राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर न्यायपालिका के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण सामग्री प्रसारित करना जनता को कानून के खिलाफ भड़काने के बराबर: पंजाब एंड हर‌ियाणा हाईकोर्ट

Avanish Pathak

25 Feb 2023 2:14 AM GMT

  • राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर न्यायपालिका के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण सामग्री प्रसारित करना जनता को कानून के खिलाफ भड़काने के बराबर: पंजाब एंड हर‌ियाणा हाईकोर्ट

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब पुलिस के डीएसपी बलविंदर सिंह सेखों और उनके सहयोगी को एक आपराधिक अवमानना मामले में 6 महीने की कैद की सजा सुनाई है। हाईकोर्ट ने शुक्रवार को आदेश में कहा कि राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर न्यायपालिका के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण सामग्री प्रसारित करना लोगों को कानून के खिलाफ भड़काने के बराबर है।

    जस्टिस जीएस संधावालिया और जस्टिस हरप्रीत कौर जीवन की खंडपीठ ने माना कि सेखों और उनके सहयोगी की ओर से प्रसारित वीडियो की सामग्री 'अपमानजनक', 'दुर्भावनापूर्ण' 'निंदात्मक', और 'संवैधानिक प्राधिकरण और न्यायपालिका के खिलाफ' है, जिसके बाद उन्होंने कहा, "... खुले प्रकाशन के जर‌िए कीचड़ उछालना और इस प्रकार की दुर्भावनापूर्ण सामग्री, जिसे न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसारित किया जा रहा है, का प्रतिनिधित्व करना बड़े पैमाने पर जनता को कानून के शासन के खिलाफ उकसाने के बराबर है..."

    आदेश में कहा गया कि सेखों, उनके सहयोगी के खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही को ट्रायल के ‌लिए रोकने की जरूरत नहीं है। इसलिए, अदालत ने उन्हें 6 महीने कारावास की सजा सुनाई और प्रत्येक पर 2000 रुपये का जुर्माना लगाया।

    आदेश में न्यायालय ने जोर देकर कहा कि एक बार जब उसने संविधान के अनुच्छेद 215 का उपयोग इस तथ्य के साथ सहपठन में किया कि अवमानना न्यायालय की अवमानना ​​अधिनियम, 1971 की धारा 14 के तहत न्यायालय के समक्ष की गई थी तो पर्याप्त न्यायिक मिसालें मौजूद ‌‌थीं कि सबूत पेश करने की आवश्यकता नहीं है, जिससे कि मामले में और देरी हो। ऐसे मामलों में त्वरित न्याय यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि संदेश घर-घर जाए। इसलिए दोनों को दोषी पाते हुए उन्हें दण्डित किया गया।

    6 महीने कैद की सजा सुनाए जाने के बाद बलविंदर सिंह सेखों ने खुली अदालत में नारा लगाया "जूडिश‌िएल गुंडागर्दी मुर्दाबाद", कोर्ट के अनुसार जिसने अवमानना में वृद्ध‌ि कर दी।

    पृष्ठभूमि

    इससे पहले 15 फरवरी को अदालत ने सेखों को आपराधिक अवमानना का नोटिस जारी किया था, क्योंकि उन्होंने स्वेच्छा से अपने व्यक्तिगत हितों को हासिल करने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

    अदालत ने कहा कि सेखों, जिन्होंने 2021 में सेवा से बर्खास्तगी के आदेश को चुनौती देते हुए एक रिट याचिका दायर की थी, अन्य जजों द्वारा संचालित न्यायिक कार्यवाही से संबंधित वीडियो प्रसारित कर रहे थे।

    पीठ ने यह भी कहा था कि एक वीडियो में, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के 10 से अधिक जजों और उच्चतम न्यायालय के एक मौजूदा जज का जिक्र करते हुए, सेखों ने निंदनीय आरोप लगाए और इसलिए, आरोपों का जवाब देने के ल‌िए उन्हें न्यायालय के आदेश की एक प्रति और वीडियो कार्यवाही का ट्रांसक्रिप्ट भेजा गया था।

    हालांकि, 15 फरवरी को कार्यवाही समाप्त होने के बाद सेखों और एक कथित कानूनी विशेषज्ञ प्रदीप ने अदालत के प्रवेश द्वार पर लाइव प्रसारण किया ‌था और आयोजित की गई कार्यवाही पर एक शातिराना हमला किया ‌था। नतीजतन, अदालत ने 15 फरवरी को उनके आचरण से संबंधित मामले को कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया।

    अदालत ने 20 फरवरी के अपने आदेश में कहा कि 15 फरवरी को अदालत के समक्ष सेखों का बचाव करने के प्रयास में उपस्थित होने वाले प्रदीप ने न्यायाधीशों (पीठ का हिस्सा) में से एक के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की।

    कई अन्य आरोपों के अलावा, यह आगे टिप्पणी की गई कि न्यायाधीशों को कुछ निश्चित लोगों द्वारा पट्टे पर दिया गया है।

    एक वीडियो में, अदालत ने पाया कि जजो को पूरी तरह से गाली दी गई थी और अदालत की बेंच के खिलाफ व्यक्तिगत आरोप लगाए गए थे जो इस मामले की सुनवाई कर रही थी और जिसने नोटिस जारी किया था।

    मामले के तथ्यों को और अदालत की परिस्थितियों को देखते हुए अदालत ने सोमवार को उनकी गिरफ्तारी का आदेश दिया और निर्देश दिया कि उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया जाए और उसके बाद अवमानना आरोपों का जवाब देने के लिए अदालत के समक्ष पेश किया जाए।

    कोर्ट की टिप्पणी

    कोर्ट ने कहा कि पुलिस कस्टडी में दोनों अवमाननाकर्ताओं (सेखों, प्रदीप) ने कोर्ट परिसर में न्यूज चैनल और पत्रकारों को मीडिया बाइट दी। पुलिस आयुक्त, लुधियाना ने अदालत को बताया ‌था कि ड्यूटी पर तैनात पुलिस अधिकारियों की ओर से एक स्पष्ट चूक हुई थी।

    नतीजतन, एसएचओ सराभा नगर, लुधियाना के खिलाफ एक विभागीय जांच शुरू की गई थी और इस पहलू के संबंध में एसीपी क्राइम -1, लुधियाना और एसीपी वेस्ट, लुधियाना से स्पष्टीकरण मांगा गया था।

    इन प्रस्तुतियों को ध्यान में रखते हुए, अदालत ने पंजाब राज्य को निर्देश दिया कि वह पंजाब के पुलिस महानिदेशक के व्यक्तिगत हलफनामे के रूप में एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करे, जो कि ऐसे किसी भी अधिकारी के खिलाफ की जा रही विभागीय कार्यवाही के बारे में हो और यह बताया जाए कि उसे शीघ्रता से अंतिम रूप दिया जाएगा।

    कोर्ट ने यह भी स्पष्टीकरण मांगा कि क्या इस तरह के आपत्तिजनक वीडियो, जो पिछले छह महीनों से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लगातार पोस्ट किए जा रहे हैं, भारतीय दंड संहिता, 1860, सूचना और प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 और अन्य के विभिन्न प्रावधानों के तहत अपराध की श्रेणी में आते हैं।

    इसके अलावा, कोर्ट को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब) ने अवगत कराया था कि कि वे ऐसे वीडियो को ब्लॉक करने की दिशा में काम कर रहे हैं और कुछ वीडियो को ब्लॉक भी कर दिया गया है।

    केस टाइटलः कोर्ट ऑन इट्स ओन मोशन बनाम यूनियन ऑफ इंडिया व अन्य

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