यूएई के कानून मंत्री से मिले सीजेआई रमाना; लंबित प्रत्यर्पण मुद्दों, भारतीय कैदियों को कांसुलर एक्सेस पर चर्चा

LiveLaw News Network

19 March 2022 2:30 AM GMT

  • यूएई के कानून मंत्री से मिले सीजेआई रमाना; लंबित प्रत्यर्पण मुद्दों, भारतीय कैदियों को कांसुलर एक्सेस पर चर्चा

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमाना ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात के कानून मंत्री के साथ लंबित प्रत्यर्पण आदेशों और संयुक्त अरब अमीरात की जेलों में भारतीयों को कांसुलर एक्सेस के संबंध में चर्चा की। सीजेआई भारतीय सांस्कृतिक और सामाजिक केंद्र, अबू धाबी में भारतीय समुदाय की ओर से आयोजित एक सम्मान समारोह में बोल रहे थे।

    उन्होंने कहा, "आज हमने संयुक्त अरब अमीरात के कानून मंत्री के साथ कुछ मुद्दों चिंताजनक मुद्दों पर चर्चा की। कुछ 175 लोग हैं, जिनके प्रत्यर्पण आदेश लंबित हैं। जब राजदूत ने इस मुद्दे पर चर्चा की तो हमने कानून मंत्रालय के समक्ष इस रखा। साथ ही प्रत्यर्पण आदेशों पर विचार करने और उन्हें तेज करने का प्रयास करने के लिए कहा।"

    सीजेआई ने यूएई सरकार द्वारा भारतीयों के पारंपरिक कानूनों की रक्षा के लिए बनाए गए कानूनों की भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि सरकार कैसे उन कानूनों को लागू करने और अधिक अदालतें बनाने के लिए सहमत हुई है।

    सीजेआई ने कहा,

    "पारिवारिक अदालतों में हमने देखा है कि विभिन्न हिस्सों से आए भारतीयों के पारंपरिक कानूनों की रक्षा के लिए यूएई सरकार द्वारा कानून बनाए गए थे। वे सहमत हुए हैं और ऐसा लगता है कि उन्होंने अदालतें बनाई हैं। उन्होंने कहा है कि वे इसे लागू करेंगे।लेकिन कुछ कठिनाइयां हो रही हैं, पर्याप्त दुभाषिए नहीं हैं। उन्होंने कहा है कि वे ध्यान रखेंगे ताकि जो लोग अरबी नहीं समझते हैं वे दुभाषियों का उपयोग कर सकें। मंत्री ने वादा किया है कि मुद्दों का ध्यान रखा जाएगा। मैं राजदूत की कड़ी मेहनत और ईमानदारी की सराहना करता हूं।"


    संयुक्त अरब अमीरात में भारतीय दूतावास ने ट्वीट किया,

    "राजदूत संजय सुधीर ,चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया श्री एनवी रमाना के साथ संयुक्त अरब अमीरात के न्याय मंत्री अब्दुल्ला बिन सुल्तान बिन अवद अल नुआइमी और महामहिम मोहम्मद के हमद अल बादी, प्रेसिडेंट संयुक्त अरब अमीरात फेडरल सुप्रीम कोर्ट के साथ मुलाकात की है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया का संयुक्त अरब अमीरात का यह पहला दौरा है।

    माननीय जस्टिस श्रीमती हिमा कोहली और महामहिम जज अब्दुल रहमान अल बलुशी, न्याय मंत्री, संयुक्त अरब अमीरात की मौजूदगी में संयुक्त अरब अमीरात में भारतीय प्रवासियों से संबंधित मुद्दों और भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच घनिष्ठ न्यायिक सहयोग पर चर्चा की गई। सीजेआई की ऐतिहासिक यात्रा भारत-यूएई साझा दृष्टिकोण को बढ़ावा देगी।"

    भारत और यूएई के बीच मजबूत संबंध

    सीजेआई ने कहा कि दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों का एक प्रमुख कारण यह है कि भारतीय संयुक्त अरब अमीरात में सबसे मजबूत समूहों में से एक हैं। उन्होंने कहा, "करीब 35 लाख भारतीय यहां रह रहे हैं, जो कुल आबादी का 30 फीसदी हिस्सा है, भारतीयों ने पिछले कुछ वर्षों में यूएई के विकास में योगदान दिया है।"

    इस अवसर पर सुप्रीम कोर्ट की जज जस्टिस हिमा कोहली को भी सम्मानित किया गया। सीजेआई एनवी रमाना और जस्टिस हिमा कोहली इस सप्ताह दुबई में वैश्वीकरण के युग में मध्यस्थता पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करने वाले हैं।

    यह इंगित करते हुए कि काम की प्रकृति और संयुक्त अरब अमीरात आने वाले श्रमिक सेवा क्षेत्र में वृद्धि के साथ बदल गए हैं, सीजेआई रमाना ने कहा कि भारतीय आबादी पूरी तरह से समाज के ताने-बाने में एकीकृत हो गई है।

    उन्होंने कहा कि कैसे संयुक्त अरब अमीरात में भारतीय प्रवासियों के बारे में सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक भारत में उनका योगदान है, क्योंकि जब भी कोई आपदा या योगदान करने की आवश्यकता होती है, तो उन्होंने हमेशा सहयोग किया है।

    केरल में बाढ़ आने पर मदद के लिए आए खाड़ी भाई

    सीजेआई ने कहा, "मुझे याद है जब केरल को बाढ़ का सामना करना पड़ा था, यही हमारे खाड़ी के भाई और बहनों ने जरूरतमंद लोगों की मदद की थी। यह मुझे बॉलीवुड फिल्म 'मेरा जूता है जापानी ये पतलून इंग्लिश्‍तानी सर पे लाल टोपी रूसी फिर भी दिल है हिंदुस्तानी' की प्रसिद्ध पंक्तियों की याद दिलाता है।"

    संयुक्त अरब अमीरात में भारतीय समुदाय का जिक्र करते हुए, सीजेआई रमाना ने कहा, "भारत आप सभी में रहता है, और मुझे पता है कि आप जहां भी काम के लिए जाते हैं, आप हमेशा अपने देश के बारे में सोचते हैं और अपने झंडे को ऊंचा रखते हैं।"

    उन्होंने भारतीय समुदाय को सलाह दी कि वे अपनी मातृभूमि को न भूलें या अपनी जड़ों से अलग न हों।

    उन्होंने कहा, "अपनी संस्कृति को बनाए रखें और बढ़ावा दें, त्योहार मनाएं, सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करें और इसमें शामिल हों। इन ठोस प्रयासों के माध्यम से है आप समुदायों के बीच भाईचारे को बढ़ावा दे सकते हैं और बहुत जरूरी एकजुटता बनाए रख सकते हैं।"

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