए भी उन्हें आदेश दिखाना पड़ा। आपको मजिस्ट्रेट का इंतजार करना चाहिए था। आपको उसके लिए आवेदन करना चाहिए था। यह वह तरीका नहीं है जिससे आप कानून को नियंत्रित करते हैं और आप कृपया इसे गृह विभाग के उच्चाधिकारियों के ध्यान में रखें। आप किसी व्यक्ति पर उसके द्वारा किए गए किसी भी अपराध के लिए मुकदमा चला सकते हैं, लेकिन आपके एसपी को घर पर बुलडोजर चलाने की शक्ति किसने दी?"

    नागांव जिले में मई 2022 में बटाद्रवा पुलिस स्टेशन में आग लगाने के आरोपी पांच लोगों के घरों पर बुलडोजर चलाए जाने के संबंध में स्वत: संज्ञान लेते हुए मामला शुरू किया गया था।

    केस टाइटल : असम राज्य और अन्य PIL(Suo Moto)/3/2022

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