RSS के खिलाफ टिप्पणी मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को राहत
Shahadat
20 Sept 2025 10:27 AM IST

बेंगलुरु कोर्ट ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ दर्ज आपराधिक शिकायत खारिज की। इस मामले में विधानसभा में की गई उनकी कथित टिप्पणी शामिल थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि आरएसएस और बजरंग दल ज़्यादा अपराध करते हैं। इस टिप्पणी को लेकर मुख्यमंत्री के लिए मानहानि और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया गया।
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के.एन. शिवकुमार ने वकील किरण एन द्वारा दायर शिकायत खारिज की, जिन्होंने खुद को आरएसएस से जुड़ा बताया था।
अदालत ने कहा,
"आरोपी द्वारा दिए गए कथित बयानों और शिकायत में लगाए गए आरोपों और साथ ही आरोपी द्वारा दिए गए कथित बयान के बारे में न्यूज़ एजेंसियों में प्रकाशित प्रकाशनों पर सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद, जैसा कि ऊपर चर्चा की जा चुकी है, आरोपी ने माननीय राज्यपाल के धन्यवाद प्रस्ताव पर अपने उत्तर के दौरान और अपने शासन में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के संबंध में विपक्ष के आरोपों को दरकिनार करते हुए और कानून प्रवर्तन एवं सार्वजनिक व्यवस्था के विषयों पर चर्चा के संदर्भ में उक्त बयान दिया। इस प्रकार, इस तरह के बयान से उक्त आरएसएस संगठन की प्रतिष्ठा या गरिमा को ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं निकाला जा सकता।"
इसमें आगे कहा गया,
"शिकायत के आरोप और साथ ही इसके साथ संलग्न दस्तावेज़, प्रथम दृष्टया कथित अपराधों के तत्वों को संतुष्ट नहीं करते हैं, जैसे कि भारतीय दंड संहिता, 2023 (IPC) की धारा 299, 352 और 356(2) के तहत आरोपी के खिलाफ उक्त अपराधों का संज्ञान लेने का कोई मामला नहीं बनता है।"
बेंगलुरु के विधान सौध में दिनांक 17/03/2025 को दर्ज शिकायत के अनुसार, सिद्धारमैया ने कहा था कि आरएसएस और बजरंग दल राज्य में अपराध के कर्ताधर्ता हैं।
शिकायतकर्ता ने दावा किया कि अभियुक्त द्वारा आरएसएस और बजरंग दल के बारे में दिए गए कथित बयान से न केवल शिकायतकर्ता की भावनाओं को ठेस पहुंची है, बल्कि "दिव्य आरएसएस को एक आपराधिक संगठन और उसके स्वयंसेवकों को अपराधी" के रूप में चित्रित किया गया।
मुख्यमंत्री ने इस याचिका का विरोध करते हुए कहा कि सदन में की गई टिप्पणियां भारतीय संविधान के अनुच्छेद 194(2) के तहत विधायी विशेषाधिकार द्वारा संरक्षित हैं। इस प्रकार इस शिकायत के लिए व्यापक संवैधानिक प्रतिबंध है। इसलिए शिकायत सुनवाई योग्य नहीं है।
इसके अलावा, कथित बयान आरएसएस संगठन के विरुद्ध था और इसलिए कानून के अनुसार, उक्त संगठन के अलावा, कोई भी अभियुक्त के विरुद्ध शिकायत दर्ज नहीं कर सकता। यह तर्क दिया गया कि वर्तमान शिकायतकर्ता न तो शिकायत दर्ज करने के लिए अधिकृत व्यक्ति है और न ही पीड़ित व्यक्ति।
यह दावा किया गया कि कथित बयान में प्रयुक्त शब्दों को, यदि उनके संदर्भ में पढ़ा जाए तो वे मानहानि के किसी भी ऐसे आरोप के समान नहीं हैं। यह दावा किया गया कि मुख्यमंत्री का बयान राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में कुछ संगठनों द्वारा उत्पन्न सुरक्षा चुनौतियों पर उनके दृष्टिकोण का प्रतिबिंब मात्र है।
कोर्ट ने अभिलेखों का अवलोकन करने के बाद कहा,
"ऐसा प्रतीत होता है कि अभियुक्त द्वारा दिए गए उक्त भाषण का उक्त सत्र में बहस किए जा रहे शासन संबंधी मुद्दे से स्पष्ट संबंध था। इस प्रकार, उक्त भाषण विधानमंडल की कार्यवाही के दायरे में आता है। इस प्रकार भारत के संविधान के अनुच्छेद 194(2) के तहत उन्मुक्ति या विशेषाधिकार के दायरे में आता है।"
Case Title: Kiran N AND Siddaramaiah

