मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याणकारी योजना : दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को दिया निर्देश, 7 अगस्त से पहले बीमा के लिए बोली प्रक्रिया की तारीख तय करें

LiveLaw News Network

4 Aug 2020 11:03 AM GMT

  • मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याणकारी योजना : दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को दिया निर्देश, 7 अगस्त से पहले बीमा के लिए बोली प्रक्रिया की तारीख तय करें

    दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वह 17 जुलाई के कोर्ट के आदेश का अनुपालन करें। इस आदेश के तहत कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया था कि वह मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना के लिए टेंडर प्रोसेस या निविदा प्रक्रिया को शुरू करें। जिसके लिए सात अगस्त से पहले वित्तीय बोलियां प्रस्तुत की तारीख(ओपनिंग और क्लोजिंग की तारीख) भी तय की जाए।

    न्यायमूर्ति प्रथिबा एम सिंह की एकल पीठ ने यह भी कहा कि यदि उक्त आदेश का अनुपालन नहीं किया जाता है, तो अगली तारीख पर जीएनसीटीडी के प्रधान सचिव (कानून) को बुलाया जाएगा।

    कोर्ट का यह आदेश बार काउंसिल ऑफ दिल्ली की तरफ से दायर कई रिट याचिकाओं पर सुनवाई के बाद आया है। जिनमें मांग की गई थी कि दिल्ली सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना को लागू करें,विशेष रूप से COVID 19 महामारी के कठिन समय के दौरान।

    बीसीडी ने दावा किया है कि दिल्ली सरकार को सभी पंजीकृत अधिवक्ताओं के लिए बीमा कंपनियों से बीमा पॉलिसियां लेनी चाहिए। इन अधिवक्ताओं की संख्या 29,098 हैं। वहीं पाॅलिसियां लेने के बाद उन्हें उक्त अधिवक्ताओं के पास भेज दिया जाना चाहिए।

    पिछली सुनवाई पर दिल्ली सरकार ने बताया था कि बीसीडी के अध्यक्ष श्री केसी मित्तल से परामर्श के बाद 25 जून को नोटिस इंवाइटिंग टेंडर्स (एनआईटी) प्रकाशित कर दिए गए थे।

    एनआईटी जारी करने के बाद, बीसीडी अध्यक्ष और बीमा कंपनियों के साथ एक पूर्व-बोली बैठक आयोजित की गई थी। जिसमें एनआईटी में संशोधन करने के लिए कुछ सुझाव भी दिए गए थे। इन संशोधन को करने के लिए मूल एनआईटी के लिए एक शुद्धिपत्र भी जारी कर दिया गया था।

    दूसरी ओर वरिष्ठ अधिवक्ता कैलाश वासदेव ने दलील दी थी कि दिल्ली सरकार वकीलों को बीमा प्रदान करने की प्रक्रिया में जानबूझकर देरी कर रही है।

    एक याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अमरजीत सिंह चंडिओक ने दलील दी थी कि प्लेस ऑफ प्रैक्टिस (सत्यापन) रूल्स 2015 की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह 'प्रैक्टिस का स्थान'है, जो एक वकील को स्थानीय बार काउंसिल के पास पंजीकरण कराने की अनुमति देता है,न कि उस वकील का निवास स्थान।

    इसलिए श्री चंडिओक ने तर्क दिया था कि इस योजना के विस्तार के उद्देश्य से अधिवक्ताओं (जो दिल्ली के निवासी हैं और जो दिल्ली के निवासी नहीं है) के बीच अंतर करने की मांग पूरी तरह से गैरकानूनी और अस्थिर है।

    कोर्ट ने कहा था कि कम से कम उन वकीलों के लिए योजना को लागू करने में देरी नहीं होनी चाहिए जो पहले से पंजीकृत हैं। साथ ही कहा था कि-

    'जीएनसीटीडी 7 अगस्त से पहले बोलियों की ओपनिंग और क्लोजिंग की तारीख तय कर दें। इसके बाद जीएनसीटीडी सभी बोलियों को देखे और सफल बोली लगाने वाले को टेंडर अवार्ड कर दें। जिसके बाद तकनीकी मूल्यांकन समिति के तत्वावधान में फाइनल अनुबंध को अंतिम रूप दिया जाए। अंतिम अनुबंध होने के बाद बीमा कंपनी वकीलों को पॉलिसी जारी कर दे,जिनके प्रीमियम का भुगतान दिल्ली सरकार द्वारा किया जाएगा।'

    वहीं इस योजना का लाभ एनसीआर के वकीलों तक पहुंचाने के मुद्दे पर अदालत ने वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नय्यर द्वारा दी गई दलीलों पर ध्यान दिया। इस संबंध में अधिवक्ता नय्यर ने दलील दी थी कि वह इस मुद्दे को आंतरिक तौर पर अधिकारियों के समक्ष उठाएंगे।

    कोर्ट ने कहा कि अगर एनसीआर के वकीलों के लिए कोई अनुकूल निर्णय नहीं लिया जाता है तो कोर्ट अगली तारीख पर उनकी याचिका पर सुनवाई करेगी। इस मामले में अब अगली सुनवाई 28 अगस्त को होगी।

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