मृतक कर्मचारी के आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति की पेशकश एक रियायत है, अधिकार नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट

Avanish Pathak

25 July 2022 1:03 PM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने दोहराया है कि मृतक कर्मचारी के आश्रित को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति केवल रियायत है और अधिकार नहीं है।

    जस्टिस चंद्रधारी सिंह की सिंगल जज बेंच ने कहा,

    "अनुकम्पा के आधार पर रोजगार देने के पीछे पूरा उद्देश्य परिवार को अचानक संकट से उबरने में सक्षम बनाना है। मृतक कर्मचारी के आश्रित को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति उक्त नियम का अपवाद है। यह एक रियायत है और अधिकार नहीं है।"

    इस मामले में याचिकाकर्ता हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड के एक कर्मचारी की पत्नी थी, जिसकी सड़क दुर्घटना के कारण सेवा के दौरान मृत्यु हो गई थी। याचिका के माध्यम से, याचिकाकर्ता ने एचपीसीएल कर्मचारी सेवानिवृत्ति लाभ निधि योजना के नियम 7(बी)(ii)/8ए के तहत अपने बेटे के लिए अनुकंपा रोजगार की मांग की, जिसके अनुसार वह उन लाभों की हकदार थी जो कि उसके मृत पति को मिलता, यदि वह सेवानिवृत्त हो गया।

    याचिकाकर्ता ने अपने पति की मृत्यु के बाद वर्ष 2008 में योजना का लाभ मांगा, हालांकि वर्ष 2004 में प्रतिवादी निगम द्वारा योजना को वापस ले लिया गया और बंद कर दिया गया। योजना के बंद होने के तथ्य को याचिकाकर्ता को विधिवत सूचित किया गया था। पत्राचार के बावजूद, याचिकाकर्ता ने योजना का लाभ उठाने की मांग की।

    इसके अतिरिक्त, याचिकाकर्ता को प्रतिवादी निगम की तीन योजनाओं में से चुनने का विकल्प दिया गया था जब उसने अपने पति की मृत्यु के बाद पहली बार संपर्क किया था और उसने अपनी इच्छा से योजना के नियम 7 (बी) (ii)/8ए के तहत लाभों का विकल्प चुना था। जब वह योजना के तहत लाभ नहीं उठा सकी तो उसने अदालत का दरवाजा खटखटाया।

    याचिकाकर्ता ने शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) बनाम पुष्पेंद्र कुमार, (1998) 5 एससीसी 192 पर भरोसा किया, जहां सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि अनुकंपा रोजगार देने का प्रावधान मृतक कर्मचारी के परिवार को रोटी कमाने वाले की मृत्यु के कारण अचानक संकट से निपटने में सक्षम बनाने के लिए है, जिसने परिवार को गरीबी में छोड़ दिया है।

    अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने योजना के नियम 7(बी)(ii)/8ए के तहत लाभ लेने के बाद ही अपने बेटे के लिए अनुकंपा रोजगार की मांग करते हुए प्रतिवादी निगम से संपर्क किया था। यह पाया गया कि प्रतिवादी निगम द्वारा उसे दिए गए अन्य विकल्पों को छोड़ने के बाद, वह बाद के चरण में लाभ प्राप्त करने की मांग नहीं कर सकती थी।

    अदालत ने कहा कि अनुकंपा रोजगार देने के पीछे का उद्देश्य परिवार को अचानक संकट से उबारने में सक्षम बनाना था। इन्हीं टिप्प‌णियों के आलोक में याचिका को किसी भी योग्यता से रहित होने के कारण खारिज कर दिया गया था।

    केस टाइटल: मंजू देवी बनाम हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड

    साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (दिल्ली) 707

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